tag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post3036870141166580834..comments2024-02-02T15:50:09.073+05:30Comments on हिंदी वाणी...यानी जन-जन की बात: आइए, एक जेहाद जेहादियों के खिलाफ भी करेंUnknownnoreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post-75091065475843846552009-01-17T17:50:00.000+05:302009-01-17T17:50:00.000+05:30युसूफ भाई , आपने बजा फरमाया है . आतंकवाद एक राजनीत...युसूफ भाई , आपने बजा फरमाया है . आतंकवाद एक राजनीतिक समस्या है न की धार्मिक! रहा सवाल मुसलामानों के इसमें संलिप्त रहने का तो अब तो शंकराचार्य भी आतंकवाद फैला रहे हैं. मेरी स्पष्ट राय है की एक आडवानी या मोदी किसी ओसामा से कम आतंकवादी नही है. जिहाद किसी भी बेगुनाह को क़त्ल करने की इजाज़त नहीं देता है. और जो इस्लाम का नम लेकर यह काम कर रहे हैं वो कम से कम एक अल्लाह एक रसूल और एक किताब को मानाने वाले हरगिज़ नहीं हो सकते हैं . <BR/>अमलेंदु उपाध्यायAmalendu Upadhyayahttps://www.blogger.com/profile/13080258950116614361noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post-60907084156479965232008-12-29T12:31:00.000+05:302008-12-29T12:31:00.000+05:30घूघती बासूती जी, रौशन भाई और संजय जी, ब्लॉग खुला म...घूघती बासूती जी, रौशन भाई और संजय जी, ब्लॉग खुला मंच है और यहां किसी की बात का बुरा नहीं माना जाना चाहिए। फिर मैं तमाम पाठकों और मित्रों की बात को अन्यथा क्यों लूंगा। आप यकीन मानिए मैं धार्मिक मामलों पर ज्यादा नहीं लिखता हूं लेकिन जब किसी समाचारपत्र में आग्रहपूर्वक लिखवाया जाता है तो मैं लिखता हूं। राजनीतिशास्त्र और अन्य सामाजिक मुद्दे मेरे लेखन का विषय रहे हैं। <BR/>संजय जी ने जो एक खतरा महसूस किया है, उसका जवाब रौशन भाई ने दिया है। मैं रौशन भाई का बहुत आभारी हूं कि उन्होंने और भी स्पष्ट तरीके से आप लोगों के संशय को साफ किया। अगर आपने पूरे भारत का भ्रमण किया होगा तो अंदाजा हो गया होगा कि 99 फीसदी आम मुसलमान अपनी रोटी-रोजी के जुगाड़ में लगा हुआ है। उसे आतंकवाद से कुछ भी लेना-देना नहीं है। दरअसल, कटट्रपंथियों की बात को इतना उछाला जाता है कि हम उसे किसी धर्म की भाषा समझ लेते हैं। लेकिन मौलाना बुखारी, ठाकरे, तोगड़िया या नरेंद्र मोदी अपने-अपने धर्म के ठेकेदार नहीं हैं। सभी धर्म इन लोगों से ऊपर की चीज हैं। ये तो उसके सामने बहुत बौने लोग हैं। <BR/>आजकल तलाक का कोई विवादास्पद मामला सामने नहीं आ रहा, अन्यथा वही मुद्दा होना था। यह बिना जाने कि तलाक कितना कठिन है और किन हालात में लिया-दिया जाता है लेकिन यह सब जाने बिना मुद्दे को उछाला दिया जाता है। आप फिल्म देखकर तय करते हैं कि हां, इस्लाम में ऐसा ही होता होगा। इसलिए सभी धर्मों का अध्ययन जरूरी है। कट्टरपंथियों को उनके हाल पर छोड़ दें।हिन्दीवाणीhttps://www.blogger.com/profile/07941990914773155980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post-16292233494729011372008-12-29T11:58:00.000+05:302008-12-29T11:58:00.000+05:30बासूती जी , युसूफ जी के जवाब के साथ हम ये भी जोड़ ...बासूती जी , युसूफ जी के जवाब के साथ हम ये भी जोड़ देन कि हिन्दुस्तान महज हिन्दुओं का मुल्क नही है मुसलामानों का भी मुल्क है और किसी भी मुस्लिम मुल्क के साथ लड़ाई में जितना उस मुल्क की मुस्लिम आबादियों पर हमला होता है उतना ही हिन्दुस्तान की भी मुस्लिम आबादियां भी हमले का शिकार होती हैं उस लिहाज से ऐसी किसी लडाई में मजहब के आड़े आने का सवाल ही नही उठताroushanhttps://www.blogger.com/profile/18259460415716394368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post-57628082704754655082008-12-29T11:54:00.000+05:302008-12-29T11:54:00.000+05:30सरिता जी अगर इतना ही समझ सके होते हम सब तो आदित्यन...सरिता जी अगर इतना ही समझ सके होते हम सब तो आदित्यनाथ जैसे लोग ये न बोलते कि अगर हिंदू ऐसी (मालेगांव जैसी ) कार्यवाहिया करने लगे तो देश सुधर जाए. ये किसी मीडिया वाले के मुह से सुनी बात नही है हमने ख़ुद आदित्यनाथ को ये कहते सुना है <BR/>रही बात जिहाद के सही अर्थों की चर्चा की तो ये तो बेहद जरूरी है क्योंकि भड़काने वाले नए पढ़े लिखे इन्टरनेट का इस्तेमाल करने वाले युवाओं को लक्ष्य कर रहे हैं अगर एक भी युवा इन बातों को पढ़ कर सोचता है तो युसूफ जी का लिखना सार्थक हो जायेगाroushanhttps://www.blogger.com/profile/18259460415716394368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post-10057873532305098222008-12-29T11:49:00.000+05:302008-12-29T11:49:00.000+05:30संजय जी के लिए ये आप सिर्फ़ अपने बारे में कह सकते ...संजय जी के लिए <BR/>ये आप सिर्फ़ अपने बारे में कह सकते हैं कि हिंदू धर्म से आगे देश को रखते हैं. <BR/>लेकिन सभी हिंदू भी ऐसा नही सोचते. कुछ कमजर्फों जो पैसे के लिए कुछ भी कर सकते हैं हम उनकी बात नही कर रहे हैं <BR/>हम उनकी बात कर रहे हैं जो धर्म की बातें करते हैं और देश की बातें करते हैं. राम मन्दिर मामले में पक्ष में कोर्ट का फैसला न आने पर <BR/>कुछ हिन्दुओं के संगठन क्या करेंगे ये वो हमेशा से खुले तौर पर जाहिर करते रहे हैं. <BR/>इनको तो खैर जाने ही दीजिये आजादी के समय एक बड़े हिंदुत्व वादी नेता देश का शासन नेपाल के हिंदू राजा को सौपने की वकालत कर रहे थे उन्होंने तो ब्रिटेन के राज सिंहासन को इस मांग को लेकर पत्र तक लिखा था. <BR/>हमें यकीन है आप उनका नाम जानते ही होंगे. <BR/>अस्तु ये भ्रम जेहन से निकाल दीजिये कि ये फर्क है दोनों धर्मों में <BR/>यकीन मानिए दोनों मजहब एक से ही हैं अच्छाइयों मेंं भी और कमियों में भीroushanhttps://www.blogger.com/profile/18259460415716394368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post-20927044080282233712008-12-29T11:08:00.000+05:302008-12-29T11:08:00.000+05:30समझाने के लिए धन्यवाद. आशा है जिन्हे पढ़ना चाहिए उन...समझाने के लिए धन्यवाद. आशा है जिन्हे पढ़ना चाहिए उन तक बात पहूँची होगी.<BR/><BR/><BR/>एक फर्क जो हिन्दू और इस्लाम में है की हिन्दू धर्म से आगे देश को रखते है जबकि "इस्लाम की रक्षा के लिए न सिर्फ अपने परिवार या रिश्तेदारों, बल्कि अपने देश को भी कुर्बान कर देना।" यह संदेश खतरनाक हो सकता है.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post-84632772504875206842008-12-29T01:22:00.000+05:302008-12-29T01:22:00.000+05:30विस्तार से समझाने व मेरे प्रश्नों का उत्तर देने के...विस्तार से समझाने व मेरे प्रश्नों का उत्तर देने के लिए धन्यवाद। आशा है आपने मेरे प्रश्नों को अन्यथा नहीं लिया होगा। जो प्रश्न मेरे मस्तिष्क में उपजे वैसे बहुतों के भी उपजे होंगे। शायद सभी धर्मों के लोगों के मन में, सो मेंने पूछना उचित समझा। संवाद होगा तभी बातें समझ आएँगी।<BR/>कर्बला वाली कहानी और भारतीय सेना में सभी धर्मों के लोगों का होना व शहीद होना भी मुझे पता है। बस लेख पढ़कर प्रश्न उठे सो पूछे।<BR/>धन्यवाद।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post-67696572998482029632008-12-29T01:19:00.000+05:302008-12-29T01:19:00.000+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Unknownhttps://www.blogger.com/profile/17708908112134724997noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post-45367366176776543972008-12-29T00:57:00.000+05:302008-12-29T00:57:00.000+05:30घुघूती बासूती जी, ब्लॉग पर आने और टिप्पणी के लिए श...घुघूती बासूती जी, ब्लॉग पर आने और टिप्पणी के लिए शुक्रिया। हर धर्म किसी न किसी मूल्य और सिद्धांत पर आधारित है। लेकिन इस वजह से किसी दूसरे धर्म के मूल्य और सिद्धांत खत्म नहीं हो जाते। अगर भारत किसी मुस्लिम राष्ट्र पर हमला करता है तो भारतीय सेना की ओर से लड़ने वाला मुस्लिम सैनिक अपने देश के लिए लड़ेगा न कि उस मुस्लिम देश के लिए। जहां हम रहते हैं और जहां का अन्न खाते हैं वही हमारा देश होता है। सेना में जाति-धर्म की बात नहीं की जाती। भारतीय सेना के मुस्लिम सैनिक के लिए उसके सामने दुश्मन होता है-पाकिस्तान और अफगानिस्तान नहीं। 1965 के युद्ध में भारतीय सेना के ही जवान अब्दुल हमीद ने यही साबित किया था। इसके बाद 1971 और करगिल युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों में कई मुस्लिम नाम मिल जाएंगे। वैसे भारत ने आज तक अपनी ओर से किसी भी देश पर हमला नहीं किया है। उस पर हमला हुआ है तो उसने जवाब दिया है। <BR/>किसी भारतीय मुसलमान का अपनी सेना के साथ लड़ना यह उस मकसद के लिए जेहाद होगा, जिसका लक्ष्य उसकी सेना ने तय किया है। मेरे लेख में देश की कुर्बानी देने का संदर्भ आप गलत समझ रही हैं। जिस समय जेहाद के बारे में आयतें उतरी होंगी उस समय शायद रियासत का समय रहा होगा। उसे उसी संदर्भ में देखें। दरअसल इसका यह मतलब है कि सब कुछ दांव पर लगा देना। अगर इसे आप और बेहतर ढंग से समझना चाहती हैं तो आप कृपया मुंशी प्रेमचंद लिखित कर्बला नामक पुस्तक पढिए। जिसमें बताया गया है कि किस तरह पैगंबर के नवासे इमाम हुसैन ने उस समय के अत्याचारी शासक के खिलाफ जेहाद करने के लिए अपना राज-पाट सब छोड़ दिया और वहां से निकल पड़े। लेकिन उस शासक की फौजों ने इराक में कर्बला नामक जगह पर उनको रोक लिया और हमले किए। इस हमले में इमाम हुसैन के अपने बेटे, भाई, रिश्तेदार, दोस्त समेत कुल 72 लोग शहीद हुए। यही ७२ लोग लड़ने वाले भी थे। महिलाओं पर अत्याचार हुए। उनके घऱों को जला दिया गया और कैद में डाल दिया गया। वह शासक जीता हुआ युद्ध हार गया यानी पूरी दुनिया में उसकी थू-थू हुई। यह सच्ची घटना है, कोई मिथक या किस्सा कहानी नहीं है। मुहर्रम उन्हीं की याद में मनाया जाता है। <BR/>वह जेहाद सच्चाई के लिए था। <BR/>जेहादियों को धन देने की बात को भी आपने गलत समझा है। इसका आशय यह है कि दौलतमंद लोग जरूरतमंद की मदद करें। मेरे पास पैसा है तो मैं बीसियों बार हज कर आऊं और किसी की लालसा पूरी न हो सके। इस्लाम के मुताबिक यह धन बेकार है। आपका हज भी बेकार है। आप उस गरीब की जरूरत भी पूरी करें। यह एक तरह का संदेश है। जिसे गहराई से समझने की जरूरत है।<BR/>इस्लाम ने किसी भी गैर मुसलमान से किस तरह बात की जाए या उससे पेश आया जाए, इस संदर्भ में विस्तार से बताया है। उसके मुताबिक आप सामने वाले से जिस तरह का बर्ताव करेंगे, वैसा ही वह आप और आपके धर्म के बारे में अपनी राय कायम करेगा। इसलिए आपकी बातचीत का सलीका बेहतर हो और सामने वाला गैर मुस्लिम आपसे घृणा न करे। वैसे भी मुगलों ने भारत पर बहुत समय तक राज किया है। लखनऊ और हैदराबाद में मुसलमानों की जो तहजीब है, उसे सभी जानते हैं। ऐसा नहीं है कि मुसलमान के अलावा बाकी सारे शत्रु हैं। <BR/><BR/>उम्मीद है कि आपको सारे सवालों का जवाब मिल गया होगा। फिर भी एक बात और कहना चाहता हूं। जेहाद वाला यह लेख किन लोगों के लिए लिखा गया है और किनके संदर्भ में है, शायद मुझे यह बताने की जरूरत नहीं है। फिर ऐसे सवाल क्यों? तमाम समुदायों में बहुत सारी प्रथाएं और मान्यताएं चलती हैं, उनका संबंध उस समुदाय के धर्म से क्यों जोड़ा जाता है? हम तो राम के धर्म को जानते हैं, रावण के धर्म को नहीं। इसी लेख पर नवभारत टाइम्स की वेबसाइट पर कुछ मुसलमानों ने भी कमेंट किए हैं और वे बहुत तीखे हैं, जिसमें मेरी बड़ी निंदा की गई है। समय निकाल कर वहां भी पढ़ें।हिन्दीवाणीhttps://www.blogger.com/profile/07941990914773155980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post-49362801594731273952008-12-28T22:11:00.000+05:302008-12-28T22:11:00.000+05:30आपके लेख ने मेरे मन में जो संशय नहीं थे वे पैदा कर...आपके लेख ने मेरे मन में जो संशय नहीं थे वे पैदा कर दिए हैं। क्षमा करिए परन्तु मुझे ठीक से समझ नहीं आया।<BR/>१' इसकी एक मीमांसा यह भी है कि इस्लाम की रक्षा के लिए न सिर्फ अपने परिवार या रिश्तेदारों, बल्कि अपने देश को भी कुर्बान कर देना।' <BR/>२' जिहाद-बिल-माल - अपनी दौलत अल्लाह की राह में लुटाना। यह ऐसे लोगों के लिए है, जिनकेपास बहुत दौलत है, मगर दूसरे तरह के जेहाद के लिए समय नहीं है। तो वे अपनी दौलत से उन लोगों की मदद करें जो इस काम में जुटे हुए हैं।'<BR/>३ 'कहा गया है कि इस्लाम का दुश्मन वह है जो मुस्लिम आबादी पर हमले करे और उनकी संपत्तियों को लूटे।'<BR/>लेख पढ़ा। परन्तु इस्लाम को समझने में कठिनाई और भी बढ़ी। उपरोक्त तीन बातों से तो यह समझ आता है कि यदि इस्लाम में विश्वास है तो किसी अन्य मूल्य का महत्व नहीं रह जाता है। मानिए कि भारत का किसी इस्लामिक देश से युद्ध होता है। ऐसे में हो सकता है कि भारत को उस देश की आबादी पर भी हमला करना पड़े। ऐसे में १.मुस्लिम सैनिक क्या करेगा? २ मुस्लिम नागरिक क्या करेगा? क्या वह भारत के विरुद्ध जिहाद करेगा? क्या वह अपने देश की भी कुर्बानी दे देगा? फिर १.वह किसी इस्लामिक सेना के अतिरिक्त किसी भी सेना में कैसे भर्ती हो सकता है? २. वह किसी इस्लामिक राष्ट्र के अतिरिक्त किसी भी राष्ट्र का नागरिक कैसे हो सकता है? यदि नागरिक हो भी तो क्या वह इस राष्ट्र के प्रति वफ़ादारी कर सकेगा?<BR/>३.जो लोग जिहादियों को धन दे रहे हैं वे ठीक ही कर रहे हैं। आज आपके हिसाब से यह जिहाद गलत हो सकता है परन्तु यदि भारत और किसी इस्लामिक देश के बीच युद्ध छिड़ जाए तो यह जिहाद और जिहादियों को पैसा देना दोनों सही हो जाएँगे। <BR/>'लोगों को यह बताना कि वे अपनी रोजाना की जिंदगी को कैसे बिताएं और मुसलमानों और गैर मुसलमानों से किस तरह पेश आएं।'<BR/>क्या किसी अन्य धर्म के व्यक्ति के साथ अलग व्यवहार होगा? ऐसे में जब अन्य धर्म के लोग किसी मुस्लिम के साथ किसी अलग तरह का व्यवहार करेंगे तो क्या वह भी ठीक होगा या उन्हें इस्लाम का शत्रु माना जाएगा?<BR/>कृपया थोड़ा और समझाइए।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post-24882759720264074952008-12-28T22:07:00.000+05:302008-12-28T22:07:00.000+05:30दरअसल, इस्लामिक मूल्यों और शिक्षा का प्रचार जिहाद ...दरअसल, इस्लामिक मूल्यों और शिक्षा का प्रचार जिहाद है, <BR/>---------------------------<BR/>ये एक धर्म का मानना है -अगर हिन्दू धर्म माननेवाले से पूछेँ तो वह हिन्दूओँ के सनातन धर्म को सही मानता है -<BR/>यही गलत बात है कि आप ठेकेदार बने हुए हैँ और सिर्फ आपके ही धर्म की नसीहतोँ को सही समझ रहे हैँ - अगर यहूदी या ख्रिस्ती या जैन धर्म वाले किसी मुस्लिम से अपना धर्म मनवाने के लिये जोर दँ तब कैसा लगेगा ? क्या ईस्लामी जेहाद छोड देँगेँ ? और जैन बन जायेँगेँ ?<BR/> नहीँ ना ?<BR/>इसीलिये, <BR/>हरेक धर्म पर चलनेवालोँ को <BR/>उनका धर्म निभाने देँ - <BR/>और आप अपने धर्म पर <BR/>अडीग रहेँ - <BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post-88322108132727086852008-12-28T21:16:00.000+05:302008-12-28T21:16:00.000+05:30yusuuf bhai jaan,apki post ne ek lamba intzaar kha...yusuuf bhai jaan,<BR/>apki post ne ek lamba intzaar khatam kar diya.... <BR/>khuda se yahi dua karta huin apki sach ki lau door door tak pahunche....Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post-61092482502778492212008-12-28T21:04:00.000+05:302008-12-28T21:04:00.000+05:30क्या कुछ ऐसा नहीं हो सकता कि हम धर्म को छोड़कर कोई...क्या कुछ ऐसा नहीं हो सकता कि हम धर्म को छोड़कर कोई दूसरा ऐसा मुद्दा उठाएं जिससे ज्यादा लोगों को फायदा हो। शायद इससे हिंदीवाणी ज्यादा प्रासंगिक हो सकेगी। लेकिन, अगर इस्लाम के प्रचार-प्रसार पर ही ज्यादा ध्यान देना है तो जाने दीजिए! बुरा लगता है अपने को बुद्धजीवी कहलवाने का शौक रखने वाले लोग धर्मों की श्रेष्ठता सिद्ध करने में वक्त जाया करते हैं।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post-58972358554623546512008-12-28T17:03:00.000+05:302008-12-28T17:03:00.000+05:30सारिता जी की टिपण्णी से हम भी सहमत है,सारिता जी की टिपण्णी से हम भी सहमत है,राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post-58936728181560240042008-12-28T14:34:00.000+05:302008-12-28T14:34:00.000+05:30दरअसल , यह बहुत जरुरी है समझना कि आप यह बात किन्हे...दरअसल , यह बहुत जरुरी है समझना कि आप यह बात किन्हें कह रहे है ? अगर हिंदू तो पढा लिखा तो छोडिए अब अनपढ तबका सुन सुन कर सब कुछ जान समझ चुका है । हाल के सालों में जो कुछ भी घटा है उससे ये बात सामने आई है कि मुसलमान ही जेहाद को ठीक तरीके से नहीं समझ सका है ।sarita argareyhttps://www.blogger.com/profile/02602819243543324233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post-55428202729605695402008-12-28T14:08:00.000+05:302008-12-28T14:08:00.000+05:30apni khaamion ke liye kisi ko dosh kyoonapni khaamion ke liye kisi ko dosh kyoonनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post-34792107878414944012008-12-28T13:28:00.000+05:302008-12-28T13:28:00.000+05:30जिहाद के मायने आप जिन लोगों को समझाना चाहते हैं , ...जिहाद के मायने आप जिन लोगों को समझाना चाहते हैं , उन सब्को तो वैसे भी मालूमात है लेकिन वास्तव में जिन लोगों ने इसे तोड मरोड कर अपने हक में इस्तेमाल करने का बीडा उठा र्खा है उन्हें कैसे समझाएंगे आप ?sarita argareyhttps://www.blogger.com/profile/02602819243543324233noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post-76520713372193658192008-12-28T13:15:00.000+05:302008-12-28T13:15:00.000+05:30जनाब युसूफ भाई , मेरे मन में जेहाद को लेकर कोई संश...जनाब युसूफ भाई , मेरे मन में जेहाद को लेकर कोई संशय नहीं है |<BR/>मैंने भी कुरान का व्यापक अद्ध्ययन किया है | <BR/>कुरान के जेहाद और कथित जेहादी मुल्लों का जेहाद बिल्कुल अलग है , कुरान के जेहाद से तो सह - अस्तित्व सम्भव है , किंतु इन कठमुल्लों के जेहाद ने दुनिया को नर्क बना दिया है |<BR/>अमेरिका से यही अन्तर समझने में भूल तो हुई है किंतु इसमे इस्लाम के झंडाबरदार मुल्कों जैसे सउदी अरब का कम दोष नही जो की पेट्रो डॉलर के लिए अमेरिकी तलवे तो चाट सकते हैं किंतु इस्लाम की सही समझ दुनिया में नहीं फैला सकते |<BR/>ये अरब लोग पैगम्बर के वंशज कहलाने के लायक नहीं हैं | इसीलिए आप का अमेरिका पर दोषारोपण करना मुझे खलता है |Varun Kumar Jaiswalhttps://www.blogger.com/profile/06755807348407548036noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1092512980772873719.post-70596438355420571472008-12-28T13:13:00.000+05:302008-12-28T13:13:00.000+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Varun Kumar Jaiswalhttps://www.blogger.com/profile/06755807348407548036noreply@blogger.com