बीजेपी के पास अब भी वक्त है, मत खेलों जज्बातों से
पांच राज्यों के चुनाव नतीजे सभी को पता चल चुके हैं और अगले दो – चार दिनों में सभी जगह विश्लेषण के नाम पर तमाम तरह की चीड़फाड़ की जाएगी। इसलिए बहती गंगा में चलिए हम भी धो लेते हैं। हालांकि चुनाव तो पांच राज्यों में हुए हैं लेकिन मैं अपनी बात दिल्ली पर केंद्रित करना चाहूंगा। क्योंकि दिल्ली में बीजेपी ने प्रचार किया था कि किसी और राज्य में हमारी सरकार लौटे न लौटे लेकिन दिल्ली में हमारी सरकार बनने जा रही है और पूरे देश को दिल्ली की जनता ही एक संदेश दे देगी। इसके बाद मुंबई पर आतंकवादी हमला हुआ और जैसे बिल्ली के भाग्य से छींका टूटने वाली कहावत सच होती नजर आई। अगले दिन बीजेपी ने अखबारों में बहुत उत्तेजक किस्म के विज्ञापन आतंकवाद के मुद्दे पर जारी किए। जिनकी भाषा आपत्तिजनक थी। चुनाव आयोग तक ने इसका नोटिस लिया था। मीडिया के ही एक बड़े वर्ग ने दिल्ली में कांग्रेस के अंत की कहानी बतौर श्रद्धांजलि लिख डाली। यहां तक कि जिस दिन मतदान हुआ, उसके लिए बताया गया कि वोटों का प्रतिशत बढ़ने का मतलब है कि बीजेपी अब और ज्यादा अंतर से जीत रही है। इस माउथ पब्लिसिटी का नतीजा यह निकला कि 7 दिसंबर तक कांग्रेस ख