जिन्ना का जिन्न
जिन्ना नामक जिन्न फिर बाहर निकल आया है। इस बार न तो संघ परिवार (RSS Family) में और न ही बीजेपी में वैसी बेचैनी दिखी जैसी लालकृष्ण आडवाणी की जिन्ना पर टिप्पणी के समय दिखी थी। बीजेपी में हैसियत के नेता माने जाने वाले और कभी विदेश मंत्री रह चुके जसवंत सिंह ने लगभग वही बातें दोहराईं जो आडवाणी ने पाकिस्तान में जाकर कहीं थीं और भारत वापस आते ही संघ परिवार ने उनकी छीछालेदर में कोई कमी नहीं छोड़ी। आखिर अब ऐसा क्या हुआ कि संघ परिवार इस पर प्रतिक्रिया देने तक को तैयार नहीं है। मुझे तो यही लगता है कि जरूर इसके पीछे जरूर कोई निहितार्थ (Reasons) है। निहितार्थ शब्द का इस्तेमाल बीजेपी और संघ के लोग काफी करते हैं इसलिए मैंने भी उसी शब्द का इस्तेमाल किया है। अब विश्लेषण करते हैं कि आखिर वे निहितार्थ क्या हो सकते हैं। उमा भारती, मदनलाल खुराना, कल्याण सिंह, गोविंदाचार्य से लेकर वसंधुरा राजे सिंधिया ने बीजेपी को उसकी औकात बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी इसलिए इस पर अनावश्यक चर्चा कर संघ और बीजेपी बाकी राजनीतिक दलों को मौका नहीं देना चाहती है कि वे बवाल को आगे बढ़ाएं। लगभग हर राज्य में इस समय बीजेपी संगठन में