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राष्ट्रभक्ति क्या है...क्या सारा ठेका सिर्फ सिर्फ एक पार्टी के पास है ?

देशभक्ति के नाम पर देश में अराजकता का माहौल बनाया जा रहा है...जेएनयू जल रहा है...वहां के स्टूडेंट्स को देशद्रोही बताया जा रहा है...यहां तक कि कुछ पत्रकारों ने इस प्रचार युद्ध को संभाल लिया है कि जो देश की सत्तारुढ़ पार्टी के खिलाफ है, वह देशद्रोही है। प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू होने से पहले बीजेपी के नेता पूछते हैं कि आप भारत माता के साथ हो या जेएनयू वालों के साथ...कितनी शर्मनाक स्थिति है। दरअसल राष्ट्रभक्ति क्या है...इस पर मैं कई दिनों से विचार कर रहा था। बार-बार दिमाग में कन्हैया कुमार का चेहरा घूमता रहा, जिसे देशद्रोह के नाम पर जेल में बंद कर दिया गया। देश के बहुत बड़े कानूनविद और पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी जो अटल बिहारी वाजपेयी के समय एजी थे, उन्होंने आज कहा कि जिस देशद्रोह के आरोप कन्हैया कुमार को बंद कर दिया है, वह कोई आरोप नहीं है। सोराबजी अपने स्पष्ट विचारों के लिए उस वक्त भी जाना जाता था। उनका बयान आप आज के इंडियन एक्सप्रेस में पढ़ सकते हैं। इसके बाद मुझे सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार की फेसबुक वॉल पर जाने का मौका मिला तो वहां उन्होंने एक कहानी के जरिए राष्ट्रभक्ति के

अखंड राष्ट्र में रोहितों की पिटाई

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                                                सबसे पहले लेखक का डिसक्लेमर  इस सड़ेगले लेख से अगर किसी की भावनाएं आहत हो रही हैं तो उसे दिल पर मत ले। दरअसल इसे चुनावी मिशन 2019 और उपमिशन यूपी 2017 के मद्देनजर लिखा गया है। यह एक पैगाम है, जहां तक पहुंचे...  ................................................................................................................................................ राष्ट्रवादी देश की राजधानी में साहब का विरोध अगर कोई उसके जन्मदाता मुख्यालय के सामने करेगा तो क्या पुलिस हाथ पर दही जमाकर बैठी रहेगी। ... जन्मदाता मुख्यालय की रक्षा आखिरकार पुलिस को ही तो करना है ... रोहित वेमुला की आत्महत्या पर जिनका दिल नहीं पसीजा ... वे जन्मदाता मुख्यालय की रक्षा कर रहे हैं तो क्या गलत कर रहे हैं ... जनता तो राष्ट्रवाद का पैग लेकर नशे में डूब गई है ... तो कौन बचाएगा उस झंडे वाली गली में बने मुख्यालय को ...   तीन-चार दिन से कलम के लठैत इस मुद्दे पर अखबार से लेकर चैनलों पर मछली बाजार

दोस्तों...अमीरी कैसे बढ़ती है

जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार की कलम से ............................................................................. रिजर्व बैंक एक पत्र लिख कर उस बैंक को देगा जिसमें भारत सरकार का खाता है मान लीजिये स्टेट बैंक में भारत सरकार का खाता है तो रिजर्व बैंक से स्टेट बैंक को एक पत्र आएगा कि भारत सरकार के खाते में नब्बे लाख करोड़ लिख दीजिये तो भारत सरकार मानेगी कि उसके पास अब पैसा आ गया अब भारत सरकार उस पैसे को लोहा कंपनियों को देगी जिनसे उसे रेल पटरियां डालने के लिए लोहा खरीदना है लोहा कंपनी उसे अपने कर्मचारी के खाते में डालेगी कर्मचारी उस से कपड़ा, शिक्षा, चिकित्सा और यातायात के साधन, खरीदेगा कपड़ा, शिक्षा, चिकित्सा और यातायात के साधन, तो देश में बढे नहीं लेकिन नब्बे लाख रुपया बढ़ गया जो बढ़ जाता है उसकी कीमत कम हो जाती है रुपया बढ़ा तो रूपये की कीमत कम हो जायेगी जो नहीं बढ़ा उसकी कीमत बढ़ जाती है कपड़ा, शिक्षा, चिकित्सा और यातायात के साधन, की कीमत बढ़ जायेगी साथ में दाल सब्जी मछली दूध की कीमत भी बढ़ जायेगी जिसे आप कहेंगे कि महंगाई बढ़ गयी बिना उत्पादन बढ़ाये

आसमान पर शैतानी पतंगें

आओ पतंग उड़ाना सीखें कानून के हाथ से पतंग की डोर लंबी होती है वह डोर बांध लेती है अपने मोहपाश में सभी को नेता को, अभिनेता को, दलाल को, इंसाफकारों को उसके पेच में फंस जाते हैं सब फुटपाथ पर सोने वाले भी दम तोड़ देते हैं इसमें अक्सर फंसकर उन्हें पता नहीं होता, उड़ाने वाला तो कहीं और बैठा होता है छिपकर फंसता है जब पतंगबाज तो कानून, नेता बचाने निकल पड़ते हैं मिलकर    पतंगों की जाल में उलझा है यह देश तरह-तरह की शक्ल वाली पतंगें हैं आसमान पर मुद्दों से भटके देश में शैतानी पतंगें हैं आसमान पर असहनशीलता, नाइंसाफी, दंगाइयों की पतंगें हैं आसमान पर आखिर किस रहबर पर ऐतबार है हम सब को क्यों इंसाफ का इंतजार 'यूसुफ किरमानी' है तुमको