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बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेजबहादुर यादव की पत्नी का दर्द कौन जाने...

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क्या #करप्शन के खिलाफ आवाजा उठाना गलत है...लेकिन #बीएसएफ जवान तेजबहादुर यादव को बर्खास्त करने से तो यही साबित होता है कि बीएसएफ में खाने की खराब क्वॉलिटी पर सवाल उठाने पर यही नतीजा होगा... #तेजबहादुरयादव का एक #विडियो वायरल हुआ था, जिसमें बताया गया था कि किस तरह वह #सियाचिन मोर्चे पर तैनात हैं और किस तरह पानी वाली दाल और जली हुई रोटियां उन लोगों को खिलाई जा रही हैं। बीएसएफ ने तेजबहादुर का कोर्टमार्शल करने के बाद यह सजा बुधवार को सुनाई। अगर उनकी पत्नी अपने विडियो संदेश के जरिए दुनिया को यह न बताती कि उनके पति को बर्खास्त कर दिया गया है तो हम लोगों को यह पता भी न चलता। ...हैरानी की बात है कि तेजबहादुर यादव के परिवार को उन #राष्ट्रवादियों का भी साथ नहीं मिला जो रातदिन भारत माता की जय बोलकर #राष्ट्रीयता की अलख जलाए रखते हैं। हमने आपने इन राष्ट्रवादियों को सत्ता इस उम्मीद से सौंपी थी कि चलो अब हर तरह के करप्शन खत्म हो जाएंगे।... हमें अपने देश की सेना पर बड़ा मान है।...कितनी दुर्गम जगहों पर हमारे जवान मोर्चे पर तैनात रहते हैं। अगर इन जवानों को कुछ शिकायत है तो उसे दूर किया जाना चाहि

हिंदी कविता : सन्नाटा और गीतफरोश : Sannata and GeetFarosh : Bhawani Prasad Mishr

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भवानी प्रसाद मिश्र की एक और मशहूर कविता- गीतफरोश

ईवीएम मशीनों से कराए गए चुनाव का काला सच....

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यह वायरल विडियो बताता है कि ईवीएम मशीनों का काला सच क्या है... देश को ईवीएम मशीनों के जरिए लाया गया लोकतंत्र नहीं चाहिए.... ऐसे मतदान पर कैसे भरोसा हो, जिसमें सत्ताधीशों की नीयत खराब हो... ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी करके भारतीय लोकतंत्र के साथ साजिश की जा रही है.... आखिर जनता कब जागेगी और इस नाजायज हरकत का विरोध कब करेगी... भारतीय लोकतंत्र में ऐसे बुरे दिन कभी नहीं आए...यह इमरजेंसी से भी बुरा दौर है... जिन राजनीतिक दलों के नेताओं व कार्यकर्ताओं को सड़कों पर उतरकर इसका विरोध करना चाहिए था...वे घरों में सो रहे हैं....यहां तक कि जिस पार्टी ने सबसे पहले ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी करके चुनाव जीतने का आरोप लगाया था, उस पार्टी के नेता व वर्कर भी सो रहे हैं...उनमें जरा भी साहस नहीं है कि वे सड़कों पर आकर इसका खुला विरोध करें... चुनाव में ईवीएम मशीनों के दुरुपयोग की कहानी सामने आने लगी है। यूपी चुनाव नतीजों के बाद जब भारतीय जनता पार्टी के मुकाबले बाकी राजनीतिक दलों की सीटें बहुत कम आईं तो इन मशीनों पर सवाल उठे। बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया..

महिलाओं पर अत्याचार को बतातीं 4 कविताएं

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ये हैं परितोष कुमार  'पीयूष' जो बिहार में जिला मुंगेर के जमालपुर निवासी है। हिंदीवाणी पर पहली बार पेश उनकी कविताएं नारीवाद से ओतप्रोत हैं। ...लेकिन उनका नारीवाद किसी रोमांस या महिला के नख-शिख का वर्णन नहीं है।...बल्कि समाज में महिलाओं पर होने वाले अत्याचार पर उनकी पैनी नजर है। गांव के पंचायत से लेकर शहरों में महिला अपराध की कहानियां या समाचार उनकी कविता की संवेदना का हिस्सा बन जाते हैं।...उनकी चार कविताओं में ...आखिर मैं पीएचडी नहीं कर पायी...मुझे बेहद पसंद है। बीएससी (फिजिक्स) तक पढ़े परितोष की रचनाएं तमाम साहित्य पत्र-पत्रिकाओं में, काव्य संकलनों में प्रकाशित हो चुकी हैं। वह फिलहाल अध्ययन व स्वतंत्र लेखन में जुटे हुए हैं। ठगी जाती हो तुम ! पहले वे परखते हैं तुम्हारे भोलेपन को तौलते हैं तुम्हारी अल्हड़ता नांपते हैं तुम्हारे भीतर संवेदनाओं की गहराई फिर रचते हैं प्रेम का ढोंग फेंकते है पासा साजिश का दिखाते हैं तुम्हें आसमानी सुनहरे सपने जबतक तुम जान पाती हो उनका सच उनकी साजिश वहशी नीयत के बारे में वे तुम्हारी इजाजत से टटोलते हुए तुम्हारे वक्षों की

आरती तिवारी की चार कविताएं

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आरती तिवारी मध्य प्रदेश के मंदसौर से हैं। हिंदीवाणी पर उनकी कविताएं पहली बार पेश की जा रही हैं। आरती किसी परिचय की मोहताज नहीं है। तमाम जानी-मानी पत्र-पत्रिकाओं में उनकी असंख्य रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रगतिशील लेखक संघ से भी वह जुड़ी हुई हैं।...हालांकि ये कविताएं हिंदीवाणी ब्लॉग के तेवर के थोड़ा सा विपरीत हैं...लेकिन उम्मीद है कि पाठकों को यह बदलाव पसंद आएगा... तेरे-मेरे वो पल प्रेम के वे पल जिन्हें लाइब्रेरी की सीढ़ियों पे बैठ हमने बो दिए थे   बंद आंखों की नम ज़मीन पर उनका प्रस्फुटन   महसूस होता रहा   कॉलेज छोड़ने तक संघर्ष की आपाधापी में   फिर जाने कैसे विस्मृत हो गए   रेशमी लिफाफों में तह किये वादे जिन्हें न बनाये रखने की   तुम नही थीं दोषी प्रिये   मैं ही कहां दे पाया भावनाओं की थपकी   तुम्हारी उजली सुआपंखी आकांक्षाओं को   जो गुम हो गया कैरियर के आकाश में लापता विमान सा तुम्हारी प्रतीक्षा की आँख क्यों न बदलती आखिर   प्रतियोगी परीक्षाओं में   तुम्हें तो जीतना ही था! हां, तुम डिज़र्व जो करती थीं ! हम मिले क्षितिज पे   अपना अपना आकाश   हमने सहेज

मुस्लिम वोट बैंक किसे डराने के लिए खड़ा किया गया ?

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मेरा यह लेख आज (16 मार्च 2017)  नवभारत टाइम्स में प्रकाशित हो चुका है। अखबार में आपको इस लेख का संपादित अंश मिलेगा, लेकिन सिर्फ हिंदीवाणी पाठकों के लिए उस लेख का असंपादित अंश यहां पेश किया जा रहा है...वही लेख नवभारत टाइम्स की अॉनलाइन साइट एनबीटी डॉट इन पर भी उपलब्ध है। कृपया तीनों जगह में से कहीं भी पढ़ें और मुमकिन हो तो अन्य लोगों को भी पढ़ाएं... यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजों ने जिस तरह मुस्लिम राजनीति को हाशिए पर खड़ा कर दिया है, उसने कई सवालों को जन्म दिया है। इन सवालों पर गंभीरता से विचार के बाद संबंधित स्टेकहोल्डर्स को तुरंत एक्टिव मोड में आना होगा, अन्यथा अगर इलाज न किया गया तो उसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। इसलिए मुस्लिम राजनीति पर चंद बातें करना जरूरी हो गया है। एक लंबे वक्त से लोकसभा, राज्यसभा और तमाम राज्यों की विधानसभाओं में मुस्लिम प्रतिनिधित्व लगातार गिरता जा रहा है। तमाम राष्ट्रीय और रीजनल पार्टियों में फैले बहुसंख्यक नेतृत्वकर्ताओं ने आजम खान, शाहनवाज खान तो पैदा किए और ओवैसी जैसों को पैदा कराया लेकिन एक साजिश के तहत कानून बनाने वाली संस्थाओं में मुस्लिम प्रतिनिधि

...क्योंकि गुरमेहर कौर के विचारों से तुम डरते हो

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(This article first appeared in Nav Bharat Times online Blog Hindivani) किसी को अगर अभी मुगालता है कि भगवा ब्रिगेड से जुड़े संगठन, केंद्रीय मंत्री, पार्टी नेता देश की राष्ट्रीय अस्मिता बचाने के लिए जेएनयू (JNU) के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में भी कोई महान काम कर रहे हैं तो उन्हें अपनी गलतफहमी दूर कर लेनी चाहिए। ...लेडी श्रीराम ( LSR ) कॉलेज की छात्रा गुरमेहर कौर (#GurmeharKaur) ने अब खुद को सारे प्रदर्शनों से अलग कर लिया है। उसने कहा है कि वो अपने कैंपेन से पीछे हट रही है और जिसका जो भी मन आए करे। ....आप लोगों के लिए यह एक वाक्य हो सकता है लेकिन इसके पीछे छिपी टीस को अपने क्या महसूस किया। ....गुरमेहर ने भगवा ब्रिगेड (SaffronBrigade) की गुंडागर्दी के खिलाफ आवाज उठाई और चंद ट्वीट किए...सिर्फ इतनी ही बात पर उसे रेप की धमकी दी गई...इतनी ही नहीं देश का जिम्मेदार गृह राज्यमंत्री किरन रिजिजू बयान देता है कि आखिर ऐसे लोगों को सिखाता कौन है यानी गुरमेहर ने कुछ लोगों के सिखाने में आकर गुंडागर्दी के खिलाफ आवाज उठाई। कुछ और मंत्री भी गुरमेहर की निंदा करने से पीछे नहीं रहे...। क्या र