संदेश

नफरतों के कारोबार के खिलाफ लोग सड़कों पर

चित्र
अब रोके से न रुकेगा यह सैलाब भारत की यही खूबसूरती है कि फूट डालो और राज करो वाली चाणक्य नीति से राज चलाने वालों को समय-समय पर मुंहतोड़ जवाब देती है। भारत ने 28 जून को सिर्फ दिल्ली या मुंबई में ही यह जवाब नहीं दिया, बल्कि लखनऊ, पांडिचेरी, त्रिवेंद्रम, जयपुर, कानपुर, भोपाल...में भी नफरतों का कारोबार करने वालों को जवाब देने के लिए लोग भारी तादाद में जुटे।...यह आह्वान किसी राजनीतिक दल या सामाजिक संगठन का नहीं था, बल्कि एक फेसबुक पोस्ट के  जरिए लोगों से तमाम जगहों पर #जुनैद, #पहलू खान, #अखलाक अहमद, रामबिलास महतो की हत्या के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने के लिए कहा गया था। ...लोग आए और #सांप्रदायिक गुंडों को बताया कि देखो हम एक हैं...हम तुम्हारी फूट डालो और राज करो वाली #चाणक्य नीति से सहमत नहीं हैं...यानी Not In My Name (#NotInMyName) आइए विडियो और फोटो के जरिए जानें और देखें कि लोगों ने किस तरह और किन आवाज में अपना विरोध दर्ज कराया... जंतर मंतर दिल्ली पर हुए कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें...

मैं चलती ट्रेन में आतंक बेचता हूं...

चित्र
मैं उन्माद हूं, मैं जल्लाद हूं मैं हिटलर की औलाद हूं मैं धार्मिक व्यभिचार हूं मैं एक चतुर परिवार हूं मैं चलती ट्रेन में आतंक बेचता हूं मैं ट्रकों में पहलू खान खोजता हूं मैं घरों में सभी का फ्रिज देखता हूं मैं हर बिरयानी में बीफ सोचता हूं मैं एक खतरनाक अवतार हूं मैं नफरतों का अंबार हूं मैं दोधारी तलवार हूं मैं दंगों का पैरोकार हूं मैं आवारा पूंजीवाद का सरदार हूं मैं राजनीति का बदनुमा किरदार हूं मैं तमाम जुमलों का झंडाबरदार हूं मैं गरीब किसान नहीं, साहूकार हूं मुझसे यह हो न पाएगा, मुझसे वह न हो पाएगा और जो हो पाएगा, वह नागपुरी संतरे खा जाएगा फिर बदले में वह आम की गुठली दे जाएगा  मेरे मन को जो सुन पाएगा, वह "यूसुफ" कहलाएगा  ........कवि का बयान डिसक्लेमर के रूप में........ यह एक कविता है। लेकिन मैं कोई स्थापित कवि नहीं हूं। इस कविता का संबंध किसी भी राजनीतिक दल या व्यक्ति विशेष से नहीं है। हालांकि कविता राजनीतिक है। हम लोगों की जिंदगी अराजनीतिक हो भी कैसे सकती है। आखिर हम लोग मतदाता भी हैं। हम आधार कार्ड वाले लोगों के आस

नफरतों का संगठित कारोबार...बल्लभगढ़ से श्रीनगर तक

Organized Hate Business from Ballabhgarh to Srinagar चिदंबरम ने बतौर होम मिनिस्टर कभी कहा था कि देश में भगवा आतंकवाद फैल रहा है।...मैंने उस वक्त उनके उस बयान की बड़ी निंदा की थी, क्योंकि वह सच नहीं था।...लेकिन अभी अपने देश में जिस तरह एक भीड़ किसी को घेर कर इसलिए मार देती है कि उसने दाढ़ी रखी है... सिर पर टोपी है...और वह लोग मीट खाते हैं...तो इस अपराध को आप किस श्रेणी में रखना चाहेंगे।... मेरे एक अभिन्न संघी मित्र घटना से आहत हैं और बार-बार लिख रहे हैं कि वह बल्लभगढ़ में ट्रेन में कुछ मुस्लिम युवकों पर हुए हमले और एक की हत्या से बहुत आहत हैं...लेकिन उनका आग्रह है कि इसे हिंदू आतंकवाद न कहा जाए....मैंने अपने मित्र से कहा कि न तो आपकी पोस्ट पर किसी ने ऐसा कमेंट किया और न ही मैंने आपसे ऐसा कहा...फिर आप परेशान क्यूं हैं....संघी मित्र का कहना है कि देर-सवेर यह मामला यही रूप लेगा और हिंदू आतंकवाद शब्द फिर से कहा जाने लगेगा। कम से कम उदार हिंदू जो हमारे काम से प्रभावित होकर हमारे साथ जुड़े हैं वे फिर छिटक जाएंगे... ....मैं नहीं जानता कि देश के बाकी मुसलमान बल्लभगढ़ की घटना को किस

एक घोर सांप्रदायिक शख्स का राष्ट्रपति बनना...

देश की सत्तारूढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी अन्य दलों ने बिहार के गवर्नर रामनाथ #कोविंद को #राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के रूप में चुना है। भारतीय इतिहास में इतने बड़े पद पर कभी इतने ज्यादा विवादित व्यक्तित्व के मालिक को इस पद का प्रत्याशी नहीं बनाया गया। कोविंद अभी चुने नहीं गए हैं लेकिन उनके विवादित और भ्रष्ट आचरण को लेकर तमाम आरोप सामने आ रहे हैं। लेकिन हम यहां कुछ ठोस मुद्दे पर बात करेंगे। यह जो रामनाथ कोविंद है न...यह घोर #सांप्रदायिक हैं....कैसे.... 2010 में इस कोविंद ने कहा था कि ईसाई और मुसलमान इस देश के लिए एलियन हैं। "Islam and Christianity are alien to the nation." यानी मुसलमान और ईसाई भारत में आए हुए दूसरे ग्रह के प्राणी हैं। इस शख्स ने यह बात क्यों कही थी... 2010 में जस्टिस रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट आई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को सरकारी नौकरियों में 15 फीसदी रिजर्वेशन दिया जाए। कोविंद तब बीजेपी के प्रवक्ता थे, उन्होंने मिश्रा आयोग की सिफारिशों का विर

चुप रहिए न...विकास हो रहा

कहिए न कु छ विकास हो रहा बोलिए न कुछ विकास हो रहा टीवी-अखबार भी बता रहे विकास हो रहा झूठी हैं तुम्हारी आलोचनाएं हां, फर्जी हैं तुम्हारी सूचनाएं जब हम कह रहे हैं  तो विकास हो रहा देशभक्त हैं वो जो  कह रहे विकास हो रहा गद्दार हैं वो जो  कह रहे विनाश हो रहा मक्कार हैं वो जो कर रहे गरीबी की बातें चमत्कार है, अब कितनी  सुहानी हैं रातें कमाल है, तीन साल के लेखे-जोखे पर तुम्हें यकीन नहीं इश्तेहार में इतने जुमले भरे हैं फिर भी तुम्हें सुकून नहीं अरे, सर्जिकल स्ट्राइक का  कुछ इनाम तो दो इसके गहरे हैं निहितार्थ कुछ लगान तो दो अरे भक्तों, अंधभक्तों, यूसुफ  कैसे लिखेगा तुम्हारा यशोगान हां, समय लिखेगा, उनका  इतिहास जो चुप रहे और  गाते रहे सिर्फ देशगान कॉपीराइट यूसुफ किरमानी, नई दिल्ली Copyright Yusuf Kirmani, New Delhi

लाल बत्ती से पब्लिक को क्या लेना - देना

वीआईपी गाड़ियों से लाल बत्ती वापस लेकर क्या केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है...दरअसल, यह शहरी मध्यम वर्गीय लोगों की एक पुरानी मांग थी, जिस पर सरकार को यह फैसला लेना पड़ा। ...वरना गांव के किसानों...गरीबों...रोज की दिहाड़ी कमाने वाले मजदूरो...को इन लाल बत्तियों से लेना-देना नहीं था। उन्हें इस बात से रत्ती भर फर्क पड़ने वाला नहीं है कि उनके सामने या पास से कौन #लालबत्ती से गुजरा। ...नरेंद्र #मोदी समेत तमाम असंख्य मंत्रियों और उनकी पार्टी के नेताओं को अच्छी तरह मालूम है कि जब तक ये लोग सत्ता से बाहर रहे तो इन्होंने शहरी मध्यम वर्गीय लोगों के बीच एक माहौल बनाया कि लाल बत्ती एक #वीआईपी कल्चर है और इसे खत्म होना चाहिए। क्योंकि तब #कांग्रेस सत्ता में थी और उसका छुटभैया नेता भी लाल बत्ती लगाए घूमता था। मेरा खुद का अनुभव है कि शहरी मध्यम वर्ग लाल बत्ती को बहुत अच्छी निगाह से नहीं देखता। कई ऐसे मामले भी सामने आए, जब लाल बत्ती वाली गाड़ियां तमाम तरह के अपराधों में लिप्त पाई गईं।...#भारतीयजनतापार्टी अभी भी शहरी मध्यम वर्गीय लोगों की पार्टी है।...इसलिए इस वर्ग को खुश करने के लिए उसने यह कदम

बीएसएफ से बर्खास्त जवान तेजबहादुर यादव की पत्नी का दर्द कौन जाने...

चित्र
क्या #करप्शन के खिलाफ आवाजा उठाना गलत है...लेकिन #बीएसएफ जवान तेजबहादुर यादव को बर्खास्त करने से तो यही साबित होता है कि बीएसएफ में खाने की खराब क्वॉलिटी पर सवाल उठाने पर यही नतीजा होगा... #तेजबहादुरयादव का एक #विडियो वायरल हुआ था, जिसमें बताया गया था कि किस तरह वह #सियाचिन मोर्चे पर तैनात हैं और किस तरह पानी वाली दाल और जली हुई रोटियां उन लोगों को खिलाई जा रही हैं। बीएसएफ ने तेजबहादुर का कोर्टमार्शल करने के बाद यह सजा बुधवार को सुनाई। अगर उनकी पत्नी अपने विडियो संदेश के जरिए दुनिया को यह न बताती कि उनके पति को बर्खास्त कर दिया गया है तो हम लोगों को यह पता भी न चलता। ...हैरानी की बात है कि तेजबहादुर यादव के परिवार को उन #राष्ट्रवादियों का भी साथ नहीं मिला जो रातदिन भारत माता की जय बोलकर #राष्ट्रीयता की अलख जलाए रखते हैं। हमने आपने इन राष्ट्रवादियों को सत्ता इस उम्मीद से सौंपी थी कि चलो अब हर तरह के करप्शन खत्म हो जाएंगे।... हमें अपने देश की सेना पर बड़ा मान है।...कितनी दुर्गम जगहों पर हमारे जवान मोर्चे पर तैनात रहते हैं। अगर इन जवानों को कुछ शिकायत है तो उसे दूर किया जाना चाहि