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गोडसे को गाली दे चुके हों तो मैं कुछ अर्ज करूं

अगर आप लोग भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर का आतंकवादी नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताने पर रो-धो चुके हैं, उसे सोशल मीडिया पर खूब गाली दे चुके हों तो मैं कुछ अर्ज करूं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ कि इस महिला ने गोडसे को देशभक्त बताया हो। उसे जब-जब भाजपा और चालाक जातियों वाले सांस्कृतिक गिरोह का इशारा होता है वह गोडसे को देशभक्त बता देती है।... यह सब जानबूझकर किया जा रहा है। आप लोगों को शिकारी अपनी जाल में फंसा रहा है। महाराष्ट्र का राजनीतिक युद्ध हारते ही गोडसे को विवाद के केंद्र में लाया जा रहा है ताकि उसके माफी गुरु को इस बार गणतंत्र दिवस पर जब भारत रत्न देने की घोषणा हो तो मराठियों का सीना गर्व से फूल उठे। महाराष्ट्र में दो या ज्यादा से ज्यादा तीन साल में विधानसभा चुनाव होना तय है। अगर मराठियों के वोट की कीमत माफी गुरु को भारत रत्न और गोडसे को देशभक्त की उपाधि है तो भगवा गिरोह के हिसाब से सौदा उतना बुरा नहीं है। आप देखेंगे कि संसद में जब उस शाप देने वाली महिला ने गोडसे को देशभक्त बताया तो इसे पहले टीवी चैनलों पर चलवा दिया गया, सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और कई घंटे बाद लोकसभा अ

सतीश मुख्तलिफ की कविता : हत्यारे और बलात्कारी, सब नुमाइंदे बन बैठे

खरोंच-खरोंच कर खा गए, खोखला बना दिया  चंद गुजरातियों ने मुल्क को ढोकला बना दिया कहां तो देश सोने की चिड़िया हुआ करता था जाहिलों ने इसे कौव्वों का घोंसला बना दिया हत्यारे और बलात्कारी, सब नुमाइंदे बन बैठे क़ानूनी तौर-तरीकों को ढ़कोसला बना दिया मीडिया को पोपट और प्रवक्ताओं को जोकर विपक्ष को गूंगा, जनता को तोतला बना दिया  विकास के नारे फक़त कुर्सी तक सिमट गए   चुनावी वादों को फ़क़त जुमला बना दिया  ज़ुर्म के ख़िलाफ़ बोलना भी अब ज़ुर्म हो गया  गलत - सही के फ़र्क़ को, धुंधला बना दिया  अरे अक़्ल के दुश्मनों, ज़रा अक़्ल से काम लो   अंधभक्ति ने तुम्हारी तुमको दोगला बना दिया  गर्दन पे लिए फिरते हो अपनी, सैकडों चेहरे रीढ़ की हड्डी को अपनी, खोखला बना दिया   सतीश मुख़्तलिफ़

क्योंकि वे मुसलमान थे...

सुनो ऐ अल्लाह वालों...सुनो ऐ मोहम्मद के अनुयायियों सुनो... आप सभी को ईद मिलादुन नबी बहुत मुबारक हालाँकि मैं खुद 17 रबी उल अव्वल को पैगंबर साहब का जन्मदिन मनाता हूँ। ख़ैर यह कोई मसला नहीं है, जिसका जब दिल करे मनाये। यह पहली ऐसी मिलादुन नबी है जब आप उदास हैं। हालाँकि आपकी ख़ामोशी ने उन धार्मिक आतंकियों को हरा दिया है, जिनके मंसूबे कुछ और थे। क्या कोई अदालती फ़ैसला आपका मुस्तकबिल (भविष्य) बदल देगा... ज़रा अपने हंगामाखेज और गौरवशाली अतीत पर नज़र डालिए...याद कीजिए... क्या आप भूल गए...जब आपके पास न हवाई जहाज थे, न मिसाइलें थी, ऐसे वक्त में आप अपने घोड़े दौड़ाते हुए रेगिस्तान, पहाड़, नदियों को रौंदते हुए आए और भारत वर्ष पर छा गए। उस वक्त आपके पास गोला बारूद था। आपने धनुष बाण वालों को गोला बारूद का फॉरमूला दिया और बताया कि युद्ध कैसे जीते जाते हैं। आपने ख़ैरात, ज़कात, खुम्स से दूसरों की ग़ुरबत को मिटा दिया। आपने खाने-पीने, जिंदगी जीने का नया हुनर दिया जो तब तक इन मामलों में पिछड़े हुए थे। आपने यहाँ की धरती को अपना लिया। ख़ून पसीने से सींचने लगे। महल तैयार कर दिये। लाल क़िला खड़ा क

मुसलमानों के पास खोने को क्या है...

अयोध्या में राम मंदिर बनेगा या बाबरी मस्जिद को उसकी जगह वापस मिलने का संभावित फ़ैसला आने में अब कुछ घंटे बचे हैं। सवाल यह है कि अगर फ़ैसला मंदिर के पक्ष में आया तो मुसलमान क्या करेंगे... मुसलमानों को एक बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि इस सारे मामले में न तो उनका कुछ दाँव पर लगा है और न ही उनके पास कुछ खोने को है। अगर इस मामले में किसी का कुछ दाँव पर लगा है या कुछ खोने को है तो वह हैं दोनों धर्मों के उलेमा, राजनीतिक नेता, उनके दल, महंत, शंकराचार्य, अखाड़ों और बिज़नेसमैन बन चुके बाबा।  जिस जगह पर विवाद है, वहाँ पाँच सौ साल से विवाद है। अयोध्या में पहने वाले मुसलमानों ने तो वहाँ जाकर एक बार भी नमाज़ पढ़ने की कोशिश नहीं की। फिर बाहरी मुसलमान आज़म खान और अौवैसी ने क्या वहाँ कभी जाकर नमाज़ पढ़ने की कोशिश नहीं की। मेरे वतन के मुसलमान अयोध्या और फ़ैज़ाबाद की मस्जिदों में शांति से नमाज़ पढ़ रहे हैं। अगर फ़ैसला मस्जिद के पक्ष में भी आ जाता है तो भी अयोध्या में रहने वाले मुसलमान पुरानी जगह पर नमाज़ पढ़ने के लिए नहीं जायेंगे। आज़म या ओवैसी रोज़ाना तो आने से रहे। इसलिए फ़ैसला

कश्मीर डायरी ः सियासी मसले बुलेट और फौज से नहीं सुलझते....

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जम्मू कश्मीर में 5 अगस्त को जब भारत सरकार ने धारा 370 खत्म कर दी और सभी प्रमुख दलों के नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया तो उन नेताओं में सीपीएम के राज्य सचिव और कुलगाम से विधायक यूसुफ तारिगामी भी थे। उनकी नजरबंदी को जब  एक महीना हो गया तो सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की कि उनके कश्मीरी नेता यूसुफ तारिगामी की सेहत बहुत खराब है। उन्हें फौरन रिहा किया जाए ताकि उनका इलाज कराया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ यूसुफ तारिगामी की रिहाई का आदेश दिया बल्कि उन्हें दिल्ली के एम्स में लाकर इलाज कराने का निर्देश भी दिया। यूसुफ तारिगामी एम्स में इलाज के बाद ठीक हो गए और वहां से दिल्ली में ही जम्मू कश्मीर हाउस में चले गए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में केस अभी लंबित है। मैंने उनसे जाकर वहां कश्मीर के तमाम मसलों पर बात की। जिसे आज नवभारत टाइम्स ने प्रकाशित किया। पूरी बातचीत का मूल पाठ मैं यहां दे रहा हूं लेकिन नीचे एनबीटी में छपी हुई खबर की फोटो ताकि सनद रहे के लिए भी लगाई गई है।.... सियासी मसले बुलेट और फौज से नहीं सुलझते Yusuf.Kirmani@timesgroup.com दिल्ली

एक भाषा के विरोध में

ये अमित शाह को क्या हो गया है...क्या उन्हें देश के भूगोल का ज्ञान नहीं है... आज सुबह-सुबह बोल पड़े हैं कि एक देश एक # भाषा होनी चाहिए। जो देश एक भाषा नहीं अपनाते वो मिट जाते हैं... अगर वो - एक देश - तक अपनी बात कहकर चुप रहते तो ठीक था लेकिन जिस देश में हर पांच कोस पर भाषा (बोली) बदल जाती है, वहां एक भाषा लागू करना या थोपने के बारे में सोचना कितना अन्यायपूर्ण है। हालांकि मैं खुद जबरदस्त हिंदीभाषी हूं और # हिंदी का खाता-बजाता हूं लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि जबरन कोई भाषा किसी पर थोपी जाए। दक्षिण भारत के तमाम राज्यों के लिए भाषा अस्मिता का प्रश्न है। क्या कोई मलियाली अपनी भाषा की पहचान खोना चाहेगा... क्या कोई # बंगाली अपनी भाषा पर किसी और भाषा को लादे जाते हुए देखना चाहेगा... क्या कोई # मराठी , क्या कोई # उड़िया , क्या कोई गारो-खासी, क्या कोई तमिल, क्या कोई गुरमुखी बोलने वाला पंजाबी अपनी भाषा की बजाय हिंदी को प्राथमिकता देना चाहेगा... दरअसल, यह सब - एक ड्रामा प्रतिदिन - के हिसाब से दिया जाने वाला बयान है। # अमितशाह का कोई बयान बेरोजगारी, गरीबी, किसानों

इस साज़िश को समझो मेरी जान

आप लोगों का यह शक सही लग रहा है कि हो न हो भारत की अर्थव्यवस्था के खिलाफ कांग्रेसी नेता, कश्मीरी अवाम और पाकिस्तान मिलकर कोई साज़िश कर रहे हैं।...लेकिन मोदी सरकार ने गिरती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए जिस तरह कांग्रेस नेताओं को गिरफ़्तार किया है, जिस तरह कश्मीर में 370 हटाया है, जिस तरह पाकिस्तान के मंसूबों को धूल चटाया है, वह क़ाबिले तारीफ़ है। जिस दिन भारतीय अर्थव्यवस्था में पाँच फ़ीसदी गिरावट का संकेत देने वाली जीडीपी की खबर आनी थी, ठीक उससे पहले चिदंबरम को गिरफ़्तार कर लिए गए। अगर चिदंबरम बाहर रहते तो हम लोगों को जीडीपी के गिरने पर गुमराह कर सकते थे। चिदंबरम को गिरफ़्तार करके मोदी शाह ने गिरती अर्थव्यवस्था को क़ाबू में कर लिया। आज शेयर बाज़ार और भारतीय रूपया जब शाम को औंधे मुँह गिरा तो उसके तुरंत बाद ईडी ने कर्नाटक के बड़े कांग्रेसी नेता डीके शिवकुमार के गिरफ़्तार कर लिया। अब ये शिवकुमार जब तक जेल में रहेगा तब तक न रूपया गिरेगा और न शेयर बाज़ार। मंदी के कंट्रोल के लिए शिव कुमार का जेल जाना ज़रूरी था।  मैं तो कहता हूँ कि धारा 370 नहीं हटती तो हमारी जीडीपी पाँ