चुप रहिए न...विकास हो रहा
कहिए न कु छ विकास हो रहा बोलिए न कुछ विकास हो रहा टीवी-अखबार भी बता रहे विकास हो रहा झूठी हैं तुम्हारी आलोचनाएं हां, फर्जी हैं तुम्हारी सूचनाएं जब हम कह रहे हैं तो विकास हो रहा देशभक्त हैं वो जो कह रहे विकास हो रहा गद्दार हैं वो जो कह रहे विनाश हो रहा मक्कार हैं वो जो कर रहे गरीबी की बातें चमत्कार है, अब कितनी सुहानी हैं रातें कमाल है, तीन साल के लेखे-जोखे पर तुम्हें यकीन नहीं इश्तेहार में इतने जुमले भरे हैं फिर भी तुम्हें सुकून नहीं अरे, सर्जिकल स्ट्राइक का कुछ इनाम तो दो इसके गहरे हैं निहितार्थ कुछ लगान तो दो अरे भक्तों, अंधभक्तों, यूसुफ कैसे लिखेगा तुम्हारा यशोगान हां, समय लिखेगा, उनका इतिहास जो चुप रहे और गाते रहे सिर्फ देशगान कॉपीराइट यूसुफ किरमानी, नई दिल्ली Copyright Yusuf Kirmani, New Delhi