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Gujrat Genocide लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वो दोनों किसी जमात में नहीं शामिल

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- यह लेख नवभारत टाइम्स की आनलाइन साइट nbt.in or navbharattimes.com पर भी उपलब्ध है... गुजरात में हुए जनसंहार (Gujarat Genocide) को एक दशक बीत चुके हैं। इसके अलावा भी इस दौरान और इसके बाद दंगों वाले कई शहरों में रहना और उस शहर को जीता रहा। तमाम तल्ख सच्चाइयों से रूबरू होता रहा। एक दशक बाद गुजरात के दंगों (Gujarat R iots ) पर बात होती है तो कहा जाता है कि गड़े मुर्दे उखाड़ने की अब क्या जरूरत है लेकिन गुजरात दंगों के दो चेहरों – कुतुबुद्दीन अंसारी और अशोक मोची – पर दंगों के बाद जो गुजरी औऱ अब इनके क्या विचार हैं, इससे जानना और लोगों तक इनकी बात पहुंचाना बहुत जरूरी है। गोधरा कांड के बाद गुजरात में दंगे शुरू हो गए और अखबारों में वहां की भयावह खबरे और फोटो सामने आने लगे। लोगों के मानसपटल पर दो फोटो उस वक्त जो छाए तो आज भी वो दो फोटोग्राफ भुलाए भी नहीं भूलते। एक फोटो कुतुबुद्दीन अंसारी का, जिसमें हाथ जोड़ते औऱ आंखों में आंसू लिए हुए अंसारी रहम की भीख मांगते हुए और दूसरा अशोक मोची का फोटो, जिसमें हाथ में रॉड और माथे पर दुपट्टा (आप समझ सकते हैं कि ये कौन सा दुपट्टा होता है) बांधे ए