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पहचानिए शब्दों की ताकत को

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अगर न होते शब्द लेखक - सागर कौशिक   लेखक का परिचय - सागर कौशिक दरअसल टीवी से जुड़े हुए पत्रकार हैं और जब-तब लिखते भी रहते हैं। उनका मानना है कि कुछ ऐसा लिखा जाए जो समाज के लिए भी सार्थक हो। उनके मुताबिक लोगों तक कुछ सकारात्मक बातें पहुंचाने के लिए वह कलम और कैमरे का इस्तेमाल करते हैं। उम्मीद है कि उनका यह लेख आपको पसंद आएगा। संपर्क - 361 , गली नं. 12 , वेस्ट गुरु अंगद नगर , लक्ष्मी नगर , दिल्ली-110092 बुजुर्गों की एक कहावत है: लात का घाव तो भर जाता है , नहीं भरता तो बातों का घाव! बातें , जो शब्दों से बनती है! शब्द , जिनसे इतिहास बनता है! शब्द , जिनसे जहां प्यार झलकता है , वहीं नफरत भी जन्म लेती है! शब्द , जो अपने आप में पूरे जहान को समेट लेता है , प्यार का इजहार भी तो इन्हीं शब्दों से ही होता है!   - जब बच्चा पहली बार बोलता है तो लगता है तीनों जहां की खुशियां जैसे सिमट कर ‘ मां ’ की झोली में गिर आई हैं! प्रेमिका भी तो अपने प्रेम का इजहार करने के लिए शब्दों का ही तो सहारा लेती है। लेकिन क्या कभी किसी ने सोचा कि इन शब्दों की अपनी एक ‘ ताकत ’ भी होती है। जैसे स