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दलित संघ और भाजपा की चाल समझें

दलित नेतृत्व आक्रामक क्यों नहीं हो रहा यह दिलचस्प है कि मीडिया के न चाहने के बावजूद दलित मुद्दा ख़बरों के केंद्र में आ गया है...लेकिन दलित नेतृत्व अभी भी उतना आक्रामक नहीं हो पाया है जितना उसे होना चाहिए...मसलन भाजपा के तमाम नेता उन दलित  सांसदों को अवसरवादी बता रहे हैं, जिन्होंने पिछले एक हफ़्ते में दलित उत्पीड़न के ख़िलाफ़ बयान दिया है। इन नेताओं की हिम्मत तभी बढ़ी जब उसने दलित नेतृत्व को आक्रामक नहीं पाया। इस चाल को समझना होगा .................................. भाजपा सांसद Udit Raj को इस सिलसिले में पहल करनी चाहिए। उन्हें चाहिए कि वह भाजपा के अंदर बाकी दलित सांसदों के साथ एक प्रेशर ग्रुप बना दें। अपनी माँगें स्पष्ट रखें और न मानी जाने पर पार्टी में विद्रोह करें। उदितराज ने कई लड़ाइयाँ लड़ी हैं। एक और सही। यह बहुत साफ़ है कि भाजपा में दलितों को वह नेतृत्व या सम्मान नहीं मिलने वाला जो कांग्रेस या बसपा में है।  भाजपा के दलित सांसदों व बाक़ी नेताओं को समझना होगा कि आरएसएस और भाजपा धीरे धीरे उस तरफ़ बढ़ रहे हैं जब वह आरक्षण को ख़त्म कर देंगे। उसके पहले वह अपन...

साहेब, मुसलमान तो वोट बैंक ही रहेगा, आप देख लो...

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (#UPElection2017) का दूसरा चरण भी अब पूरा होने को है लेकिन राजनीतिक दलों में असहमति के स्वर अब गाली गलौच औऱ साजिश में बदलते जा रहे हैं। बिहार चुनाव के दौरान जो हथकंडे मुस्लिम वोटों को बरगलाने के लिए अपनाए गए, यूपी में वो सारी सीमाएं लांघ गया है। कोफ्त तो तब होती है जब पढ़े-लिखे पत्रकार भी उन साजिशों की काली कोठरी में शामिल हो गए हैं।  मेरे पत्रकार मित्रों के दायरे में आने वाले कुछ लोगों ने एक दिन पहले मुझे चाय पर निमंत्रित किया और वहां यूपी चुनाव पर चर्चा छेड़ दी। तमाम असहमतियों के बाद उनमें से दो लोग ऐसे थे जिन्होंने कहा कि मुसलमान तो वोट बैंक (#MuslimVoteBank) है, इन लोगों ने सारे चुनाव की ऐसी तैसी कर दी है। अगर ये सुधर जाएं तो भारत के कुछ राजनीतिक दलों का दिमाग ठीक हो जाए। मैंने उनसे पूछा कि आखिर वो मुसलमानों को वोट बैंक क्यों बता रहे हैं और क्यों समझ रहे हैं। उन्होंने कहा, क्योंकि ये लोग हमेशा किसी एक ही राजनीतिक दल को चुनकर वोट करते हैं। पहले कांग्रेस (#Congress) को, फिर समाजवादी पार्टी (#SP)को तो कभी बहुजन समाज पार्टी (#BSP) को। बिहार मे...

हमारा धर्म है झूठ बोलना

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कोई नेता जब सत्ता हासिल करने के लिए पहला कदम बढ़ाता है तो उसकी शुरुआत झूठ से होती है। हर बार चुनाव में यही सब होता है और देश चुपचाप यह सब होते हुए देखता है। चुनाव आयोग एक सीमा तक अपनी जिम्मेदारी निभाकर चुप हो जाता है। यहां पर हम बात उन प्रत्याशियों की कर रहे हैं जो दलितों की मसीहा पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) से टिकट हासिल कर चुनाव मैदान में उतरे हैं। बात देश की राजधानी दिल्ली की ही हो रही है। दिल्ली के महरौली विधानसभा क्षेत्र से कोई वेद प्रकाश हैं जिनके पास 201 करोड़ की संपत्ति है। यह बात उन्होंने चुनाव आयोग में जमा कराए गए हलफनामे में कही है। दूसरे नंबर पर बीएसपी के ही छतरपुर (दिल्ली) विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी कंवर सिंह तंवर हैं जिनके पास 157 करोड़ की संपत्ति है। इसके अलावा दिल्ली में कम से कम उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके पास एक करोड़ से ज्यादा की संपत्ति है। चुनाव आयोग के पास जमा यह सब दस्तावेजों में दर्ज है। यह सभी 153 प्रत्याशी बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी के ही हैं। सिर्फ पांच प्रत्याशी ऐसे हैं जिन्होंने अपनी संपत्ति शून्य (जीरो) दिखाई है। लेकिन इनमें से जिन वेद प्रकाश का जिक्र ...