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ग़ाज़ा: प्रतिरोध न बचा तो क्या बचेगा मेरी जान

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लोकतंत्र, मानवाधिकार, समानता, वसुधैव कुटुम्बकम इनको किसी म्यूज़ियम में सजा देना चाहिए। चंद अहम बातें। अमेरिका लोकतंत्र, मानवाधिकार और समानता की इतनी दुहाई देता है कि कई बार लगता है कि इस जैसा देश दुर्लभ है। हमारे बच्चों में  ग्रेट अमेरिकन ड्रीम की जो बातें भरी जाती है, उसमें इन दुर्लभ चीजों को गिनाया जाता है। लेकिन अब क्या हो रहा है? वहाँ की किसी भी यूनिवर्सिटी में फ़िलिस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन करने वाले छात्रों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। उनको यूनिवर्सिटी से निकाला जाएगा। इसके बावजूद छात्र-छात्राएँ मान नहीं रहे। यूएस, यूके, कनाडा में लोग स्टारबक्स, केएफसी, मैकडोनाल्ड, डोमीनोज, प्यूमा आदि के आउटलेट में नहीं जा रहे हैं। अघोषित बहिष्कार। इसमें किसी ख़ास समुदाय या धर्म विशेष के लोग शामिल नहीं हैं। ये लोग सिर्फ़  फ़िलिस्तीन के समर्थन में हैं। फ़िलिस्तीन का संघर्ष किसी ख़ास समुदाय का संघर्ष नहीं है। यह उस तानाशाही और जायनिस्ट क़ब्ज़ाधारियों के विरोध का प्रतीक है जो फ़िलिस्तीन को मसल देना चाहते हैं।  अमेरिका में  जायोनीवाद लॉबी मज़बूत है। जैसे कनाडा में सिख लॉबी इतनी मज़बूत हैं