जय हो ...जय हो...जनता जनार्दन की
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चुनाव नतीजे आ चुके हैं, आपने जिन्हें और जिस पार्टी को चुना, वह सब सामने है। हालांकि जो भी 50 या 55 फीसदी लोगों ने देश भर में वोट डाले और उसके आधार पर आए नतीजे किस तरह से बहुमत की आवाज है, इस पर बहस होती रही है और होती रहेगी लेकिन इन नतीजों के आधार पर जो भी तस्वीर उभरी है, उसे तो हम सभी लोगों को स्वीकार करना पड़ेगा। लेकिन यह बहुत साफ है कि देश की आधी जनता ने वोट डाले और उसने अलग-अलग पार्टियों को वोट दिए, तो क्या यह मान लिया जाए कि यह जनता का पूरा फैसला नहीं है। यह सही है कि बीजेपी को सांप्रदायिक राजनीति करने के कारण मैं ही क्या तमाम लोग पसंद नहीं करते। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि कांग्रेस की नीतियों पर जनता ने मुहर लगा दी है। बेहतर तो यह होता कि देश भर में 65 से 70 फीसदी मतदान होता और उसमें जो पार्टी सबसे ज्यादा सीटें लेकर आती तो शायद जनता के मूड का और बेहतर पता चलता। लेकिन यह कम संतोष की बात नहीं है कि देश की आधी जनता जिसने वोट डाले, वह चाहती है कि क्षेत्रीय पार्टियों की जगह राष्ट्रीय पार्टियों को ही केंद्र की सत्ता सौंपी जाए। क्योंकि मुलायम, लालू प्रसाद यादव, मायावती से लेकर ठाकर...