एक माँ की क़ब्र पर ....
यह एक माँ की क़ब्र है... मेरी सगी माँ नहीं लेकिन ऐसी माँ जो किसी की भी माँ हो सकती है।...दरअसल, ये एक दिहाड़ी पर काम करने वाले बेटे की माँ थी। इस मदर्स डे पर इनकी कहानी बताना ज़रूरी है। इनका नाम रहती बेगम था, 26 अप्रैल 2018 में इंतक़ाल हुआ था। 1990 में इनकी दुनिया बदल गई। इनके मज़दूर बेटे मोहम्मद रमज़ान शेख़ का श्रीनगर (कश्मीर) से ख़ाकी वर्दी पहने कुछ लोगों ने अपहरण कर लिया। रहती बेगम ने हर कोना छान मारा, तलाशने की हर कोशिश की। वह हर ज़ाहिर जगह और घाटी में बदनाम गुमनाम सेंटरों तक गईं जहाँ युवक बंद हैं। जहाँ से उनके कराहने की आवाज़ फ़िज़ाओं में गूँजतीं हैं। बादामी बाग़ कैंट इलाक़े से लेकर कार्गो सेंटर, पापा 2 के अलावा जहाँ- जहां ऐसे सेंटर बने हुए हैं, वो पहुँचीं। देखते देखते बेटे की तलाश में रहती बेगम ने 28 साल गुज़ार दिए। 2018 में इंतक़ाल के आख़िरी लम्हों तक उनकी आँखें दरवाज़े की तरफ रहीं जैसे बेटा अभी चलकर आ जाएगा।... नजीब और रोहित वेमुला की मां के आंसू आज भी नहीं सूखे हैं। कश्मीर ही नहीं देश में ऐसी न जाने कितनी रहती ...