चंदन का गुलिस्तां
अंग्रेजी का पत्रकार अगर हिंदी में कुछ लिखे तो मुझे बहुत अच्छा लगता है। मेरे मित्र चंदन शर्मा दिल्ली से छपने वाले अंग्रेजी अखबार Metro Now में विशेष संवाददाता हैं। तमाम विषयों पर उनकी कलम चलती रही है। कविता और गजल वह चुपचाप लिखकर खुद पढ़ लिया करते हैं और घर में रख लिया करते हैं। मेरे आग्रह पर बहुत शरमाते हुए उन्होंने यह रचना भेजी है। आप लोगों के लिए पेश कर रहा हूं। गुलिस्तां कहते हैं कभी एक गुलिस्तां था मेरे आशियां के पीछे हमें पता भी नहीं चला पतझड़ कब चुपचाप आ गया गुलिस्तां की बात छोड़िए वो ठूंठो पर भी यूं छा गया गुलिस्तां तो अब कहां हम तो कोंपलो तक के लिए तरस गए -चंदन शर्मा