बाल ठाकरे, मुंबई भारत नहीं है
बाल ठाकरे आज उम्र के जिस पड़ाव पर हैं, उनसे सहानुभूति के अलावा और कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन इन भाई साहब ने अपने अवसान की बेला पर जिन शब्दों में मराठी मानुष (Marathi People) को अपने अखबार सामाना में गरियाया है, उसे एक बूढ़े इंसान के प्रलाप (Old Man's Agony) के अलावा और क्या कहा जा सकता है। शिवसेना को अपने जीवन के 44 साल देने वाले इस इंसान को अब याद आया है कि उसने कितनी बड़ी गलती की है। महाराष्ट्र में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में शिवसेना को 44 सीटें मिली हैं और उसके सहयोगी दल बीजेपी की लुटिया डूब गई है। खैर बीजेपी तो बाकी दो राज्यों हरियाणा और अरुणाचल प्रदेश में भी बुरी तरह हार गई है। बाल ठाकरे ने फरमाया है कि मराठी लोग जिस तरह हर छोटी-छोटी समस्या का समाधान कराने शिवसेना के पास आते थे क्या वे वोट देते वक्त उन बातों को भूल गए। उन्होंने अपने भतीजे राज ठाकरे को भी गद्दार बताया है। बाल ठाकरे का प्रलाप बहुत लंबा-चौड़ा है और उसे यहां दोहराने से कोई फायदा नहीं है लेकिन शिव सेना प्रमुख के प्रलाप के बाद हम और आप इस बात पर तो गौर करना ही चाहेंगे कि इस आदमी या इस आदमी के पार्टी की यह हालत...