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हमारा तेल खरीदो, हमारा हथियार खरीदो...फिर चाहे जिसको मारो-पीटो

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भारत अमेरिका-इस्राइल-अरब के जाल में फँस गया है। नया वर्ल्ड ऑर्डर (विश्व व्यवस्था) अपनी शर्तें खुलेआम बता रहा है। ...हमारा तेल ख़रीदो और हमारे ही हथियार ख़रीदो। नहीं तो बम धमाकों, तख़्ता पलट, दंगों का सामना करो।...अगर किसी आतंकवादी गुट से बातचीत या समझौता करना होगा तो वह भी हम करेंगे। अगर तुम अपने देश में अपनी किसी आबादी या समूह पर जुल्म करना चाहते हो, उनका नरसंहार करना चाहते हो तो वह हमारी बिना मर्जी के नहीं कर सकते। हमारी सहमति है तो उस आबादी और समूह से तुम्हारी फौज, तुम्हारी पुलिस कुछ भी करे, हम कुछ नहीं बोलेंगे। बस तुम्हारी अर्थव्यवस्था हमारी मर्जी से चलनी चाहिए और वहां के समूहों को कुचलने में हथियार हमारे इस्तेमाल होने चाहिए।  इस वर्ल्ड ऑर्डर में चीन और उसका सिल्क रूट, ईराऩ जैसे कई मुल्क सबसे बड़ी बाधा हैं। भारत ने तटस्थ होने की कोशिश की लेकिन उसके नेता नैतिक साहस नहीं जुटा पाए और अमेरिकी वर्ल्ड आर्डर के सामने घुटने टेक दिये। #अमेरिका ने #भारत से कहा, #ईरान का तेल मत ख़रीदो, हम सऊदी अरब से महँगा तेल दिलवा देंगे लेकिन ख़रीदना सऊदी का तेल ही पड़...

हिजबुल्लाह की परेड से कई देश पानी-पानी

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मेरा यह लेख नवभारत टाइम्स लखनऊ में 20 नवंबर 2017 को प्रकाशित हो चुका है...हिंदीवाणी के पाठकों के लिए यहां पेश किया जा रहा है...-यूसुफ किरमानी इसी हफ्ते सोमवार को सीरिया के अल कौसर शहर में हिजबुल्लाह ने अपने हथियारों की एक परेड निकाली। लेकिन इस परेड ने दुनिया की जानी-मनी शक्तियों को शर्मसार कर दिया। इस परेड में अमेरिकी और रूसी हथियार थे। मंगलवार को परेड के फोटो ट्वीट हुए तो दुनियाभऱ में हलचल मच गई। अमेरिकी हथियारों पर सभी की नजर पड़ी। इनमें यूएस के सबसे शक्तिशाली टैंक M113 की कई यूनिट शामिल थीं।   अमेरिका रक्षा विभाग ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई और कहा कि हम इसकी जांच करने जा रहे हैं कि आखिर हिजबुल्लाह तक ये हथियार कैसे पहुंचे। यूएस स्टेट डिपार्टमेंट की प्रवक्ता एलिजाबेथ ट्रूडेयू ने कहा कि हिजबुल्लाह के पास M113 का पहुंचना हमारे लिए चिंता की बात है। एलिजाबेथ ने यह भी कहा कि हम बेरूत स्थित अपने दूतावास के संपर्क में हैं और उससे भी जांच में मदद ले रहे हैं। लेकिन अमेरिका के बाद जो देश चिंतित नजर आया वो इस्राइल था। लेबनान ने अपने तरीके से प्रतिक्रिया दी। ...