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पुलवामा पर तमाम प्रयोगशालाओं की साजिशें नाकाम रहीं

पुलवामा ने हमें बहुत कुछ दिया। जहां देश के लोगों ने सीआरपीएफ के 40 जवानों की शहादत पर एकजुट होकर अपने गम-ओ-गुस्से का इजहार किया, वहां तमाम लोगों ने नफरत के सौदागरों के खिलाफ खुलकर मोर्चा संभाला। पुलवामा की घटना के पीछे जब गुमराह कश्मीरी युवक का नाम आया तो कुछ शहरों में ऐसे असामाजिक तत्व सड़कों पर निकल आए जिन्होंने कश्मीरी छात्रों को, समुदाय विशेष के घरों, दुकानों को निशाना बनाने की कोशिश की लेकिन सभी जगह पुलिस ने हालात संभाले। लेकिन इस दौरान सोशल मीडिया के जरिए भारत की एक ऐसी तस्वीर सामने आई, जिसकी कल्पना न तो किसी राजनीतिक दल के आईटी सेल ने की थी न किसी नेता ने की थी। उन्हें लगा था कि नफरत की प्रयोगशाला में किए गए षड्यंत्रकारी प्रयोग इस बार भी काम कर जाएंगे। देश की जानी-मानी हस्तियों ने, लेखकों ने, इतिहासकारों ने, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने, पत्रकारों ने, कुछ फिल्म स्टारों ने और सबसे बढ़कर बहुत ही आम किस्म के लोगों ने अपील जारी कर दी कि अगर किसी जगह किसी कश्मीरी या समुदाय विशेष के लोगों को नफरत फैलाकर निशाना बनाया जा रहा है तो उनके दरवाजे ऐसे लोगों को शरण देने के ...

एक कविता शहीदों के नाम...

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