वे वहां गए ही क्यों थे
जितनी मुंह उतनी बातें वे वहां सोए ही क्यों थे क्या वे सामूहिक आत्महत्या करने गए थे वे वहां गए ही क्यों थे क्या वे वहां रेलगाड़ियां ही रोकने गए थे आखिर उन मजदूरो का इरादा क्या था इसमें सरकार का क्या आखिर वे उसी शहर में रुक क्यों नहीं गए शहर दर शहर 24 मार्च से ही लौट रहे हैं वे लोग सबसे पहले दिल्ली-यूपी सीमा पर दिखी थी भीड़ तब भी हुआ था कुछ बसों का इंतजाम अब भी हुआ है कुछ बसों का इंतजाम लेकिन वे तो 8 मई तक भी चले ही जा रहे हैं क्यों नहीं खत्म हो रही उनकी अनवरत यात्रा जहां वो हैं वहां वो आम ट्रेन भी नहीं है जहां वो नहीं है वहां विशेष ट्रेन खड़ी है शोक संदेश आ गया है, व्यवस्था को कह दिया है वीडियो कॉन्फ्रेंस हो गई है, जांच को बोल दिया है तानाशाह के चमचे कान में फुसफुसाते हैं रेल लाइन पर पड़ी रोटियां न दिखाएं प्लीज वे वहां सोए ही क्यों वाला नैरेटिव बेहतर है वे वहां गए ही क्यों तो उससे बेहतर हेडिंग है प्राइम टाइम जोरदार है, विपक्ष से सवाल लगातार है घ...