पाकिस्तान पर हमले से कौन रोकता है ?
मुंबई पर हुए सबसे बड़े हमले के बारे में ब्लॉग की दुनिया और मीडिया में बहुत कुछ इन 55 घंटों में लिखा गया। कुछ लोगों ने अखबारों में वह विज्ञापन भी देखा होगा जो मुंबई की इस घटना को भुनाने के लिए बीजेपी ने छपवाया है जिससे कुछ राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में उसका लाभ लिया जा सके। सांप्रदायिकता फैलाने वाले उस विज्ञापन की एनडीटीवी शुक्रवार को ही काफी लानत-मलामत कर चुका है। यहां हम उसकी चर्चा अब और नहीं करेंगे। मुंबई की घटना को लेकर लोगों का आक्रोश स्वाभाविक है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। देश के एक-एक आदमी की दुआएं सुरक्षा एजेंसियों के साथ थीं लेकिन सबसे दुखद यह रहा कि इसके बावजूद तमाम लोग अपना मानसिक संतुलन खो बैठे। कोई राजनीतिक दल या उसका नेता अगर मानसिक संतुलन ऐसे मुद्दों पर खोता है तो उसका इतना नोटिस नहीं लिया जाता लेकिन अगर पढ़ा-लिखा आम आदमी ब्लॉग्स पर उल्टी – सीधी टिप्पणी करेगा तो उसकी मानसिक स्थिति के बारे में सोचना तो पड़ेगा ही। मुंबई की घटना को लेकर इस ब्लॉग पर और अन्य ब्लॉगों पर की गई टिप्पणियां बताती हैं कि फिजा में कितना जहर घोला जा चुका है। इसी ब्लॉग पर नीचे वाली पोस्ट मे...