पाकिस्तान पर हमले से कौन रोकता है ?
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इसी ब्लॉग पर नीचे वाली पोस्ट में एक टिप्पणीकार ने तो बाकायदा लिख ही दिया कि मुसलमान का नाम आते ही इस ब्लॉग यानी हिंदी वाणी की भाषा सेक्युलर हो जाती है। एक साहब ने लिखा है कि मेरी सोच को लेकर उनको मुझ पर तरस आता है। ब्लॉगर धीरू सिंह ने लिखा है कि अब आर-पार की कार्रवाई लड़ाई होनी चाहिए। कुश जी ने लिखा है कि आतंकवादी को किसने इस रास्ते पर धकेला, यह भाषा मुलम्मा चढ़ी हुई है। कुश जी तो खैर टिप्पणी देने में काफी आगे निकल गए। हमेशा की तरह डॉ. अमर ज्योति ने बहुत गंभीर टिप्पणी दी है कि यह नए विकल्पों को तलाशने का समय है औऱ यह सब कुछ दिन तो चलेगा ही। राज भाटिया जी ने बहुत आहत भरी टिप्पणी दी और शहीदों को श्रद्धांजलि दी। राज जी के विचारों के साथ यह ब्लॉग शुरू से ही सहमत है।
फिजा में जहर घोलने वाली टिप्पणियों को कोई भी ब्लॉगर जब चाहे डिलीट कर सकता है और यह काम मैं भी कर सकता था। लेकिन मैंने ऐसा किया नहीं, क्योंकि मेरा विश्वास अब भी भारतीय लोकतंत्र में बना हुआ है और लोकतंत्र का यह तकाजा है कि सभी की बात सभी तक पहुंचनी चाहिए।
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आज मैं फिर यही बात कह रहा हूं कि आतंकवाद से भी बड़ी लड़ाई भारत नामक देश को एकजुट रखने की है। यह काम अकेले न तो हिंदू कर सकता है, न मुसलमान, न सिख और न ईसाई। यह सभी को मिलकर करना है। अगर हम एकजुट रहते हैं तो कोई बाहरी ताकत हमारा कुछ बिगाड़ नहीं सकती। याद कीजिए पंजाब में जब खालिस्तान आंदोलन चला था और पूरी सिख कौम को बदनाम करने की साजिश रची गई तो उसका नतीजा क्या निकला। लेकिन भारत एकजुट रहा और खालिस्तान आंदोलन अब इतिहास में दफन हो चुका है। उस आंदोलन को किन देशों का समर्थन था, कहां से पैसा आ रहा था, किसी से छिपा नहीं है।
अगर कुछ लोग यह चाहते हैं कि मैं यह विचार यहां व्यक्त करूं कि चूंकि पाकिस्तान का हाथ इस घटना में है इसलिए भारत को फौरन पाकिस्तान पर हमला कर देना चाहिए। तो मैं कहना चाहता हूं कि – हां मैं इस तरह की कार्रवाई से सहमत हूं। पर क्या इससे समस्या का निदान हो सकेगा? भारत सरकार को कार्रवाई करने से भारत का कोई मुसलमान नहीं रोक रहा है लेकिन जिस तरह अमेरिका आए दिन पाकिस्तान के सीमांत प्रांत में मिसाइल गिराता है, बम फोड़ता है, वह ओसाम बिन लादेन को पकड पाया? किसी भी समस्या का नतीजा युद्ध से नहीं निकलता है। संवाद से कारगर चीज कोई नहीं है। इसलिए संवाद किया जाना चाहिए, समस्या के कारणों की गहराई में जाने की जरूरत है। भारत तो जब चाहे पाकिस्तान को मसल सकता है लेकिन शायद इतने भर से इस समस्या का हल नहीं निकलेगा। इसलिए मित्रो एकजुट रहिए औऱ समझदार बनिए। जो लोग हमारे लिए मुंबई में या सीमा पर कहीं भी शहीद होते हैं, उनको सच्ची श्रद्धांजलि तो यही होगी।
टिप्पणियाँ
हिन्दू ,मुस्लिम का प्रश्न नहीं हिन्दुस्तान का प्रश्न है . जब तक हम उचित प्रतिक्रिया नहीं करेंगे तब तक आतंक नामक धारावाहिक चलता रहेगा . पता नहीं क्यों लिखने वाले हिन्दू ,मुस्लिम की बात करते है और आप जैसे लोग सारी बात अपने ऊपर क्यों ले लेते है .
Ek bar puri tarah pakistan ko masal kar dekho ki samasya ka hal nikalta hai ki nahi..bina masle pata nahi chalega ki sahi ilaj kya hai.. abhi tak nahi masla hai isiliye itni dikkate hai..
जब जबरदस्ती एक सोच को आपका बता के रखा जाता है तो बुरा लगता है
खैर इस मुद्दे पर सरकार की कार्यवाही और वह भी ठोस कार्यवाही जरूरी है.