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शाहीनबाग का गणतंत्र...

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गणतंत्र क्या है... इसे बेहतर ढंग से दिल्ली के शाहीन बाग ने आज समझाया... मजमा...कोई गणतंत्र नहीं है जो कभी राजपथ पर तो कभी लाल किले की प्राचीर के सामने लगाया जाता है... मजमा...तमाम सुरक्षा घेरे में, तमाम सुरक्षाकर्मियों को सादे कपड़ों में बैठाकर नहीं लगाया जा सकता... मजमा...जो शाहीन बाग में स्वतः स्फूर्त है...नेचुरल है... मजमा...जो एक तानाशाह खास कपड़े वालों में देखता है... मजमा ...जो कोई इवेंट मैनेजमेंट कंपनी नहीं लगा सकती... मजमा...जो तानाशाह का न्यू यॉर्क में पैसे देकर कराया हाउडी इवेंट नहीं है... मजमा...जो किसी सरकारी फिल्मी गीतकार का बयान नहीं है जो उसे किसी तानाशाह में फकीरी के रूप में दिखता है... मजमा...जो किसी सरकारी फिल्मी हीरो का जुमला नहीं है जो तानाशाह के आम खाने के ढंग के रूप में देखता है... मजमा...जो उस लंपट तड़ीपार सरगना का ख्वाब है जिसे वह अपने भक्तों में तलाशता है... -यूसुफ़ किरमानी #AntiUrbanNaziDay #HappyRepublicDay #SaveConstitutionSaveIndia #ShaheenbaghRepublic #ShaheenBagh #RejectCAA #RejectNPR #RejectNR...

हमारा तेल खरीदो, हमारा हथियार खरीदो...फिर चाहे जिसको मारो-पीटो

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भारत अमेरिका-इस्राइल-अरब के जाल में फँस गया है। नया वर्ल्ड ऑर्डर (विश्व व्यवस्था) अपनी शर्तें खुलेआम बता रहा है। ...हमारा तेल ख़रीदो और हमारे ही हथियार ख़रीदो। नहीं तो बम धमाकों, तख़्ता पलट, दंगों का सामना करो।...अगर किसी आतंकवादी गुट से बातचीत या समझौता करना होगा तो वह भी हम करेंगे। अगर तुम अपने देश में अपनी किसी आबादी या समूह पर जुल्म करना चाहते हो, उनका नरसंहार करना चाहते हो तो वह हमारी बिना मर्जी के नहीं कर सकते। हमारी सहमति है तो उस आबादी और समूह से तुम्हारी फौज, तुम्हारी पुलिस कुछ भी करे, हम कुछ नहीं बोलेंगे। बस तुम्हारी अर्थव्यवस्था हमारी मर्जी से चलनी चाहिए और वहां के समूहों को कुचलने में हथियार हमारे इस्तेमाल होने चाहिए।  इस वर्ल्ड ऑर्डर में चीन और उसका सिल्क रूट, ईराऩ जैसे कई मुल्क सबसे बड़ी बाधा हैं। भारत ने तटस्थ होने की कोशिश की लेकिन उसके नेता नैतिक साहस नहीं जुटा पाए और अमेरिकी वर्ल्ड आर्डर के सामने घुटने टेक दिये। #अमेरिका ने #भारत से कहा, #ईरान का तेल मत ख़रीदो, हम सऊदी अरब से महँगा तेल दिलवा देंगे लेकिन ख़रीदना सऊदी का तेल ही पड़...

देवताओं का वॉर रस प्रवचन

देवता आसमान से पुष्प वर्षा कर रहे हैं...आज वॉर रस पर प्रवचन का दिन है... देवता वॉर वाणी (War Sermons) कर रहे हैं...बच्चा जीवन में टाइमिंग का ही महत्व है।...कुछ कार्य का समय चुन लो...वॉर रस से मंत्रमुग्ध जनता को अगर शांति पाठ करने को कहोगे तो तुम्हें कच्चा चबा जाएगी लेकिन वॉर रस में अगर उसे पबजी गेम में भी अटैक बोलोगे तो वह ख़ुश हो जाएगी। टाइमिंग की कला जिसको आती है, वही वीर है। अच्छे टाइमिंग का ताजा उदाहरण देखो...कल वॉर मेमोरियल (War Memorial) का उद्घाटन हुआ, आज यानी 26 फ़रवरी को  भारतवर्ष की सेना ने अपने पड़ोस में जाकर कई किलो बम गिरा दिए...नोमैंस लैंड में क़रीब तीन सौ लोग मारे गए...कई आतंकी शिविर हमेशा के लिए तबाह हो गए। यही टाइमिंग है...वॉर रस में डूबी जनता को अपना टॉपिक और टॉनिक मिल गया है। सीआरपीएफ़ जवानों की तेरहवीं के दिन किए गए इस अटैक से संबंधित पक्षों ने कई हसरतें पूरी कर ली हैं। वॉर रस में डूबी जनता जश्न मोड में आ चुकी है। स्कूलों में पढ़ाई की जगह बच्चों में भी नारे लगवा कर वॉर रस का संचार किया जा रहा है। जब तक इस वॉर रस का ख़ुमार उतरेगा तो धर्म का रस तैयार...

अलीबाबा के जैक मा की बातें और अपना देश भारत...

यहां मैं आप लोगों के लिए एक विडियो पोस्ट कर रहा हूं जो पूरा देखने के बाद आपको सोचने को मजबूर कर देगा। हालांकि उसमें कही बातों को मैं अपनी बात के साथ आप लोगों के पढ़ने के लिए यहां दे रहा हूं। लेकिन हो सकता है कि अनुवाद में कुछ कमियां हों, इसलिए अगर आप पूरा विडियो देखेंगे तो ज्यादा बेहतर होगा। दुनिया की बड़ी कंपनियों में गिनी जाने वाली अलीबाबा (Alibaba) के मालिक जैक मा (Jack Ma) को हाल ही में हॉगकॉग यूनिवर्सिटी ने पीएचडी से नवाजा है। इस मौके पर जैक मा ने जो बातें कहीं हैं, उसका संबंध भारत से या किसी भी देश से जुड़ता है।... जैक मा कहते हैं... तमाम नाकामियों की वजह से मैं यही सोचता था कि कभी मुझे पीएचडी की डिग्री किसी यूनिवर्सिटी से मिलेगी। यह मेरा सपना था। लेकिन मैं हिम्मत नहीं हारा। एक दिन ऐसा भी आता है जब कोई यूनिवर्सिटी आपको पीएचडी की डिग्री देने को बेताब होती है... एक अच्छा बिजनेसमैन सिर्फ पैसा कमाना ही नहीं जानता, बल्कि उस पैसे को अच्छी तरह खर्च करना भी जानता है। लेकिन हम सिर्फ पैसा कमाने के लिए जिंदा नहीं रहते।...अगर आपके पास 10 लाख डॉलर हैं, वो आपक...

ताकतवर को ऐसे दी जा सकती है चुनौती...देखिए यह विडियो

 अक्सर लोग सवाल करते हैं कि आखिर अपने से ताकतवर या मजबूत को चुनौती कैसे दी जाए। यह सवाल पूरी दुनिया में तब ज्यादा उठते हैं जब कोई देश, कोई सत्ता, कोई खलनायक अपनी ताकत के नशे में चूर हो जाता है। उस हालत या हालात में अगर उसे चुनौती नहीं मिलती है तो वह तानाशाह बन जाता है और हालात खतरनाक होते चले जाते हैं।...हालांकि इसका बहुत आसान सा जवाब है, जो हम सभी को मालूम है। लेकिन मैंने उसका जवाब एक विडियो के माध्यम से देने की कोशिश की है। यह विडियो... दुनियाभर में उन तमाम संघर्षशील लोगों, समाजिक राजनीतिक संगठनों, मुजाहिदीनों, एनजीओ, पत्रकारों, खिलाड़ियों, अर्बन नक्सलियों को समर्पित है, जिनमें ताकतवर से टकराने का हौसला है...इस हौसले को दो जंगली प्राणियों के जरिए बताया गया है...इसीलिए मैंने इस विडियो को नाम दिया है...डेयर टू फाइट Dare to Fight...अगर हौसला है तो इस दो मिनट के विडियो को पूरा देखिए...मजा न आए तो इनाम मिलेगा। मजा आए तो शेयर कीजिएगा... ध्यान रहे यह कॉपीराइट विडियो है। आप इसके इस्तेमाल को आजाद हैं लेकिन वहां साभार लिखना और मुझसे लेना न भूलें। देखने में आया है कि...

ढोंगी चाय वाले की महानतम खोज...

कुछ सुना आपने...अब हम लोग नाली से निकलने वाली गैस से चाय बना सकते हैं...सुना है कि किसी फलाने देश के ढोंगी चाय वाले ने यह महानतम खोज की है... ...उस देश में इतने मैनहोल हैं, सभी जगह की गैस जमा करके सभी बेरोजगार वहां चाय की दुकान खोल सकते हैं...हर वक्त ताजी गैस मिलेगी और चाय भी शानदार होगी... मैंने तो फलाने देश के प्रधानमंत्री जी को लिख दिया है कि कृपया इस बार भगवा क़िले की दीवार पर चढ़कर अपने भाषण में नाली से निकलने वाली गैस और उससे बनने वाली चाय के बारे में विस्तार से रौशनी डालें...ताकि फलाने देश के तमाम बेरोजगार इसमें अपने लिए कुछ खोज सकें... मुझे लगता है कि "पकौड़ा तलो रोजगार योजना" के बाद "नाली गैस की चाय" योजना फलाने देश की अर्थव्यवस्था को और मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी... ताज्जुब है कि गैस पैदा करने वाली देश की तमाम नालियों और मैनहोलों की पुख्ता सुरक्षा का इंतजाम नहीं किया गया है। इसके लिए कम से कम एक कैबिनेट लेवल का मंत्री तो नियुक्त ही किया जाना चाहिए जो देश भर में ऐसी नालियों से निकलने वाली गैस की सुरक्षा संभाल ...