कश्मीर डायरी ः सियासी मसले बुलेट और फौज से नहीं सुलझते....

जम्मू कश्मीर में 5 अगस्त को जब भारत सरकार ने धारा 370 खत्म कर दी और सभी प्रमुख दलों के नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया तो उन नेताओं में सीपीएम के राज्य सचिव और कुलगाम से विधायक यूसुफ तारिगामी भी थे। उनकी नजरबंदी को जब  एक महीना हो गया तो सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की कि उनके कश्मीरी नेता यूसुफ तारिगामी की सेहत बहुत खराब है। उन्हें फौरन रिहा किया जाए ताकि उनका इलाज कराया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ यूसुफ तारिगामी की रिहाई का आदेश दिया बल्कि उन्हें दिल्ली के एम्स में लाकर इलाज कराने का निर्देश भी दिया। यूसुफ तारिगामी एम्स में इलाज के बाद ठीक हो गए और वहां से दिल्ली में ही जम्मू कश्मीर हाउस में चले गए, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में केस अभी लंबित है। मैंने उनसे जाकर वहां कश्मीर के तमाम मसलों पर बात की। जिसे आज नवभारत टाइम्स ने प्रकाशित किया। पूरी बातचीत का मूल पाठ मैं यहां दे रहा हूं लेकिन नीचे एनबीटी में छपी हुई खबर की फोटो ताकि सनद रहे के लिए भी लगाई गई है।....




सियासी मसले बुलेट और फौज से नहीं सुलझते

Yusuf.Kirmani@timesgroup.com
दिल्ली के जम्मू कश्मीर हाउस के कमरा नंबर 103 में कश्मीर के एक नेता से मिलने वालों का तांता लगा हुआ है। वह हर किसी का ‘सलाम-नमस्कार’ ले रहे हैं और यह कहना नहीं भूलते कि आप कश्मीर के एक ‘आजाद नागरिक’ से मिल रहे हैं। ...कल क्या होगा, मैं नहीं जानता हूं। मुझे सुप्रीम कोर्ट ने वहां जाने की इजाजत दे दी है लेकिन मेरी आपसे फिर मुलाकात होगी, मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता। हम कैसे और किस पर भरोसा करें। 

यह कमरा 72 साल के सीपीएम नेता और कुलगाम से विधायक यूसुफ तारिगामी का है। उन्हें सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एम्स लाया गया था, जहां उनका इलाज हुआ और अब वह ठीक होकर जम्मू कश्मीर हाउस में जमे हुए हैं, साथ ही साथ कश्मीर वापस लौटने की तैयारी भी जारी है। लेकिन वह संशकित भी हैं। कश्मीर में एक महीने की नजरबंदी और एम्स में इलाज के बाद किसी पत्रकार को किसी कश्मीरी नेता द्वारा दिया गया यह पहला इंटरव्यू है।
उनसे सीधा सवाल किया गया कि मैं एक कश्मीरी से या फिर एक भारतीय से बात कर रहा हूं, तारिगामी ने जवाब दिया कि आप खास भारतीय हैं जो एक ऐसे भारतीय से बात कर रहे हैं जिसके नागरिक अधिकार छीने जा चुके हैं। कश्मीरी अवाम अब किस हक से खुद को ‘भारतीय’ कहे ?

क्या धारा 370 खत्म करने से कश्मीर की बेहतरी का रास्ता नहीं निकलेगा, उन्होंने कहा कि कोई भी रास्ता बातचीत से निकलता है। वहां आप किससे बात करेंगे? आपने सारे राजनीतिक दलों के नेताओं को नजरबंद कर दिया है। अगर सुप्रीम कोर्ट न होता तो मैं भी वहां पड़ा सड़ रहा होता। पूरा कश्मीर एक बड़ी जेल में तब्दील हो चुका है। भारत सरकार बेहतरी का रास्ता निकालने के लिए किससे बात करेगी। सरकार ने तो उन नेताओं को भी नहीं छोड़ा जो पाकिस्तान के स्टैंड का विरोध करते थे या पाकिस्तान जिन कश्मीरी नेताओं को सख्त नापसंद करता था। कश्मीर से जुड़ा कोई मसला बातचीत किए बिना नहीं सुलझ सकता। सरकार को बातचीत की टेबल पर आना ही होगा। आपको सबसे बातचीत करनी होगी, चाहे वह कोई भी हो। 

यह पूछे जाने पर कि वहां अब उद्योग लगेंगे, कारोबार फैलेगा, कश्मीरियों को फायदा होगा, उन्होंने उल्टा सवाल किया, क्या आप जानते हैं कि श्रीनगर और कश्मीर में अन्य जगहों पर खुले फाइव स्टार और अन्य होटल किनके हैं। इनमें से एक भी होटल का मालिक लोकल कश्मीरी नहीं है। इन होटलों के मालिक दिल्ली और मुंबई में बैठे हैं। पिछले 30 साल से कश्मीर में कोई उद्योग लगाने से सरकार को कौन रोक रहा था। कश्मीर में जब उग्रवाद की समस्या बढ़ी तो वहां के तमाम कारोबारी अपना छोटा बड़ा कारोबार समेट कर जम्मू चले गए, वहां उन्होंने मकान बना लिये लेकिन जम्मू से एक भी कारोबारी श्रीनगर या कहीं और अपना कारोबार फैलाने या मकान बनाने नहीं आया। किसने रोका था। जहां तक कश्मीरी युवकों को नौकरियां देने की बात है, बीजेपी ने चुनाव से पहले वादा किया था कि वह हर साल देश के दो करोड़ युवकों को नौकरियां देगी, सरकार पहले उन दो करोड़ को नौकरी दे दे, फिर कश्मीरी युवकों के बारे में सोचे। जहां इंटरनेट बंद हो, वहां के युवक क्या चांद पर जाकर नौकरी के लिए अप्लाई करेंगे। 

...तो आखिर कश्मीर नामक मर्ज का इलाज क्या है, सीपीएम नेता ने कहा कि जब समस्या पेट दर्द की हो और दवा कान के दर्द की दी जाएगी तो मर्ज बढ़ेगा। जब तक आपको रोग का सही पहचान करना नहीं आएगा, आपसे गलतियां होती रहेंगी। सियासी मसले बुलेट और फौज के दम पर नहीं सुलझ सकते। फौज पर बोझ बढ़ाकर आप कश्मीर समस्या का समाधान नहीं कर सकते। आप कश्मीरी अवाम को अपना तो अपना मानें लेकिन आप तो उन्हें अपनों से दूर कर रहे हैं। इसी लालकिले से कभी मोदी साहब ने कहा था कि हम कश्मीरी लोगों को गले लगायेंगे, क्या इसी तरह गले लगाया जाता है कि आज कोई मां, कोई बाप, कोई बहन नहीं जानती कि उसका बेटा, भाई कहां है? यह बताने में क्या हर्ज है कि अगर किसी युवक को पकड़ा गया है तो उसे कहां रखा गया है, उसका जुर्म क्या है?

पाकिस्तान की लगातार बयानबाजी और मामले को उलझाने के सवाल पर यूसुफ तारिगामी ने कहा, यह मौका उसे किसने दिया। पाकिस्तान की किसी भी सरकार ने कश्मीर मामले में कभी कोई सम्माजनक पहल नहीं की। उसने कश्मीर समस्या को एक टूल की तरह इस्तेमाल किया। इमरान खान को बढ़चढ़ कर बयान देने का मौका भारत सरकार ने दिया। आपको बता दूं कि जो ताकतें कश्मीर से भारत के शांतिपूर्ण रिश्ते की विरोधी रही हैं, जिन्होंने कभी इस रिश्ते को पसंद नहीं किया, उन्हें अचानक मौका ही मौका नजर आने लगा। कुछ ताकते हैं जो इस रिश्ते को कमजोर करना चाहती हैं, वो अपने मकसद में कामयाब होती दिख रही हैं।

क्या चुनाव कराने से शांति बहाली में मदद मिलेगी, इस पर सीपीएम नेता ने कहा कि जब वहां लोकसभा चुनाव कराये जा सकते हैं, जब वहां पंचायत और स्थानीय निकाय (लोकल बॉडीज) चुनाव कराये जा सकते हैं तो विधानसभा चुनाव क्यों नहीं कराये जा सकते। लेकिन सरकार ने विधानसभा तो किसी और मकसद और नीयत से भंग की है। अगर वहां विधानसभा होती तो केंद्र सरकार धारा 370 नहीं खत्म कर पाती।    

यह पूछे जाने पर कि दिल्ली में बैठकर लगता है कि कश्मीर में अमन-चैन लौट आया है, तारिगामी ने कहा कि कश्मीर जैसी बंद जेल से सही खबर बाहर कहां आ पा रही है। कश्मीरियों को जुल्म सहने की आदत पड़ चुकी है। उनके लिए हर दिन पिछले दिन की तरह होता है।  


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