कैसा धर्म है आपका...क्या ये बातें हैं...
अगर कि सी धर्म के डीएनए में ही महिला अपराध है तो वो कैसा धर्म? अगर किसी धर्म के डीएनए में ही बाल अपराध है तो वो कैसा धर्म? अगर किसी धर्म के डीएनए में छुआछूत, ऊंच-नीच, सामाजिक असमानता है तो वो कैसा धर्म ? इसलिए अपने - अपने धर्म पर फिर से विचार करें... आपके धर्म का डीएनए उस स्थिति में बहुत कमज़ोर है अगर उसके किसी महापुरुष, किसी देवी-देवता, किसी अवतार का अपमान किसी कार्टून, किसी फ़िल्म, किसी विज्ञापन, किसी ट्वीट, किसी फ़ेसबुक पोस्ट से हो जाता है। तो कमज़ोर कौन है... वो धर्म या उस अपमान को बर्दाश्त न कर पाने वाले आप???? क्योंकि उसके डीएनए में आप हैं। धर्म तभी है जब आप हैं। ...आप हैं तो धर्म है। -यूसुफ़ किरमानी