आज़म खान के भरोसे मुसलमान !!!
आज़म खान आज (20 मई 2022) जेल से छूट गए हैं। मुसलमान ख़ुशियाँ मना रहा है, यह जाने बिना की #आज़म_खान का अगला राजनीतिक कदम क्या होगा? देश नफरत की आग में जल रहा है। मुसलमान तय नहीं कर पा रहा है कि उसे क्या करना चाहिए। ऐसे में किसी आज़म खान में उम्मीद तलाशना खुद को धोखा देना है। हालाँकि आज़म खान से पूरी हमदर्दी है। किसी पर 89 केस बना दिए जाएँ तो उसके महत्व को समझा जा सकता है। बाबरी मस्जिद आंदोलन के दौरान सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की हरकतों, बयानों को भुलाया नहीं जा सकता। आज़म खान उस वक्त मुलायम के साथ थे। उस वक्त आज़म का क्या फ़र्ज़ बनता था? इसका इतिहास लिखा जाएगा। अयोध्या आंदोलन को चरम पर ले जाने के दाग से ये दोनों भी बच नहीं पाएंगे। जेल से बाहर आने के बाद अब ज़रा आज़म के बयानों पर नज़र रखने की ज़रूरत है। मुद्दा ये है कि हर नेता की दुकान है। वो धर्म, जाति, नफ़रत के कारोबार से मुसलमान हिन्दू दोनों को बेवकूफ बना रहा है। जिस देश में महंगाई, बेरोज़गारी चरम पर हो, इस देश के राजनीतिक दलों के लिए बड़ा जन आंदोलन खड़ा करने की तमन्ना ही न हो तो उस देश की जनता को किसी नेता विशेष से कोई उम्मी...