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दोस्तों...अमीरी कैसे बढ़ती है

जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार की कलम से ............................................................................. रिजर्व बैंक एक पत्र लिख कर उस बैंक को देगा जिसमें भारत सरकार का खाता है मान लीजिये स्टेट बैंक में भारत सरकार का खाता है तो रिजर्व बैंक से स्टेट बैंक को एक पत्र आएगा कि भारत सरकार के खाते में नब्बे लाख करोड़ लिख दीजिये तो भारत सरकार मानेगी कि उसके पास अब पैसा आ गया अब भारत सरकार उस पैसे को लोहा कंपनियों को देगी जिनसे उसे रेल पटरियां डालने के लिए लोहा खरीदना है लोहा कंपनी उसे अपने कर्मचारी के खाते में डालेगी कर्मचारी उस से कपड़ा, शिक्षा, चिकित्सा और यातायात के साधन, खरीदेगा कपड़ा, शिक्षा, चिकित्सा और यातायात के साधन, तो देश में बढे नहीं लेकिन नब्बे लाख रुपया बढ़ गया जो बढ़ जाता है उसकी कीमत कम हो जाती है रुपया बढ़ा तो रूपये की कीमत कम हो जायेगी जो नहीं बढ़ा उसकी कीमत बढ़ जाती है कपड़ा, शिक्षा, चिकित्सा और यातायात के साधन, की कीमत बढ़ जायेगी साथ में दाल सब्जी मछली दूध की कीमत भी बढ़ जायेगी जिसे आप कहेंगे कि महंगाई बढ़ गयी बिना उत्पादन बढ़ाये...

आसमान पर शैतानी पतंगें

आओ पतंग उड़ाना सीखें कानून के हाथ से पतंग की डोर लंबी होती है वह डोर बांध लेती है अपने मोहपाश में सभी को नेता को, अभिनेता को, दलाल को, इंसाफकारों को उसके पेच में फंस जाते हैं सब फुटपाथ पर सोने वाले भी दम तोड़ देते हैं इसमें अक्सर फंसकर उन्हें पता नहीं होता, उड़ाने वाला तो कहीं और बैठा होता है छिपकर फंसता है जब पतंगबाज तो कानून, नेता बचाने निकल पड़ते हैं मिलकर    पतंगों की जाल में उलझा है यह देश तरह-तरह की शक्ल वाली पतंगें हैं आसमान पर मुद्दों से भटके देश में शैतानी पतंगें हैं आसमान पर असहनशीलता, नाइंसाफी, दंगाइयों की पतंगें हैं आसमान पर आखिर किस रहबर पर ऐतबार है हम सब को क्यों इंसाफ का इंतजार 'यूसुफ किरमानी' है तुमको