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अली खान महमूदाबाद: संवैधानिक मूल्यों पर खतरा

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 - प्रताप भानु मेहता  हरियाणा राज्य बनाम प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद केस आप जानते होंगे।  इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित स्तंभकार और विचारक प्रताप भानु प्रताप के इस लेख में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ हैं। इसे अवश्य पढ़ें:  सुप्रीम कोर्ट का हरियाणा राज्य बनाम अली खान महमूदाबाद मामले में आदेश उन लोगों की रीढ़ में सिहरन पैदा करने वाला है, जो संवैधानिक मूल्यों की परवाह करते हैं। माननीय जजों ने, सौभाग्यवश, प्रोफेसर खान को जमानत दी। उनकी गिरफ्तारी हमारे नागरिक स्वतंत्रता संरक्षण के मामूली मानकों के हिसाब से भी निंदनीय है।  लेकिन यह आदेश, राहत देने के बावजूद, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संरक्षण तो कमजोर हुआ। हम अब एक ऐसे संवैधानिक शासन में हैं जिसमें कोर्ट की परोपकारी उदारता (जमानत देना, जो अब यही बन गया है) से आगे दमनकारी नींव रख दी गई है। ऐसा होने के कई कारण हैं। पहला, आदेश की शर्तें स्वयं में अधिकारों का अनुचित हनन हैं। खान, एक शिक्षाविद, को अपना पासपोर्ट जमा करने और लिखने से बचने के लिए कहा गया है। यह राहत की बात है कि वे जेल में नहीं हैं।...