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ग़ाज़ा से एक नाज़ुक लव स्टोरी

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  A delicate love story from Gaza by Yusuf Kirmani रमल्लाह , फिलिस्तीन के एक छोटे से घर में , अमल नाम की एक युवती खिड़की के पास बैठी थी , जिसके हाथों में एक पुरानी तस्वीर थी। तस्वीर में ओसामा अशकर थे । उनके शौहर , जिनसे वह 23 साल से कभी मिली नहीं थी। उनकी प्रेम कहानी चिट्ठियों में लिखी गई थी , जेल की दीवारों के पार फुसफुसाई गई थी। हर मुश्किल के बावजूद उनकी प्रेम कहानी लिखी गई। ओसामा को 19 साल की उम्र में इज़राइली सेना ने गिरफ्तार कर लिया था , उन पर ग़ाज़ा में इज़राइल के कब्जे के खिलाफ गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया गया था। उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। फिलिस्तीन के लोगों के लिए एक ऐसी आम नियति जो कई लोगों को तोड़ देती है। लेकिन ओसामा अकेले नहीं थे। अपनी जेल की सलाखों के पीछे , उन्हें एक ऐसी महिला के शब्दों से सुकून मिल रहा था , जो उनकी पत्नी बनने वाली थी। (ओसामा अशकार और अमल का असली फोटो ) अमल , उस समय 18 साल की थी। अमल ने ओसामा की बहादुरी और हिम्मत की कहानी खान यूनस से लेकर रामल्लाह की गलियों में सुनी। ओसामा की कहानी से प्रेरित होकर , उन्होंने ओसामा अशकर को खत ...

क्या हमास को खत्म किया जा सकता है

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  Can Hamas be eliminated? इस सवाल का जवाब अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने दिया है। उनका कहना है कि #हमास को खत्म नहीं किया जा सकता है। अलबत्ता उसे राजनीतिक रूप से हराया जा सकता है। यह बयान छोटा नहीं है। बहुत बड़ा बयान और स्वीकारोक्ति है।  खुद को ख़ुदा समझने वाले अमेरिका का यह मान लेना कि हमास को खत्म नहीं किया जा सकता, पश्चिम के मजबूत और ताकतवर निजाम को बेनकाब कर दिया है। बहुत जल्द यही अमेरिका, यही यूरोप, यही इज़राइल #हिजबुल्लाह और यमन के #हूतियों के लिए भी कहेंगे।  लेकिन ब्लिंकन ने कहा कि हमास को हराया नहीं जा सकता, और हम लोग बिना दलीलों के मान लें, जरा मुश्किल है। इसके तमाम पहलुओं पर विचार जरूरी है।   आगे बढ़ने से पहले इस खबर की चर्चा कर लेना चाहिए कि हमास और इज़राइल के बीच अमेरिका, मिस्र और सऊदी अरब ने मिलकर जो समझौता कराया है, उसके लिए हर कोई अपनी पीठ ठोंक रहा है। लेकिन उससे पहले भी भारत के दोगलेपन की बात।  भारत के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार 16 जनवरी 2025 को कहा कि हम #इज़राइल_हमास_डील का स्वागत करते है। हम बंधकों की रिहाई और #गाजा_ युद्धविराम ...

ग़ज़लः हर मसजिद के नीचे तहख़ाना...

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  हर मसजिद के नीचे तहख़ाना ........................................... -यूसुफ किरमानी हर मसजिद के नीचे खोदो, मिल जाएगा तहख़ाना मालूम है, नफ़रत के ढेर पर है तुम्हारा तोपख़ाना। रोज़ाना आता है वो, नया हंगामा ओ दहशत लेकर मुल्क के एंकर बनाते हैं, स्टूडियो में नया बुतखाना।  सियासत का हर दांव मुल्क की मिल्लत पर भारी है नहीं आती कोई आवाज़, ख़ामोश है नक्कारखाना। ये ज़हरीली फिज़ा महज़ मौसमी नहीं है जनाबे आला अहले सियासत ही चला रहे हैं, हर घर में कारख़ाना।  मत करो इंसाफ की ढोंगी बातें, उसकी बातों का क्या मालूम है कहाँ से चलता है सरमायेदार का छापाखाना। टीवी चैनल कर नहीं सकते अपने मुल्क की सच बातें बताते हैं पाकिस्तान को शरीफ़ों ने बनाया कबाड़ख़ाना। यूसुफ ए किरमानी हिला दो राजा का सिंहासन जनता भूखी है, जला दो अब उसका नेमतखाना। - यूसुफ किरमानी  copyright2024@YusufKirmani

तैना शाह आ रहा है...

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 तैना शाह आ रहा है .............................. जनता, बजाओ ताली की तैना शाह आ रहा है हाँ, ख़ाली है थाली, पर धर्म तो जगमगा रहा है बिछाओ मसनद, सजाओ राजमुकुट उसका धर्म की आग में झुलसेगा अब हर तिनका तुम्हें समन्दर क्यों चाहिए, जब दरिया छोड़ दिया है प्यासे न मरोगे, उसने चुल्लू भर पानी छोड़ा दिया है ख़ूब चाटो बाबा की किताब, जनतंत्र मर चुका जब हिटलर ही धर्मतंत्र का ऐलान कर चुका हमने दरिया में लाशें देखीं और तैना शाह के तराने देखे खबरें बनाती रहीं तमाशा हमारा, एंकर ऐसे सयाने देखे कहीं से अब कोई सदा नहीं आती यूसुफ ए किरमानी ज़रा ज़ोर से बजाओ बिगुल, सुनाओ कोई नई कहानी @YusufKirmani January 22, 2024

भारत में निष्पक्ष चुनाव नामुमकिनः व्यक्तिवादी तानाशाही में बदलता देश

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  Fair elections are impossible in India: The country is turning into an individualistic dictatorship an article by Yusuf Kirmani, published in Samyantar Janauary 2024 issue. भारत में निष्पक्ष चुनाव और व्यक्तिवादी तानाशाही पर यूसुफ किरमानी का यह लेख समयांतर जनवरी 2024 में प्रकाशित हुआ था। इसे अब मुफ्त कंटेंट के तौर पर हिन्दीवाणी के पाठकों के लिए प्रकाशित किया जा रहा है। भारत में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव के लिए एकमात्र संस्था केंद्रीय चुनाव आयोग है।  12  दिसंबर को राज्यसभा में और 21 दिसंबर 2023 को लोकसभा के शीतकालीन अधिवेशन में मोदी सरकार एक विधेयक लाई और उसके जरिए केंद्रीय चुनाव आयोग में केंद्रीय चुनाव आयुक्त (सीईसी) और आयुक्तों के चयन का अधिकार प्रधानमंत्री ,  सरकार का कोई मंत्री और नेता विपक्ष को मिल गया। इतना ही नहीं चुनाव आयुक्तों का दर्जा और वेतन सुप्रीम कोर्ट के जजों के बराबर कर दिया गया।  नियमों में एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह भी हुआ कि अगर कोई मुख्य चुनाव आयुक्त या आयुक्त अपने कार्यकाल में जो भी फैसले लेगा ,  उसके खिलाफ न तो कोई एफआईआर दर्ज होगी और ...