क्या हमास को खत्म किया जा सकता है
Can Hamas be eliminated?
इस सवाल का जवाब अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने दिया है। उनका कहना है कि #हमास को खत्म नहीं किया जा सकता है। अलबत्ता उसे राजनीतिक रूप से हराया जा सकता है। यह बयान छोटा नहीं है। बहुत बड़ा बयान और स्वीकारोक्ति है।
खुद को ख़ुदा समझने वाले अमेरिका का यह मान लेना कि हमास को खत्म नहीं किया जा सकता, पश्चिम के मजबूत और ताकतवर निजाम को बेनकाब कर दिया है। बहुत जल्द यही अमेरिका, यही यूरोप, यही इज़राइल #हिजबुल्लाह और यमन के #हूतियों के लिए भी कहेंगे।
लेकिन ब्लिंकन ने कहा कि हमास को हराया नहीं जा सकता, और हम लोग बिना दलीलों के मान लें, जरा मुश्किल है। इसके तमाम पहलुओं पर विचार जरूरी है।
आगे बढ़ने से पहले इस खबर की चर्चा कर लेना चाहिए कि हमास और इज़राइल के बीच अमेरिका, मिस्र और सऊदी अरब ने मिलकर जो समझौता कराया है, उसके लिए हर कोई अपनी पीठ ठोंक रहा है। लेकिन उससे पहले भी भारत के दोगलेपन की बात।
भारत के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार 16 जनवरी 2025 को कहा कि हम #इज़राइल_हमास_डील का स्वागत करते है। हम बंधकों की रिहाई और #गाजा_ युद्धविराम के लिए समझौते की घोषणा का स्वागत करते हैं। हमें उम्मीद है कि इससे गाजा के लोगों को मानवीय सहायता की सुरक्षित और लगातार आपूर्ति होगी।
विदेश मंत्रालय ने संवाद, कूटनीति और मानवीय विचारों के महत्व पर जोर देते हुए संघर्ष पर भारत के रुख पर जोर दिया। विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की, "हमने लगातार सभी बंधकों की रिहाई, युद्धविराम और बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया है।"
इससे पहले भारत ने गाजा के लोगों के लिए अक्टूबर 2024 में पहली खेप में 30 टन दवाएं, सर्जिकल आइटम, डेंटल चीज, सामान्य मेडिकल आवश्यकताएं, और पौष्टिक बिस्कुट भेजी। इसके बाद भी भारत ने फिलिस्तीनी लोगों को मदद भेजी।
लेकिन दूसरी तरफ भारत के आम लोगों ने जब इज़राइल के अत्याचार का विरोध करने के लिए रैलियां निकाली, फिलिस्तीन के समर्थन में नारे लगाये तो उनके खिलाफ भगवाधारियों ने कई स्थानों पर एफआईआर दर्ज करवा दिया। #फिलिस्तीन जिन्दाबाद के नारे लगाने पर देशद्रोह माना गया और केस दर्ज किया गया।
इससे नतीजा यह निकलता है कि अंतरराष्ट्रीय और यूएन में अपनी साख बचाने के लिए गाजा में मदद भेजी गई। लेकिन इज़राइल को खुश करने के लिए भारत में फिलिस्तीन समर्थक मुस्लिमों पर केस दर्ज किये गये। इससे बड़ा दोगलापन और क्या हो सकता है। खैर, इस चर्चा को यहीं छोड़कर अमेरिकी विदेश मंत्री के बयान और ताजा समझौते से हमास को क्या हासिल हुआ, उस पर बात करते हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि हमास ने इज़राइल द्वारा मारे गए सभी लड़ाकों की जगह नए लड़ाके भर्ती कर लिये हैं। हालांकि अमेरिका हमास को आतंकवादी कहती है लेकिन दुनिया के 55 मुल्क ऐसे भी हैं जो हमास, हिजबुल्लाह और हूतियों को आतंकी न कहकर लड़ाके कहती है।
ब्लिंकन ने कहा कि हमास को सिर्फ युद्ध के मैदान पर नहीं हराया जा सकता और गाजा में हमास को सही तरीके से हराने के लिए राजनीतिक तौरतरीकों की जरूरत है।
ब्लिंकन ने कहा कि जब भी #इज़राइल पीछे हटता है तो ग़ाज़ा के कुछ हिस्सों में हमास फिर से संगठित हो जाता है और फिर से उभर आता है क्योंकि उन क्षेत्रों पर पुलिस या उन पर शासन करने की कोई व्यवस्था नहीं है। हमास अपने रैंकों को फिर से भरता रहता है। अब तो स्थिति ऐसी है कि हमास ने इजराइल द्वारा मारे गए सभी आतंकवादियों के स्थान पर नई भर्तियां कर ली हैं।
ब्लिंकन ने कहा, “हमने इज़रायली सरकार को लंबे समय से यह बात बता दी है कि हमास को अकेले सैन्य अभियान से नहीं हराया जा सकता है – बिना किसी स्पष्ट विकल्प, संघर्ष के बाद की योजना और फिलिस्तीनियों, हमास या कुछ और के लिए एक विश्वसनीय राजनीतिक समाधान के बिना संभव नहीं है। हमास के खतरनाक के रूप से बढ़ने का खतरा हमेशा बना रहेगा।''
ब्लिंकन ने साफ शब्दों में कहा- ”जितने अधिक निर्दोष फिलिस्तीनी मारे जाएंगे, उतना अधिक हमास को फायदा होगा। वो खड़ा होता रहेगा।” यानी ब्लिंकन भी मानते हैं कि ग़ाज़ा में मारे जा रहे फिलिस्तीनी निर्दोष हैं।
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने हाल ही में बताया था कि शहीद किए गए हमास प्रमुख याह्या #सिनवार के छोटे भाई मोहम्मद सिनवार को ग़ाज़ा में हमास की कमान मिल गई है।
मोहम्मद सिनवार एक विद्रोही ताकत के रूप में हमास को फिर से खड़ा करने में जुट गये हैं।
अखबार ने इज़रायली अधिकारियों के हवाले से बताया कि ग़ाज़ा युद्ध में हमास के 30,000 लड़ाकों में से लगभग 17,000 मारे गए हैं और हजारों को गिरफ्तार किया गया है।
इतने बड़े नुकसान के बावजूद हमास ग़ाज़ा में रोज़ाना इज़राइली आतंकवाद का सामना करता है।
इज़राइल हमास युद्धविराम डील कितनी कारगर होगी, नहीं कहा जा सकता। लेकिन जिस तरह इस डील को लेकर अमेरिका का शुक्रिया अदा किया जा रहा है और इज़राइल अपनी पीठ थपथपा रहा है। उसमें कुछ दम नहीं है। लेकिन एंटनी ब्लिंकन ने यह बात बिल्कुल सही कही है कि हमास हर बार उठ खड़ा होता है।
यानी इस डील से दरअसल फिलिस्तीन और हमास फायदे में हैं। क्योंकि इजराइली सेना ग़ाज़ा से गट जाएगी। इज़राइली बंधकों के बदले सैकड़ों निर्दोष फिलिस्तीनी इज़राइली जेलों से छूटकर ग़ज़ा आ जायेंगे। इस तरह हमास ज्यादा फायदे में है।
मुझे ऐसा लगता है कि हमास को चूंकि नुकसान ज्यादा हुआ है तो वो कुछ समय के लिए इस युद्ध से हट रहा है, ताकि वो फिर से मजबूत होकर इज़राइल के खिलाफ खड़ा हो सके।
उसने 250 बंधकों को इज़राइल के अंदर घुसकर उठाया था। उनमें से करीब 150 या तो छोड़ दिये गये या वो उल्टा इज़राइली हमले में मारे गये। क्योंकि हमास सभी बंधकों की जगह रोजाना बदल देता था। इज़राइल ज्यादातर बिल्डिंगों को निशाना बना रहा था। ऐसे में कई बिल्डिंग में बंधक भी फंस गये और मारे गये।
भ्रष्ट नेतन्याहू का क्या होगा
इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भ्रष्टाचार और वहां की न्यायपालिका को नीचा दिखाने के आरोपों का सामना कर रहा है। उसके खिलाफ वहां आये दिन प्रदर्शन हो रहे हैं और उसे गिरफ्तार करके मुकदमा चलाने की मांग इज़राइल में हो रही है।
इज़राइली जनता कई बार नेतन्याहू के खिलाफ प्रदर्शन कर चुकी है। इज़राइल के रक्षा मंत्री ने नेतन्याहू के खिलाफ तमाम आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था। जबकि उस समय इज़राइल हमास युद्ध चरम पर था। नेतन्याहू पर कई देशों में एनएसओ कंपनी का जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस बिकवाने का भी आरोप है।
भारत में पेगासस पर मचा शोर दबा दिया गया। लेकिन अमेरिका ने कैलिफोर्निया की अदालत ने पेगासस की कंपनी पर जुर्माना लगा दिया है। पेगासस पर अमेरिका में वही आरोप है, जो भारत में पेगासस पर था।
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