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अभाव, गंदगी, चुनाव के झूठे वायदों के बावजूद हरिजन कैंप में जिंदगी गुलज़ार है

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जगह- हरिजन कैंप, लोदी कॉलोनी, साउथ दिल्ली की मस्जिद बच्चे का नाम - मोहम्मद सलमान सोर्स का नाम - मोहम्मद मोती, राज मिस्त्री (मैंशन) पहले वीडियो देखें फिर नीचे की तस्वीर देखें...वीडियो में क्या है, जानबूझकर नहीं लिखा। अगर आपने सुना तो शायद आप ही बता दें। दिल्ली में लोदी रोड पर इंडिया हबीतात सेंटर है और इसी से चंद कदम की दूरी पर हरिजन कैंप आबाद है। जिस इंडिया हबीतात सेंटर में ग़रीबों और ग़रीबी पर आए दिन सेमीनार होते रहते हैं, वहीं चंद कदम की दूरी पर यह बस्ती उन तमाम लफ्फाजियों को मुंह चिढ़ाती रहती है। मैं इस बस्ती में कल था। लोग बता रहे थे तीन दिन से पानी नहीं आ रहा है। लेकिन लोग उस गुस्से में शिकायत नहीं कर रहे थे, जिसकी उम्मीद की जाती है। चुनाव के मौसम में जब हर वोटर अपनी समस्याएं बताते नहीं थकता है, ऐसे में इस बस्ती में चुनाव कोलाहल से दूर लोग खुद में मस्त नजर आए। खबरों के मामले में टीवी के तमाम घटिया प्रभावों के बावजूद इस बस्ती के लोगों को नहीं मालूम कि इस आम चुनाव में कौन जीतेगा। उनका कहना था कि हमें कल फिर दिहाड़ी पर निकल जाना है, हमें क्या फर्क पड़ेगा, कौन जितेगा और क

मस्जिदों में गोलीबारी के बाद न्यूजीलैंड महान है या भारत...

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कोई भी देश महान उसके लोगों से बनता है...भारत न्यूज़ीलैंड की घटना से बहुत कुछ सीख सकता है...सिर्फ नारा भर देने से कि गर्व से कहो हम फलाने महान हैं तो कोई महान नहीं बनता। पूरे न्यूजीलैंड के लोग अपने आसपास के मुस्लिम घरों में जा रहे हैं, वे उन्हें गुलाब पेश करते हैं और कहते हैं हम आपके साथ हैं।...वहां की प्रधानमंत्री का भाषण कल रात से मैंने कई बार सुना।...प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डन का मारे गए लोगों के लिए बोला गया यह शब्द - They are us (दे आर अस) यानी वो हम ही हैं - अब वायरल है और ऐसे ही शब्द किसी देश के नेता के व्यक्तित्व का परिचय कराते हैं। वरना ढिंढोरचियों की तो कमी नहीं है। कोई बुज़ुर्ग पोस्टर लेकर न्यूजीलैंड से मीलों दूर मैन्चेस्टर की मस्जिद के बाहर खड़ा है, जिस पर लिखा है- मैं आपका दोस्त हूँ। जब आप नमाज़ पढ़ेंगे, मैं आपकी सुरक्षा करूँगा।...और उस बुज़ुर्ग की बेटी उस पोस्टर को शेयर करते हुए लिखती है कि मुझे गर्व है कि आप मेरे पिता हैं। आज मैंने जाना कि  सेकुलर होने का मतलब क्या है? बीबीसी को इस बुज़ुर्ग के पोस्टर में इतनी गहराई नज़र आती है कि वह

मुस्लिम विमर्श....एक पैगाम...

(वैसे तो यह पब्लिक पोस्ट है, कोई भी पढ़ सकता है लेकिन इसमें पैगाम सिर्फ मुसलमानों के नाम है...) रात मेरे ख़्वाब में पैगंबर-ए-रसूल आए...मुझे उनका चेहरा तो नहीं दिखाई दिया लेकिन उनकी आवाज़ गूँजती रही और मैं सुनता रहा। उन्होंने यह पैग़ाम भारतीय मुसलमानों तक पहुँचाने को कहा है... आए दिन ऐतिहासिक शहरों के नामकरण और भाजपा के मंदिर राग और कांग्रेस के साफ्ट हिंदुत्व के खेल के बावजूद अगर आप लोग शांत (मुतमइन) हैं तो आप लोगों को इस धैर्य को न खोने देने वाले जज़्बे को कई लाख सलाम... आप लोग 2019 के चुनाव तक इसी धैर्य का परिचय दें। ...क्योंकि वोट के लिए मची जंग का सबसे घिनौना चेहरा अभी आना बाकी है...। वह सब होने वाला है, जिसकी आपने कल्पना नहीं की होगी।...हर दिन साजिशों से शुरू हो रहा है। लेकिन अगर आप लोग किसी उकसावे में नहीं आए तो यक़ीन मानिए बाकी ताक़तें अपने मकसद में नाकाम हो जाएंगी। अभी आपको शिया-सुन्नी ...अशरफ़-पसमांदा...बरेलवी-दे वबंदी-कादियानी-इस्माइली-खोजा- बोहरा, सैयद-पठान जैसे फ़िरक़ों या बिरादरी में बाँटने की हरचंद कोशिशें होंगी। मैंने अल्लाह की जो किताब तुम लो