मुस्लिम विमर्श....एक पैगाम...

(वैसे तो यह पब्लिक पोस्ट है, कोई भी पढ़ सकता है लेकिन इसमें पैगाम सिर्फ मुसलमानों के नाम है...)

रात मेरे ख़्वाब में पैगंबर-ए-रसूल आए...मुझे उनका चेहरा तो नहीं दिखाई दिया लेकिन उनकी आवाज़ गूँजती रही और मैं सुनता रहा। उन्होंने यह पैग़ाम भारतीय मुसलमानों तक पहुँचाने को कहा है...

आए दिन ऐतिहासिक शहरों के नामकरण और भाजपा के मंदिर राग और कांग्रेस के साफ्ट हिंदुत्व के खेल के बावजूद अगर आप लोग शांत (मुतमइन) हैं तो आप लोगों को इस धैर्य को न खोने देने वाले जज़्बे को कई लाख सलाम...

आप लोग 2019 के चुनाव तक इसी धैर्य का परिचय दें। ...क्योंकि वोट के लिए मची जंग का सबसे घिनौना चेहरा अभी आना बाकी है...। वह सब होने वाला है, जिसकी आपने कल्पना नहीं की होगी।...हर दिन साजिशों से शुरू हो रहा है। लेकिन अगर आप लोग किसी उकसावे में नहीं आए तो यक़ीन मानिए बाकी ताक़तें अपने मकसद में नाकाम हो जाएंगी।

अभी आपको शिया-सुन्नी ...अशरफ़-पसमांदा...बरेलवी-देवबंदी-कादियानी-इस्माइली-खोजा-बोहरा, सैयद-पठान जैसे फ़िरक़ों या बिरादरी में बाँटने की हरचंद कोशिशें होंगी। मैंने अल्लाह की जो किताब तुम लोगों तक पहुंचाई उसमें सिर्फ सामाजिक समानता और सामाजिक न्याय (Social Equality and Social Justice) की बात लिखी गई है। दुनिया का कोई धार्मिक ग्रंथ सामाजिक समानता की बात नहीं करता। अल्लाह के लिए न कोई अव्वल है न अफजल। सब बराबर हैं।

आप सिर्फ और सिर्फ अल्लाह के रसूल की उम्मत समझकर एकजुट रहना है।

अभी जब आरएसएस ने संत सम्मेलन कराया तो उसे उम्मीद थी कि आप लोगों की तरफ से जबरदस्त प्रतिक्रिया होगी और पूरा माहौल बदल जाएगा। लेकिन आप लोगों की प्रतिक्रियाविहीन खामोशी ने उनका ब्लडप्रेशर बढ़ा दिया । उनकी पूरी रणनीति पर पानी फिर गया। उन्हें आप से ऐसी उम्मीद नहीं थी।...वो बेचैन हैं और एक बिफरा हुआ इंसान सौ गलतियां करता है। आप बस खामोशी से इस तमाशे को देखिए।

ये जो शहरों के नाम बदले जा रहे हैं और आप लोग चुप हैं, ये भी उनकी परेशानी का सबब बना हुआ है। शहरों का नाम बदलने से आप लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, लेकिन सामने वाले पर इतना फर्क पड़ने वाला है कि उसकी कई पीढ़ियां याद रखेंगी। यही वजह है कि सामने वालों में बहुत बड़ी तादाद में समझदार लोग इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं। लेकिन आपको हर हाल में खामोश रहना है। यहां तक कि जो लोग विरोध कर रहे हैं, उनके साथ भी शामिल नहीं होना है। ...आपको घेरने की हर कोशिश नाकाम हो जाएगी...अगर यह खामोशी बरकरार रही। ...यह उस तरफ के समझदार लोगों को सोचने दीजिए कि वो इन ताकतों का मुकाबला कैसे करेंगे।

...दरअसल, वो लोग जातियों में बंटे हुए हैं और उसी हिसाब से वे अपनी रणनीति बनाते हैं। उनकी जातियों के मसले आपके फिरकों से बहुत ज्यादा टेढ़े हैं। उनमें जो दबे कुचले लोग हैं, वो ढुलमुल यकीन हैं। कभी इस तरफ होते हैं तो कभी उस तरफ होते हैं। उनको सिर्फ इतना बता दिया गया है कि बस अपना आरक्षण बचा लो तो आप कामयाब रहोगे। उनकी कुल लड़ाई आरक्षण बचाने तक सिमट कर रह गई है। ...आरक्षण रहेगा तो भी आपको (मुसलमानों) कोई फायदा नहीं होगा और नहीं रहेगा तो भी कोई फायदा नहीं होगा। बीच-बीच में पसमांदा मुसलमानों की बात और उन्हें मिलने वाले आरक्षण की बात फैलाई जाती है, लेकिन हकीकत में किसी भी मुसलमान को आरक्षण का कोई लाभ किसी सूरत में न तो मिल रहा है और न मिलने वाला है।...वैसे भी अगर आप आरक्षण के सहारे जिंदगी बसर करने के बारे में सोच रहे हैं तो यह आपकी कमअक्ली के अलावा और कुछ नहीं है। इसलिए आप सभी के साथ रहें, जो आरक्षण विरोधी हैं और जो आरक्षण समर्थक हैं। 

आपकी तरक्की का राज कुरानशरीफ में छिपा है।...इल्म हासिल कीजिए। पढ़ा लिखा इंसान बड़ी से बड़ी दुनियावी ताकत को हरा सकता है। मुझे मालूम है कि आपको नौकरियां नहीं मिल रही हैं। लेकिन अगर आपके पास इल्म है और कोई रोजगार करना चाहते हैं तो बाकी लोगों के मुकाबले आप उस रोजगार बेहतर तरीके से कर सकेंगे।

पैगंबर के नाम पर आज से पूरी दुनिया में 9 दिसंबर तक पैगंबर दिवस मनाया जा रहा है। इस दौरान मैं आप लोगों को सुझाव दे रहा हूं कि आप लोग सारी राजनीति से किनारा करते हुए इस दौरान किसी भी सात दिन इन चीजों पर अमल करें।...

पहला दिन...
-पेड़ पौधे लगाएं और लोगों में बांटें
-जिन पेड़ों को पानी न मिल रहा हो, उन्हें पानी से सींचें
-अपने आसपास की सड़कों और नालियों को साफ करें
-इस पोस्ट का ज्यादा से ज्यादा प्रचार करें


दूसरा दिन...
-अपने पड़ोसियों और दोस्तों से मिलें, उन्हें कोई भी गिफ्ट दें
-सबील लगाएं और साधन संपन्न लोग गरीबों को जूस पिलाएं
-अपने आसपास रहने वाले गरीबों और जरूरतमंदों की किसी भी रुप में मदद करें

तीसरा दिन
-किसी यतीमखाने (अनाथालय) और ओल्ड ऐज होम (वृद्ध आश्रम) में जाएं
-अस्पताल और जेलों में जाएं
-वहां गरीबों के बीच खाना, कपड़ा, कंबल बांटें
-अगर हैसियत वाले हैं तो व्हीलचेयर, छड़ी या उनके काम आने वाला सामान बांटें

चौथा दिन
-आतंकवाद के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाकर जागरूकता फैलाएं
-स्कूलों में शांति मार्च आयोजित कराएं
-इस्लाम को शांति का मजहब बताते हुए विचार गोष्ठियां आयोजित करें, इससे संबंधित रिसर्च पेपर पढ़ें


पांचवां दिन...
-मुफ्त मेडिकल चेकअप कैंप लगाएं...यह पूरी तरह नॉन कमर्शल हो
-रक्तदान शिविर आयोजित करें
-लोगों को सेहत और सफाई के बारे में जागरूक करें

छठा दिन...
-सरकारी स्कूलों और स्पेशल बच्चों (मूक बधिर) के स्कूलों में जाएं और वहां स्टेशनरी बांटें
-जिनसे संभव हो सके वो स्कॉलरशिप बांटे...यानी कुछ पैसे गरीबों के बच्चों को दें
-पैगंबर की जिंदगी के बारे में स्कूल के बच्चों को बताएं, उनसे सवाल पूछें
-बच्चों को पढ़ाई और उनके करियर के बारे में जागरूक करें

सातवां दिन...
-पैगंबर के कोट्स या चुनिंदा कही बातों का वितरण करें
-अॉटो, रिक्शा, ईरिक्शा, कैब में बैठी सवारियों को कलम बांटें
-पोस्टर चिपकाएं, बैनर चिपकाएं
-शहर में कॉन्फ्रेंस और वर्कशॉप आयोजित करें
-इस पोस्ट का ज्यादा से ज्यादा प्रचार करें

वसीयत....
मैं फिर से ईद-ए-मोबाहिला में कही गई अपनी वसीयत दोहरा रहा हूं जिसे आप लोग भूलते जा रहे हैं...
-अगर कुरान और मेरे अहलेबैत का दामन थामे रहे तो भारत ही नहीं किसी भी दुनियां में तुम लोगों को शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा...तुम लोग जिंदा कौम की एक बेहतरीन मिसाल हो...अपनी ताकत को पहचानो।...

















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