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कहानी - घृणा ... मोक्ष

लेखक ः एस. रजत अब्बास किरमानी दुष्यंत को मरे हुए एक महीना हो चुका था। उसकी बीवी धरा एक महीने से न ढंग से खा पाई थीे न ढंग से सो पाई थी, बस आंसुओं से उसके होने का पता चलता था। लोग तो यह तक सोच चुके थे कि जिस दिन आंसू बंद हुए, उस दिन धरा की आँखें भी बंद हो जाएंगी। इसीलिए उसके रोने पर कोई नहीं टोकता। हालांकि सब उसे सब्र रखने और ढारस देने की कोशिश करते मगर सब बेकार ही चला जाता। लोगों के बीच हैरानी की बात यह नहीं थी कि दुष्यंत की मौत कैसे हुई, हैरानी इस बात पर थी कि किस वक़्त और किस मौके पर हुई। धरा का अब एक बेटा रह गया था, श्रवण। उसकी हाल ही में सुधा से शादी हुई थी। मगर लोग कहते हैं कि शादी सही महुर्त पर नही हुई। दुष्यंत, अपने बेटे की ही शादी में चल बसा। ग़ौर ओ फ़िक्र इस बात पर है कि बेटे-बहू के सातवें फेरे लेते ही उसका दम निकला। कुछ लोगों ने यह तक मजाक बनाया कि उधर बेटा की नई जिंदगी शुरू हुई और इधर बाप दूसरी दुनिया में जिंदगी शुरू करने चला गया। धरा अपने बेटे से इस बात पर खफा थी कि बाप के मरने के वक़्त उसने बस एक बार पीछे मुड़ कर देखा और फिर एक बेहिस की तरह पंडित को शादी की प...

आतंकवाद के बीज से आतंकवाद की फसल ही काटनी पड़ेगी

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- स्वामीनाथन एस. ए. अय्यर, सलाहकार संपादक, द इकोनॉमिक टाइम्स   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी आतंकवाद को नियंत्रित करने और इसे खत्म करने पर काफी कुछ कहते रहते हैं। लेकिन आतंकवाद की सही परिभाषा क्या है ? डिक्शनरी में इसकी परिभाषा बताई गई है – अपना राजनीतिक मकसद पूरा करने के लिए खासतौर पर नागरिकों के खिलाफ हिंसा और धमकी का गैरकानूनी इस्तेमाल। इस परिभाषा के हिसाब से जो भीड़ बीफ ले जाने की आशंका में लोगों को पीट रही है और जान से मार रही है, वह लिन्चिंग मॉब (जानलेवा भीड़) दरअसल आतंकवादी ही हैं। कश्मीर में भी जो लोग इस तरह पुलिसवालों की हत्या कर रहे हैं वह भी वही हैं। जान लेने वाली यह सारी भीड़ अपने धार्मिक-राजनीतिक मकसदों के लिए नागरिकों के खिलाफ गैरकानूनी हिंसा का सहारा ले रही है। यह सभी लोग आतंकवादी की परिभाषा के सांचे में फिट होते हैं। हालांकि बीजेपी में बहुत सारे लोग इससे सहमत नहीं होंगे। वह कहेंगे कि हिंदुओं की भावनाएं आहत हुई हैं और बीफ विरोधी हिंसा को समझने की जरूरत है। कश्मीर में हुर्रियत भी मारे गए पुलिसवालों की मौत पर घड़ियाली आंसू बहाएगी और कहेगी कि भारत...

नफरतों के कारोबार के खिलाफ लोग सड़कों पर

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अब रोके से न रुकेगा यह सैलाब भारत की यही खूबसूरती है कि फूट डालो और राज करो वाली चाणक्य नीति से राज चलाने वालों को समय-समय पर मुंहतोड़ जवाब देती है। भारत ने 28 जून को सिर्फ दिल्ली या मुंबई में ही यह जवाब नहीं दिया, बल्कि लखनऊ, पांडिचेरी, त्रिवेंद्रम, जयपुर, कानपुर, भोपाल...में भी नफरतों का कारोबार करने वालों को जवाब देने के लिए लोग भारी तादाद में जुटे।...यह आह्वान किसी राजनीतिक दल या सामाजिक संगठन का नहीं था, बल्कि एक फेसबुक पोस्ट के  जरिए लोगों से तमाम जगहों पर #जुनैद, #पहलू खान, #अखलाक अहमद, रामबिलास महतो की हत्या के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने के लिए कहा गया था। ...लोग आए और #सांप्रदायिक गुंडों को बताया कि देखो हम एक हैं...हम तुम्हारी फूट डालो और राज करो वाली #चाणक्य नीति से सहमत नहीं हैं...यानी Not In My Name (#NotInMyName) आइए विडियो और फोटो के जरिए जानें और देखें कि लोगों ने किस तरह और किन आवाज में अपना विरोध दर्ज कराया... जंतर मंतर दिल्ली पर हुए कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें...

मैं चलती ट्रेन में आतंक बेचता हूं...

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मैं उन्माद हूं, मैं जल्लाद हूं मैं हिटलर की औलाद हूं मैं धार्मिक व्यभिचार हूं मैं एक चतुर परिवार हूं मैं चलती ट्रेन में आतंक बेचता हूं मैं ट्रकों में पहलू खान खोजता हूं मैं घरों में सभी का फ्रिज देखता हूं मैं हर बिरयानी में बीफ सोचता हूं मैं एक खतरनाक अवतार हूं मैं नफरतों का अंबार हूं मैं दोधारी तलवार हूं मैं दंगों का पैरोकार हूं मैं आवारा पूंजीवाद का सरदार हूं मैं राजनीति का बदनुमा किरदार हूं मैं तमाम जुमलों का झंडाबरदार हूं मैं गरीब किसान नहीं, साहूकार हूं मुझसे यह हो न पाएगा, मुझसे वह न हो पाएगा और जो हो पाएगा, वह नागपुरी संतरे खा जाएगा फिर बदले में वह आम की गुठली दे जाएगा  मेरे मन को जो सुन पाएगा, वह "यूसुफ" कहलाएगा  ........कवि का बयान डिसक्लेमर के रूप में........ यह एक कविता है। लेकिन मैं कोई स्थापित कवि नहीं हूं। इस कविता का संबंध किसी भी राजनीतिक दल या व्यक्ति विशेष से नहीं है। हालांकि कविता राजनीतिक है। हम लोगों की जिंदगी अराजनीतिक हो भी कैसे सकती है। आखिर हम लोग मतदाता भी हैं। हम आधार कार्ड वाले लोगों के आस...

नफरतों का संगठित कारोबार...बल्लभगढ़ से श्रीनगर तक

Organized Hate Business from Ballabhgarh to Srinagar चिदंबरम ने बतौर होम मिनिस्टर कभी कहा था कि देश में भगवा आतंकवाद फैल रहा है।...मैंने उस वक्त उनके उस बयान की बड़ी निंदा की थी, क्योंकि वह सच नहीं था।...लेकिन अभी अपने देश में जिस तरह एक भीड़ किसी को घेर कर इसलिए मार देती है कि उसने दाढ़ी रखी है... सिर पर टोपी है...और वह लोग मीट खाते हैं...तो इस अपराध को आप किस श्रेणी में रखना चाहेंगे।... मेरे एक अभिन्न संघी मित्र घटना से आहत हैं और बार-बार लिख रहे हैं कि वह बल्लभगढ़ में ट्रेन में कुछ मुस्लिम युवकों पर हुए हमले और एक की हत्या से बहुत आहत हैं...लेकिन उनका आग्रह है कि इसे हिंदू आतंकवाद न कहा जाए....मैंने अपने मित्र से कहा कि न तो आपकी पोस्ट पर किसी ने ऐसा कमेंट किया और न ही मैंने आपसे ऐसा कहा...फिर आप परेशान क्यूं हैं....संघी मित्र का कहना है कि देर-सवेर यह मामला यही रूप लेगा और हिंदू आतंकवाद शब्द फिर से कहा जाने लगेगा। कम से कम उदार हिंदू जो हमारे काम से प्रभावित होकर हमारे साथ जुड़े हैं वे फिर छिटक जाएंगे... ....मैं नहीं जानता कि देश के बाकी मुसलमान बल्लभगढ़ की घटना को किस...

एक घोर सांप्रदायिक शख्स का राष्ट्रपति बनना...

देश की सत्तारूढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी अन्य दलों ने बिहार के गवर्नर रामनाथ #कोविंद को #राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के रूप में चुना है। भारतीय इतिहास में इतने बड़े पद पर कभी इतने ज्यादा विवादित व्यक्तित्व के मालिक को इस पद का प्रत्याशी नहीं बनाया गया। कोविंद अभी चुने नहीं गए हैं लेकिन उनके विवादित और भ्रष्ट आचरण को लेकर तमाम आरोप सामने आ रहे हैं। लेकिन हम यहां कुछ ठोस मुद्दे पर बात करेंगे। यह जो रामनाथ कोविंद है न...यह घोर #सांप्रदायिक हैं....कैसे.... 2010 में इस कोविंद ने कहा था कि ईसाई और मुसलमान इस देश के लिए एलियन हैं। "Islam and Christianity are alien to the nation." यानी मुसलमान और ईसाई भारत में आए हुए दूसरे ग्रह के प्राणी हैं। इस शख्स ने यह बात क्यों कही थी... 2010 में जस्टिस रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट आई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को सरकारी नौकरियों में 15 फीसदी रिजर्वेशन दिया जाए। कोविंद तब बीजेपी के प्रवक्ता थे, उन्होंने मिश्रा आयोग की सिफारिशों का विर...

चुप रहिए न...विकास हो रहा

कहिए न कु छ विकास हो रहा बोलिए न कुछ विकास हो रहा टीवी-अखबार भी बता रहे विकास हो रहा झूठी हैं तुम्हारी आलोचनाएं हां, फर्जी हैं तुम्हारी सूचनाएं जब हम कह रहे हैं  तो विकास हो रहा देशभक्त हैं वो जो  कह रहे विकास हो रहा गद्दार हैं वो जो  कह रहे विनाश हो रहा मक्कार हैं वो जो कर रहे गरीबी की बातें चमत्कार है, अब कितनी  सुहानी हैं रातें कमाल है, तीन साल के लेखे-जोखे पर तुम्हें यकीन नहीं इश्तेहार में इतने जुमले भरे हैं फिर भी तुम्हें सुकून नहीं अरे, सर्जिकल स्ट्राइक का  कुछ इनाम तो दो इसके गहरे हैं निहितार्थ कुछ लगान तो दो अरे भक्तों, अंधभक्तों, यूसुफ  कैसे लिखेगा तुम्हारा यशोगान हां, समय लिखेगा, उनका  इतिहास जो चुप रहे और  गाते रहे सिर्फ देशगान कॉपीराइट यूसुफ किरमानी, नई दिल्ली Copyright Yusuf Kirmani, New Delhi