पाकिस्तान में टीवी पत्रकारिता
एशियाई देशों में अगर टीवी पत्रकारिता कहीं सबसे ज्यादा पिछड़ी हुई है तो वह पाकिस्तान है। उनके न्यूज चैनल बड़ी सफाई से भारतीय न्यूज चैनलों के फुटेज का इस्तेमाल करते हैं। अगर भारत में घटिया से घटिया किसी टीवी चैनल की बात की जाए तो भी पाकिस्तान के टीवी चैनल बहुत पिछड़े हुए हैं। अभी किसी मित्र ने मुझे यूट्यूब की एक क्लिप भेजी, जिसे देखकर आप भी लोटपोट हुए बिना नहीं रह सकते।
दरअसल, यह सब मैंने इसलिए लिखा कि पिछले दिनों पाकिस्तान के Jam News चैनल से नौकरी का आफर दिया गया कि हम आपको भारत में अपना ब्यूरो प्रमुख नियुक्त करना चाहते हैं। मैंने उनको गोलमोल जवाब दिया और उसके संपादक और मालिक लगातार ईमेल पर और फोन करके लंबी-चौड़ी डींगे मारते रहे। हालांकि मुझे उनके लिए काम नहीं करना था, क्योंकि उनकी मंशा मुझे कुछ-कुछ समझ आ रही थी। एक दिन अचानक उन लोगों का फिर फोन आया और वे उस बातचीत को लाइव करने लगे। उन्होंने कहा कि क्या JAM TV भारत में देखा जाता है, मैंने कहा – यहां तो कोई उसका नाम भी नहीं जानता। इस सवाल पर वे लोग बौखलाए। फिर कहा कि जरूर यह वहां बैन कर दिया गया होगा। मैंने कहा-पीटीवी (PTV) के बारे में तो जानता हूं लेकिन JAM TV नाम के चैनल को बैन करने की बात नहीं सुनी .या पढ़ी। उनका फिर अगला सवाल था- आप तो मीडिया में हैं, आप जैसे लोग क्यों नहीं दबाव बनाते कि पाकिस्तान के टीवी चैनल भारत में भी दिखाए जाएं। इसके लिए आप लोग अखबारों में भी लिख सकते हैं। मैंने कहा – सलाह के लिए शुक्रिया। लेकिन मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या आपके यहां प्रेस पूरी तरह आजाद है, जैसा कि भारत में है। मेरे इतना कहते ही उधर से आवाज आने लगी कि लगता है कि हमारी बातचीत अधूरी रहेगी क्योंकि फोन लाइन कट हो गई है। यह बात इस छोर पर मैं सुन रहा था और हंस रहा था। उसके बाद उन लोगों ने फिर कभी नौकरी देने के लिए मुझसे संपर्क नहीं साधा।
बहरहाल, आप यह विडियो देखिए और जानिए कि पाकिस्तान की टीवी पत्रकारिता किन हालात में है -
दरअसल, यह सब मैंने इसलिए लिखा कि पिछले दिनों पाकिस्तान के Jam News चैनल से नौकरी का आफर दिया गया कि हम आपको भारत में अपना ब्यूरो प्रमुख नियुक्त करना चाहते हैं। मैंने उनको गोलमोल जवाब दिया और उसके संपादक और मालिक लगातार ईमेल पर और फोन करके लंबी-चौड़ी डींगे मारते रहे। हालांकि मुझे उनके लिए काम नहीं करना था, क्योंकि उनकी मंशा मुझे कुछ-कुछ समझ आ रही थी। एक दिन अचानक उन लोगों का फिर फोन आया और वे उस बातचीत को लाइव करने लगे। उन्होंने कहा कि क्या JAM TV भारत में देखा जाता है, मैंने कहा – यहां तो कोई उसका नाम भी नहीं जानता। इस सवाल पर वे लोग बौखलाए। फिर कहा कि जरूर यह वहां बैन कर दिया गया होगा। मैंने कहा-पीटीवी (PTV) के बारे में तो जानता हूं लेकिन JAM TV नाम के चैनल को बैन करने की बात नहीं सुनी .या पढ़ी। उनका फिर अगला सवाल था- आप तो मीडिया में हैं, आप जैसे लोग क्यों नहीं दबाव बनाते कि पाकिस्तान के टीवी चैनल भारत में भी दिखाए जाएं। इसके लिए आप लोग अखबारों में भी लिख सकते हैं। मैंने कहा – सलाह के लिए शुक्रिया। लेकिन मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या आपके यहां प्रेस पूरी तरह आजाद है, जैसा कि भारत में है। मेरे इतना कहते ही उधर से आवाज आने लगी कि लगता है कि हमारी बातचीत अधूरी रहेगी क्योंकि फोन लाइन कट हो गई है। यह बात इस छोर पर मैं सुन रहा था और हंस रहा था। उसके बाद उन लोगों ने फिर कभी नौकरी देने के लिए मुझसे संपर्क नहीं साधा।
बहरहाल, आप यह विडियो देखिए और जानिए कि पाकिस्तान की टीवी पत्रकारिता किन हालात में है -
टिप्पणियाँ
पर वीडियो देखने में मजा आया
गिनते गिनते ये भी भूल गया कि कितनी बार बिचारे ने इंडस न्यूज कराची बोला था