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यह चुनावी व्यवस्था भ्रष्ट है...इसे उखाड़ फेंकिये

सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसलों पर टीका टिप्पणी की मनाही है लेकिन इधर जिस तरह से तमाम मुद्दों पर उसका रूख सामने आया है, वो कहीं न कहीं आम नागरिक को बेचैन कर रहा है।... विपक्ष ने ईवीएम (EVM) से निकलने वाली 50 फ़ीसदी पर्चियों का वीवीपैट (VVPAT) से मिलान करने की माँग करते हुए पुनर्विचार की माँग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अभी थोड़ी देर पहले उस माँग को ख़ारिज कर दिया। हद यह है कि सुप्रीम कोर्ट 25 फ़ीसदी पर्चियों के मिलान पर भी राज़ी नहीं हुआ... देखने में यह आ रहा है कि चुनाव आयोग नामक संस्था ने इस पूरे चुनाव में सत्ता पक्ष के साथ बगलगीरी कर ली है। ...और सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को ठीक से निर्देशित तक नहीं कर पा रहा है। कितनी दयनीय स्थिति है देश की दो सबसे बड़ी लोकतांत्रिक संस्थाओं की। इससे पहले सुनाई पड़ता था कि किसी एक सीट या दो सीटों पर धाँधली पर चुनाव आयोग आँख मूँद लेता था। उसने मोदी के खिलाफ की गई हर शिकायत को नजरन्दाज करके क्लीन चिट दी। जिस बोफ़ोर्स मामले में फ़ाइनल फ़ैसला तक आ चुका हो, उसे लेकर एक मृत शख़्स को भला बुरा कहा। चुनाव आयोग ने इसका संज्ञान तक नहीं लिया। महान चुनाव आयुक्

मुस्लिम ब्रदरहुड से बड़ी चुनौती है आरएसएस की

-विकास नारायण राय, पूर्व आईपीएस राहुल गाँधी की आरएसएस की मुस्लिम ब्रदरहुड से तुलना सटीक होते हुए भी ऐतिहासिक सतहीपन का शिकार नजर आती है| सबसे पहले, उन्होंने वैश्विक शांति के नजरिये से आकलन में वही गलती की है जो 2013 में मिश्र में मोहम्मद मोरसी की सरकार का तख्ता पलट होने देने में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने की थी| पॉलिटिकल इस्लाम को अरब समाज के लोकतान्त्रिक परिदृश्य से ओझल नहीं किया जा सकता; न पॉलिटिकल हिंदुत्व को भारतीय समाज के! दूसरे, भारतीय समाज को आरएसएस के खतरे से चेताने के लिए उन्हें देशी जमीन का इस्तेमाल करना चाहिये था क्योंकि आरएसएस विश्व शांति को नहीं भारतीय समाज की शांति को खतरा है| आज मिश्र में ब्रदरहुड के साठ हजार लोग जेलों में हैं जबकि भारत में आरएसएस अपने आप में कानून बना हुआ है; इस लिहाज से आरएसएस कई गुना बड़ी चुनौती कहा जाएगा| अमेरिका में इसी महीने मिश्र में ब्रदरहुड सत्ता पलट पर न्यूयॉर्क टाइम्स के कैरो में ब्यूरो प्रमुख रहे डेविड किर्कपैट्रिक की किताब ‘इनटू द हैंड्स ऑफ़ द सोल्जर्स’ का प्रकाशन हुआ है| उनकी थीसिस के अनुसार, ब्रदरहुड शासन में अंततः लोकतान्त्रिक

ढोंगी चाय वाले की महानतम खोज...

कुछ सुना आपने...अब हम लोग नाली से निकलने वाली गैस से चाय बना सकते हैं...सुना है कि किसी फलाने देश के ढोंगी चाय वाले ने यह महानतम खोज की है... ...उस देश में इतने मैनहोल हैं, सभी जगह की गैस जमा करके सभी बेरोजगार वहां चाय की दुकान खोल सकते हैं...हर वक्त ताजी गैस मिलेगी और चाय भी शानदार होगी... मैंने तो फलाने देश के प्रधानमंत्री जी को लिख दिया है कि कृपया इस बार भगवा क़िले की दीवार पर चढ़कर अपने भाषण में नाली से निकलने वाली गैस और उससे बनने वाली चाय के बारे में विस्तार से रौशनी डालें...ताकि फलाने देश के तमाम बेरोजगार इसमें अपने लिए कुछ खोज सकें... मुझे लगता है कि "पकौड़ा तलो रोजगार योजना" के बाद "नाली गैस की चाय" योजना फलाने देश की अर्थव्यवस्था को और मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी... ताज्जुब है कि गैस पैदा करने वाली देश की तमाम नालियों और मैनहोलों की पुख्ता सुरक्षा का इंतजाम नहीं किया गया है। इसके लिए कम से कम एक कैबिनेट लेवल का मंत्री तो नियुक्त ही किया जाना चाहिए जो देश भर में ऐसी नालियों से निकलने वाली गैस की सुरक्षा संभाल

संघ प्रमुख के विचार और राजनीतिक नियम

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत क्या मोदी को हटाना चाहते हैं या वह 2019 में नए चेहरे को पीएम पद पर बैठाना चाहते हैं...उनका नागपुर में स्कयं सेवकों के बीच दिया गया कल का बयान काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भाजपा किसी एक ख़ास व्यक्ति की वजह से नहीं जीत रही बल्कि तात्कालिक परिस्थितियाँ उसकी मदद कर रही हैं।... भागवत की इन बातों के बहुत गहरे अर्थ हैं।...वो मंत्री, वो सांसद, वो विधायक, वो भाजपा नेता और थर्ड क्लास भक्त जो उठते बैठते मोदी-मोदी करते हैं उनसे संघ प्रमुख ख़ुश नहीं हैं। संघ प्रमुख भविष्य देख रहे हैं...उनकी नज़र लक्ष्य पर है।  ...पर वह यह कहना चाहते हैं कि संघ की बजाय किसी ख़ास का मुखौटा लगाकर जिस तरह भाजपा आगे बढ़ रही है वह घातक है क्योंकि भाजपा संघ की पैदा की गई परिस्थितियों की वजह से जीत रही है न कि नरेंद्र मोदी या अमित शाह की वजह से। संघ प्रमुख ने यह बात शीशे की तरह साफ़ कर दी है कि अगर किसी संगठन में व्यक्ति पूजा शुरू हो जाए तो वह पार्टी कांग्रेस बनते देर नहीं लगती है। एक अच्छे खासे राजनीतिक दल कांग्रेस की गिरावट हमारे सामने है। व्यक्ति या परिवार पूजा ने इस पार

नफरतों के कारोबार के खिलाफ लोग सड़कों पर

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अब रोके से न रुकेगा यह सैलाब भारत की यही खूबसूरती है कि फूट डालो और राज करो वाली चाणक्य नीति से राज चलाने वालों को समय-समय पर मुंहतोड़ जवाब देती है। भारत ने 28 जून को सिर्फ दिल्ली या मुंबई में ही यह जवाब नहीं दिया, बल्कि लखनऊ, पांडिचेरी, त्रिवेंद्रम, जयपुर, कानपुर, भोपाल...में भी नफरतों का कारोबार करने वालों को जवाब देने के लिए लोग भारी तादाद में जुटे।...यह आह्वान किसी राजनीतिक दल या सामाजिक संगठन का नहीं था, बल्कि एक फेसबुक पोस्ट के  जरिए लोगों से तमाम जगहों पर #जुनैद, #पहलू खान, #अखलाक अहमद, रामबिलास महतो की हत्या के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने के लिए कहा गया था। ...लोग आए और #सांप्रदायिक गुंडों को बताया कि देखो हम एक हैं...हम तुम्हारी फूट डालो और राज करो वाली #चाणक्य नीति से सहमत नहीं हैं...यानी Not In My Name (#NotInMyName) आइए विडियो और फोटो के जरिए जानें और देखें कि लोगों ने किस तरह और किन आवाज में अपना विरोध दर्ज कराया... जंतर मंतर दिल्ली पर हुए कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें...