संदेश

Modi लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

यूसुफ किरमानी का कवितासन

तुम करो आसन                                         हम करें शासन भाड़ में जाए जनता का राशन गरीब हो तो भूखे पेट ही करो शीर्षासन कंगाल हो तो टमाटर पर करो ताड़ासन सरकार और संतरी भी करें योगासन न आए कुछ समझ तो करें चमचासन दाल के रेट पर मत करें क्रोधासन आलू के दाम पर करें पद्मासन बैंगन पर करें स्वार्गं आसन लौकी पर करें सर्पासन जी हां, योग अब 100 पर्सेंट धंधा है काले को सफेद करने वाला बंदा है कैसे उस ब्रैंड को मार भगाया और कैसे अपना पैर जमाया जो न समझे खेल को वो अंधा है सत्ता की आड़ है, धर्म की बाड़ है गऊ माता के देश में बाबा ही सांड़ है जागो मेरे भारत जागो अभी सवेरा है यूसुफ तुम भी जुटो जहां बहुत अंधेरा है फिर मत कहना, दरवाजे पर खड़ा लुटेरा है कुछ बातें, कुछ संदर्भ .............................. मेरी इस कविता की पहली दो लाइन रिटायर्ड आईपीएस जनाब  Vikash Narain Rai ( वीएन राय) के सौजन्य से है। उन्होंने पिछले साल योग दिवस पर दिल्ली के राजपथ पर हुए तमाशे के मौके पर वो दो लाइने अपने फेसबुक स्टेटस में लिखी थीं। आज फिर योग दिव

अमेरिकी सीनेट में तेरे भाषण पर क्या ताली बजाना याद है….

धत्त तेरे की…अमेरिकन कितने मतलबी होते हैं…खबर तो आप लोगों को मिल गई होगी। लेकिन बराक के दोस्त और उनका खानदान इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं… …उस अमेरिकी संसद ने भारत को अपना खास दोस्त और ग्लोबल स्ट्रैटजिक (वैश्विक रणनीतिक) और डिफेंस फ्रेंड का दर्जा देने वाले बिल को पास करने से मना कर दिया, जिसके पास होने पर भारत-अमेरिका और करीब आ जाते। …ये वही अमेरिकी संसद है, जिसके बारे में भारतीय मीडिया और बराक के दोस्त के खानदान वाले उचक-उचक कर बता रहे थे कि देखो आज अमेरिकी सांसद इतनी बार दोस्त के लिए ताली बजाने को अपनी कुर्सी से उठे। किसी भक्त ने 16 बार बताया तो एक भक्त ने 66 बार ताली बजाने की बात बता डाली। भक्तों ने ये भी बताया कि इतनी तालियां तो पंडित जवाहर लाल नेहरू के भाषण पर अमेरिकी संसद में नहीं बजी थीं। …भक्तों ने कहा कि अटल जी को भी पीछे छोड़ दिया बराक के दोस्त ने… …मीडिया के एक वर्ग ने अभी चार दिन पहले बराक के दोस्त की यात्रा को लिखा था कि फलाने की डाक्टरिन (DOCTORINE) को आखिर अमेरिका ने मान ही लिया…अब तो बीसो ऊंगली घी में… ….बुधवार अमेरिकी सांसदों ने सारे हवाबाजों और

खतरनाक ख्यालात....Dangerous Thoughts ...Must Read for Muslims...मुसलमान जरूर पढ़ें

उसके खतरनाक ख्याल ने मेरी नींद हराम कर दी है। अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने एक ट्रेनिंग कैंप लगाया, जिसके फोटो मीडिया और सोशल मीडिया पर वायरल हुए। जिसमें दिखाया गया है कि कुछ युवकों के हाथों में हथियार हैं और वे हथियार चलाने की ट्रेनिंग ले रहे हैं। इस फोटो के सामने आने के बाद फौरन स्वयंभू मुस्लिम परस्त नेता असाउद्दीन ओवैसी का बयान आया कि अगर मुसलमान भी इस तरह के ट्रेनिंग कैंप लगाएं तो क्या होगा... कुछ बेवकूफ, जाहिल और कुछ पढ़े-लिखे मुसलमान ओवैसी की जयजयकार करते हुए कूद पड़े और कहा, हां बताओ...अगर हम भी ऐसा करें तो... यह खतरनाक विचार है...खतरनाक ख्याल है...जिसे मुसलमानों को ओवैसी की राजनीति के साथ ही दफन कर देना चाहिए...हालांकि तमाम मुसलमान चिंतक मेरी इस सलाह की धज्जियां उड़ा देंगे औऱ उर्दू अखबारों में मेरे खिलाफ लिखकर पन्ने काले कर देंगे...लेकिन मुझे उनकी परवाह नहीं है। ...और जो लोग मुझे नहीं जानते हैं, वे भी रातोंरात मुझे संघ समर्थक या उनका एजेंट बताने में जुट जाएंगे। बहरहाल, सारा घटनाक्रम एक बहुत नाजुक मोड़ पर सामने आया है, इसलिए सभी को आगाह करना मेरा

चूंकि...इसलिए...नहीं कहेंगे...

चूंकि जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और डॉ. मनमोहन सिंह जय हिंद बोलते थे....इसलिए हम जयहिंद नहीं बोलेंगे... चूंकि मामूली से लड़के कन्हैया कुमार ने नया नारा - जय जवान, जय किसान, जय संविधान ...दिया है तो इसलिए अब हम इसका भी विरोध करेंगे और इसकी जगह फर्जी राष्ट्रवाद का नया नारा ढूंढेंगे... चूंकि बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने भारतीय संविधान लिखकर तमाम परेशानियां बढ़ा दी थीं तो इसलिए उन्हें छद्म रूप से मानेंगे लेकिन उन्हें और उनके विचारों को मिटाने की कोशिश जारी रहेगी। चूंकि शास्त्री जी जय जवान-जय किसान बोलते थे ....इसलिए हम वो भी नहीं बोलेंगे...शर्म आती है न चूंकि नेहरू ने डिस्कवरी अॉफ इंडिया में आइडिया अॉफ इंडिया का जो खाका पेश किया...हम उसे सख्त नापसंद करते हैं...इसलिए हम सिर्फ बहुसंंख्यक आबादी वाले अखंड ..?.. राष्ट्र को आइडिया अॉफ इंडिया मानेंगे... चूंकि बाबा साहब ने लिखा था ...We the people of India...इसलिए हमें ये सब न कहकर कहेंगे...We the only people of India who are custodian of this (so called) Nationalism...  चूंकि भारत के गांवों

सुन रहा है न तू...

जुमलेबाजों के लिए किसानों के आंसू मायने नहीं रखते ....................................................................... कल बारिश के साथ ओले पड़े...तीन दिन पहले भी बारिश हुई थी ओले पड़े थे... मैं पिछले चार दिन से इस इंतजार में था कि कोई नेता, कोई मंत्री, कोई प्रधान चौकीदार कम से कम दो शब्द बोलकर उन किसानों के आंसू पोंछने की कोशिश करेगा, जिनके गेंहू की फसल इस अचानक बदले मौसम में बर्बाद हो गई... लेकिन कहीं कोई बयान...कहीं कोई सहायता की घोषणा नहीं हुई...इस बारिश और ओले ने छोटे किसान को तो बर्बाद कर दिया है लेकिन संजीव बालियान, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, बीरेंद्र सिंह जैसे बड़े तथाकथित किसानों को भी नुकसान पहुंचा है...लेकिन मजाल है कि किसी के मुंह से कोई लफ्ज निकला हो...मजाल है कि किसी मदद की घोषणा की गई... अब जरा अपनी आंखों के सामने दिल्ली की यमुना नदी के किनारे की कल की वो तस्वीर लाइए...गुरुजी के साथ विशालकाय मंच पर देश के प्रधान चौकीदार... सामने नर्तकियां, संगीतकार, भजन गायक....और न जाने क्या-क्या...मंच से देश को बताया जा रहा है कि ऐसे ही कार्यक्रम