चूंकि...इसलिए...नहीं कहेंगे...
चूंकि जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और डॉ. मनमोहन सिंह जय हिंद बोलते थे....इसलिए हम जयहिंद नहीं बोलेंगे...
चूंकि मामूली से लड़के कन्हैया कुमार ने नया नारा - जय जवान, जय किसान, जय संविधान ...दिया है तो इसलिए अब हम इसका भी विरोध करेंगे और इसकी जगह फर्जी राष्ट्रवाद का नया नारा ढूंढेंगे...
चूंकि बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने भारतीय संविधान लिखकर तमाम परेशानियां बढ़ा दी थीं तो इसलिए उन्हें छद्म रूप से मानेंगे लेकिन उन्हें और उनके विचारों को मिटाने की कोशिश जारी रहेगी।
चूंकि शास्त्री जी जय जवान-जय किसान बोलते थे ....इसलिए हम वो भी नहीं बोलेंगे...शर्म आती है न
चूंकि शास्त्री जी जय जवान-जय किसान बोलते थे ....इसलिए हम वो भी नहीं बोलेंगे...शर्म आती है न
चूंकि नेहरू ने डिस्कवरी अॉफ इंडिया में आइडिया अॉफ इंडिया का जो खाका पेश किया...हम उसे सख्त नापसंद करते हैं...इसलिए हम सिर्फ बहुसंंख्यक आबादी वाले अखंड ..?.. राष्ट्र को आइडिया अॉफ इंडिया मानेंगे...
चूंकि बाबा साहब ने लिखा था ...We the people of India...इसलिए हमें ये सब न कहकर कहेंगे...We the only people of India who are custodian of this (so called) Nationalism...
चूंकि भारत के गांवों की पंचायतों में अगड़ी जातियों के लोग ज्यादा पढ़े लिखे होते हैं, इसलिए पंचायत चुनाव में हम अनपढ़ता का कानून नहीं मानेंगे...इसलिए हमने कानून बदलकर पंचायतों को सिर्फ अगड़ी जातियों के लोगों से भर देने का फैसला किया है...चूंकि हमारी सरकार है, हमारे कई मंत्री दसवीं-बारहवीं तक ही पढ़ सकें हैं तो इसलिए हम यहां यानि लोकसभा के लिए कम से कम ग्रैजुएट पढ़ा-लिखा होने का पैमाना नहीं मानेंगे...लोकसभा में अनपढ़ मंत्रियों का होना जरूरी है, इसलिए कि उच्च शिक्षा का बंटाधार किया जा सके...
चूंकि तमाम फ्रॉड किस्म के बाबाओं ने हमारी मदद की है इसलिए बाबाओं की अब मदद करना हमारा फर्ज है। बेशक वो बलात्कार के आरोपी हों, बेशक वो भी शहद में चीनी मिलाते हों, बेशक वो गाय का घी उसके दूध के उत्पादन से ज्यादा बनाकर बेचते हों, बेशक वो आटा नूडल्स के नाम पर गड़बड़ी करते हों, बेशक उन्होंने जमीन कब्जा ली हो, बेशक वो क़़ॉरपोरेट घरानों की दलाली करता हो...
चूंकि बीफ खाने और उन जानवरों के चमड़े से एक बहुत बड़े वर्ग को रोजगार मिला हुआ है, इसलिए हम बीफ खाने वालों का विरोध करेंगे...हम उनकी रसोई में झांक-झांककर देखेंगे कि कहीं उनके कुकर में बीफ तो नहीं पक रहा है, हम स्टूडेंट्स हॉस्टल में भी झाकेंगे कि कहीं कोई लड़का बीफ तो नहीं पका रहा है...हम नए दादरी बनाने की कोशिश जारी रखना चाहते हैं...ताकि यूपी का कुरुक्षेत्र जीता जा सके...
चूंकि इसलिए अब और नहीं कहेंगे ...क्यों लब अब आजाद नहीं रहे। फैज अहमद फैज कह गए थे कि बोल लब आजाद हैं...लेकिन चुप हो जा कि लब खुलने पर पाकिस्तान भेजे जाने का खतरा है...
चूंकि तमाम फ्रॉड किस्म के बाबाओं ने हमारी मदद की है इसलिए बाबाओं की अब मदद करना हमारा फर्ज है। बेशक वो बलात्कार के आरोपी हों, बेशक वो भी शहद में चीनी मिलाते हों, बेशक वो गाय का घी उसके दूध के उत्पादन से ज्यादा बनाकर बेचते हों, बेशक वो आटा नूडल्स के नाम पर गड़बड़ी करते हों, बेशक उन्होंने जमीन कब्जा ली हो, बेशक वो क़़ॉरपोरेट घरानों की दलाली करता हो...
चूंकि बीफ खाने और उन जानवरों के चमड़े से एक बहुत बड़े वर्ग को रोजगार मिला हुआ है, इसलिए हम बीफ खाने वालों का विरोध करेंगे...हम उनकी रसोई में झांक-झांककर देखेंगे कि कहीं उनके कुकर में बीफ तो नहीं पक रहा है, हम स्टूडेंट्स हॉस्टल में भी झाकेंगे कि कहीं कोई लड़का बीफ तो नहीं पका रहा है...हम नए दादरी बनाने की कोशिश जारी रखना चाहते हैं...ताकि यूपी का कुरुक्षेत्र जीता जा सके...
चूंकि इसलिए अब और नहीं कहेंगे ...क्यों लब अब आजाद नहीं रहे। फैज अहमद फैज कह गए थे कि बोल लब आजाद हैं...लेकिन चुप हो जा कि लब खुलने पर पाकिस्तान भेजे जाने का खतरा है...
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