नागपुर फिसल रहा है...

जरा सा #रेलकिराया क्या बढ़ा दिया...पों-पों करके चिल्लाने लगे...
जरा सी #दालमहंगी हो गई तो नाबदान के कीड़े बिलबिलाने लगे...
जीवन में थोड़ा फेलेक्सी होना सीखिए...देश बदल रहा है
अब छाती पर कोल्हू चलाएंगे...क्योंकि #नागपुर फिसल रहा है
...वोट जो तुमने दिया है, उस #इश्क के इम्तेहां तो अभी बाकी है...
....तीन साल और रगड़ेंगे, भर दे पैमाना तू ही तो मेरा साकी है
टूटी सड़कों पर #स्मार्टसिटी खड़े कर दिए...
रेगिस्तान में भी #हवामहल खड़े कर दिए...
#जातिवाद के मुकाबले को #गऊमाता लाए...
मुफ्त सिम के लिए #डिजिटलइंडिया लाए...
पूंजीवादी #राष्ट्रवाद की नई परिभाषा गढ़ी
मैंने लिखी वो ग़ज़ल जो #गुलज़ार ने भी पढ़ी
तेरे पास अगर बलूचिस्तान और #पाकिस्तान है
झांक गिरेबां में अपने, मेरे पास पूरा #हिंदुस्तान है


नोट - गंभीर हिंदी साहित्य पढ़ने वाले कृपया इसमें कविता न तलाशेंः यूसुफ किरमानी


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