कोई चिट्ठी से न मारो...मेरे मोदी दीवाने को
अरे बाबा...बड़ा डर लगता है रे...अपने मोदी जी की कुछ सिरफिरे हत्या करना चाहते हैं।...सब मिलकर उनकी सलामती के लिए दुआ करो भाइयों-बहनों...
कौन हैं ये लोग...कोई शहरी नक्सली बताए जाते हैं। ...मतलब शहर में रहने वाले कुछ सिरफिरे हैं जो यह करना चाहते हैं।...पुलिस ने किसी सादे काग़ज़ पर लिखी चिट्ठी बरामद की है जिसमें किसी ने मोदी जी की हत्या के बारे में लिखा है...
मतलब कितने कमअक्ल हैं ये बदमाश की चिट्ठी लिखकर यह बात बताते हैं...बहुत दुर्दिन चल रहे हैं नक्सलियों के...हरामजादों चिट्ठी लिखकर मोदी जी को भला कैसे मारने देंगे हम लोग, तुम लोगों को...जिस देश ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या देखी...इंदिरा गांधी की हत्या देखी...राजीव गांधी की हत्या देखी...न कोई चिट्ठी ...न संदेश...न तारीख़ पर तारीख़...धायं- धायं की और उड़ा दिया...ये कौन बदमाश है जो चिट्ठी लिखकर मोदी जी को मारने चला है...सवा सत्यानाश हो उसका...
अपना मोदी तो सवा सेर है।...पट्ठा खुली जीप में रोडशो करता है।...कश्मीर चला जाता है...जैसे कोई मसीहा आया हो....
सारा प्रोग्राम मीडिया चार दिन पहले बता देता है कि देश का प्रधानसेवक कब ...कहाँ ...कैसे पहुँचने वाला है...और वो दो-तीन हरामखोर या हरामज़ादे शहरी नक्सली सड़े काग़ज़ पर चिट्ठी लिखकर मोदी जी को मारना चाहते हैं...ख़ालाजी का घर है क्या...यह हमारे मोदी जी की सरासर तौहीन है....तुम लोगों को चिट्ठी लिखने के लिए वह सड़ा काग़ज़ मिला था ? पीएम की गरिमा का ज़रा भी ख़्याल नहीं...कहाँ वो अपने परिधान और हर चीज़ का इतना ध्यान रखते हैं और हरामखोरो तुम लोग सड़ा काग़ज़ इस्तेमाल कर रहे हो...इतने बेहतरीन शानदार जुमलेबाज के लिए तुम लोग ढंग की ज़बान में खत भी न लिख सके...
...याद है गोवा की रैली में मोदी जी का वो रोना...ये न हुआ....वो न हुआ तो चौराहे पर जूते मारना...सूली चढ़ा देना...अब जो शख़्स खुलेआम पिटने के लिए घूम रहा हो...सोचो उस बेचारे की हत्या के बारे में सोचना कितना बड़ा महापाप है....वह तो सर्वत्र सुलभ है बदमाशों...छी शर्म आती है तुम पर शहरी नक्सलियों...इतने अच्छे अच्छे जुमले बोलने वाले के लिए तुमने ऐसा सोचा...सचमुच बहुत नीच हो तुम लोग...
सुना है शहरी नक्सली तो बहुत पढ़े लिखे लोग होते हैं...फिर यह ग़लती किसने की... इतना घटिया काग़ज़ चुनने और ज़बान इस्तेमाल करने की...अरे नक्सलियों की कोई कमिटी जाँच करके बताओ रे...किसको सूझी थी यह शरारत...क्या किसी में न थी चिट्ठी लिखने की महारत...अब देखना पुलिस कैसे लाएगी तुम लोगों में हरारत...
अरे तुम से अच्छा तो बहराइच के जरवल क़स्बे का वो मौजीलाल है जो बिना बताए ....चिट्ठी लिखे इलाहाबाद बैंक जा पहुँचा और आग लगाने लगा... जानते हो क्यों...इसलिए की मोदी जी ने उसके खाते में 15 लाख रूपये नहीं भेजे....उसने चेतावनी देकर आग लगाने की कोशिश की....पुलिस ने उसे ग्रामीण नक्सली तक नहीं कहा...बस मंदबुद्धि यानी दिव्यांग बता डाला...सोचो मेरे देशप्रेमियों....शहरी नक्सलियों ....जो मोदी जी से 15 लाख माँगे वह मंदबुद्धि का और जो सड़े काग़ज़ पर लिखकर धमकी दे वो शहरी नक्सली....तुम सब घोंघाबसंत हो ...
मौजीलाल .....तु्म्हारे बहाने तुम्हारे पिता रामबालक का नाम भी रौशन हो गया ....तुम एक जुमले पर यक़ीन कर 15 लाख माँगने चले आए...मौजीलाल न तो शहरी नक्सली है न ग्रामीण नक्सली...जो एक जुमले के सहारे बैठा है और तुम लोग सड़े हुए काग़ज़ पर हमारे मोदी जी की हत्या के बारे में लिखते हो...तुम्हें सात जन्म लेने पड़ेंगे मोदी जी तक पहुँचने में...मौजीलाल तुम भारत हो...तुम मौज करो...15 लाख का इंतज़ार करो...
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