गांधी हैकर्स के क़ब्ज़े में


महात्मा गांधी इस बार 2 अक्टूबर को हैकर्स का शिकार हो गए हैं।...गोडसे की संतानें गांधी को याद कर रही हैं...इस बार दो अक्टूबर ऐसे वक़्त में आया है जब दिल्ली आ रहे किसानों को यूपी बॉर्डर पर रोक दिया गया है...गांधी जिस लोकतंत्र के लिए लड़े, उसी लोकतंत्र में देश के अन्नदाता को रोका जा रहा है...
अपने ग़ुस्से को शांत करने के लिए 2 अक्टूबर 2015 को गर्म हवा नाम की कविता अपने ब्लॉग हिंदीवाणी से निकाली और मामूली संपादन के बाद यहाँ फिर से दे रहा हूं...याद आ रहा है तब तक गौरी लंकेश की हत्या नहीं हुई थी...इसलिए दाभोलकर और पनसारे का ही ज़िक्र आया है...गांधी हैकर्स के विरोध में पढ़िए यह कविता...
              
    गर्म हवा...


बापू हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल जिंदा हैं
पहनते हैं खादी, जुमलेबाजी में उम्दा हैं
                                           
कहता है खुद को अहिंसा का पुजारी
लेकिन जान ले रहा इंसान की दुराचारी

बापू हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल जिंदा हैं...

कितनी गर्म हवा चल रही है अपने देश में
गली-गली हत्यारे घूम रहे हैं साधू के वेश में

बापू हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल जिंदा हैं...

कर्ज है सिर पर, बेड़ी है किसान के पांव में
बड़े साहब ला रहे हैं इंटरनेट, फेसबुक गांव में

बापू हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल जिंदा हैं...

दाभालोकर, पनसारे शहीद हो गए सच की राह में
अभी और आएंगे कई मसीहा शहादत की चाह में

बापू हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल जिंदा हैं...

हे रामदास अब न बोले तो आख़िर कब बोलोगे
अब न निकले घरों से तो बताओ कब निकलोगे

बापू हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल जिंदा हैं...

मिटा दो खुद को हर ज़ोर ओ जुल्म के खिलाफ
चलो, कूच करो, कब तक ओढ़े रखोगे लिहाफ़

बापू हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल जिंदा हैं...


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