साम्प्रदायिक वायरस और निज़ामुद्दीन में जमाती
साम्प्रदायिक वायरस (Communal Virus) किसी भी कोरोना वायरस से ज्यादा ख़तरनाक है। कोरोना खत्म हो जाएगा लेकिन साम्प्रदायिक वायरस कभी खत्म नहीं होगा। सरकारी पार्कों में #नागपुरी_शाखाएँ_बंद हैं लेकिन उनके कीटाणु तमाम मीडिया आउटलेट्स में प्रवेश कर चुके हैं और उनके ज़रिए #साम्प्रदायिकवायरस को फैलाने का काम जारी है। भेड़िए को अगर इंसान का ख़ून मुँह में लग जाए तो वह रोज़ाना इंसान का शिकार करने निकलता है। तमाम #टीवी चैनल और कुछ पत्रकारों की हालत इंसानी ख़ून को पसंद करने वाले भेड़िए जैसी हो गई है। #कोरोना में साम्प्रदायिक नुक़्ता अभी तक नदारद या नजरन्दाज था। लेकिन भेड़ियों के झुंड ने आख़िरकार दिल्ली के हज़रत #निज़ामुद्दीन बस्ती के एक मरकज़ की #तबलीगी_जमात में जाकर तलाश लिया। हालाँकि #तबलीगीजमात वग़ैरह जैसी चीज़ों के मैं व्यक्तिगत तौर पर बहुत खिलाफ हूँ। जिन लोगों की दुनिया खुदा के #रसूल और उनके #अहलेबैत, #सूफीज्म से आगे नहीं बढ़ती वो कोई भी तबलीग कर लें, ऊँचा पाजामा पहन लें, कम से कम #इस्लाम को तो नहीं फैला रहे। अभी जो घटना हुई उससे लोगों को बचाया जा सकता था। लेकिन तबलीगी जमात मे...