लघु कथा : लॉकडाउन दोस्ती

लॉकडाउन अब उसे क़ैद जैसा लगने लगा था।
कोई कितना मोबाइल इस्तेमाल करे।
 वो अब किसी ऐसे से बात करना चाहता था,
 जिससे वो अपने दिल की बात कर सके।
 सोशल मीडिया का कोना कोना ढूँढा, कोई नहीं मिला।
 एक था, मगर पिछले कुछ महीनों से चल रही
कम्यूनल हवा के ज़हर से उनकी दोस्ती ने दम तोड़ दिया था।

-मुस्तजाब किरमानी

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

हिन्दू धर्म और कैलासा

ग़ज़लः हर मसजिद के नीचे तहख़ाना...

तैना शाह आ रहा है...