ताली और थाली का निहितार्थ समझिए...
प्रधानमंत्री मोदी जी ने आपसे आज (22 मार्च शाम 5 बजे) जनता कर्फ्यू के दौरान ताली और थाली यूं ही नहीं बजवा दिया।...
संघ पोषित विचारों की आड़ लेकर सरकार द्वारा प्रायोजित इतना बड़ा जन एकजुटता का प्रदर्शन कभी नहीं हुआ था।
संघ पोषित विचारों की आड़ लेकर सरकार द्वारा प्रायोजित इतना बड़ा जन एकजुटता का प्रदर्शन कभी नहीं हुआ था।
जिन लोगों ने इसे नहीं बजाया, उन्हें अपने उन पड़ोसियों की वजह से हीन
भावना में आने की जरूरत नहीं है जिन्होंने जमकर बजाया।...और इतना जोर से
बजाया कि परिंदे भी डर गए...
आपके जिन पड़ोसियों ने इस मौके पर पटाखे छोड़े हैं, उनके प्रति कोई दुर्भावना नहीं पालें। #मोदी जी ने उनसे ताली और थाली बजाने को कहा था, बेचारों ने खुशी में पटाखे भी चला दिए। लेकिन दरअसल वे नादान ही तो थे, अनजाने में पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचा दिया जो इस वक्त #ग्लोबल_वार्मिंग से मुक्त होकर सुखद सांस ले रहा था।
तो...आइए इस #ताली_और_थाली_बजाने_का_निहितार्थ समझते हैं...
अगर किसी को #1992_में_मंदिर_आंदोलन और लालकृष्ण #आडवाणी की रथ यात्रा के दिनों की कुछ घटनाएं याद हों तो वो आसानी से आज के ताली और थाली बजाने को समझ जाएंगे। लेकिन जिन्हें याद नहीं या जो उस समय नहीं पैदा हुए थे, उन्हें बताता हूं।
#मंदिर_आंदोलन की शुरुआत में ज्यादा लोग नहीं जुटते थे तो इससे #आरएसएस चिंतित रहता था। उसने #विश्व_हिंदू_परिषद समेत अपने सभी अनुषांगिक संगठनों को निर्देश दिया कि वे इतना तो कर सकते हैं कि रोजाना शाम को अपने मुहल्ले के हर #मंदिर में जाकर थाली या घंटा बजाने लगें। इससे लोग जुड़ेंगे, उन्हें इसके बारे में समझाइए। बहुत छोटे स्तर पर इसकी शुरुआत हुई लेकिन धीरे-धीरे इसमें बढ़ोतरी होने लगी। इन #अनुषांगिक_संगठन के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को यह भी निर्देश था कि धीर-धीरे इसे बातचीत के माध्यम से पूजा से जोड़ दें। #आडवाणी_की_रथ_यात्रा जिन शहरों से गुजरी, वहां-वहां एक हफ्ते तक ताली-थाली का कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
मोदी #संघ के न सिर्फ पुराने #स्वयंसेवक हैं, बल्कि संघ द्वारा राजनीतिक कार्यों के लिए अनुमोदित शख्स हैं। कट्टरता उनमें कूट कूट कर भरी हुई है। वे संघ के निर्देशों को इतना लोकप्रिय बनाने का मद्दा रखते हैं कि संघ के #सरकार्यवाह की अपील को संघ के कार्यकर्ता उतना प्रचारित नहीं कर पाते जितना वे मोदी के निर्देशों को प्रचारित करते हैं।
मोदी ने आज ताली और थाली को उस मुकाम तक पहुंचा दिया, जिसका कल्पना आरएसएस के बड़े पदाधिकारियों ने भी नहीं की थी। संघ और #भाजपा से असहमत लोगों ने भी आज ताली-थाली बजा डाली। उन्होंने भी बजाई जिन्हें #देश_की_गिरती_आर्थिक_हालत की चिंता है। उन्होंने भी बजाई जो ये मानते थे या मानते हैं कि कोरोना किसी ताली और थाली से नहीं रुकने वाला। इस ताली और थाली से संघ और भाजपा का एक बड़ा सपना मोदी ने पूरा कर दिया।
ताली और थाली से एक और #गोएबल्स_योजना को मदद मिली।
#सीएए, #एनआरसी, #एनपीआर के विरोध में देशभर में चल रहे शाहीनबाग आंदोलन की धार इस ताली और थाली से कमजोर हुई है। सरकार के नीति निर्धारकों का मानना है कि अगर कोरोना लंबा चला या चलने दिया गया तो #शाहीनबाग_आंदोलन की कमर टूट जाएगी। ये #आंदोलन खुद से खत्म हो जाएंगे। बहरहाल, ये एक इम्तेहान है, आने वाले दिन तय करेंगे कि शाहीनबाग जैसे आंदोलन क्या करवट लेंगे।
इसी तरह #दिल्ली_नरसंहार_2020 के दौरान नॉर्थ ईस्ट इलाके में एक समुदाय को चुन-चुन कर मारे जाने और उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के लिए जो हिंसा की गई, उससे मोदी-शाह की हो रही चौतरफा आलोचना भी खत्म हो जाएगी। यानि उस तरफ से भी ध्यान हटाने में ताली-थाली मदद करेंगे।
अब इस पर भी गौर कीजिए....
जैसे ही ताली और थाली का आयोजन खत्म हुआ यूपी ने #जनता_कर्फ्यू का समय बढ़ा दिया। #लखनऊ समेत 15 शहरों को लॉकडाउन कर दिया।
फिर #हरियाणा से खबर आई कि #गुड़गांव और #फरीदाबाद सहित छह शहरों को लॉकडाउन कर दिया गया।
फिर #कर्नाटक से ...फिर #गोवा से ....फिर #असम से....यानी तमाम राज्यों ने #लॉकडाउन की घोषणा कर दी। ...मोदी ने कोई घोषणा नहीं की, सिर्फ आपके ताली-थाली बजाने पर उन्होंने शुक्रिया अदा कर दिया।
#मेट्रो ने अपनी सेवाएं कुछ दिनों के लिए पूरी तरह बंद कर दीं।
#रेल, बस सब बंद कर दिए गए हैं।....
लेकिन मोदी या #अमित_शाह ने अभी तक एक बार भी यह नहीं कहा कि जो दिहाड़ीदार इस लॉकडाउन के शिकार बनने जा रहे हैं, उनके लिए सरकार की योजना क्या है...उनका खर्चा-पानी कैसे चलेगा।...कुछ कंपनियां अपने कर्मचारियों को #लॉकडाउन_के_दिनों_का_वेतन भी दे देंगी लेकिन बहुत सारी कंपनियों की स्थिति ऐसी नहीं है, उनका क्या होगा...
एक जिम्मेदार देश के #प्रधानमंत्री से यह उम्मीद की जाती है कि जिस तरह #अमेरिका और #कनाडा में वहां की सरकारों ने लॉकडाउन के दिनों के लिए आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है, वैसी घोषणा करेंगे लेकिन अभी तक ताली और थाली के अलावा हम लोगों के हिस्से में क्या आया है...
खैर, कोई नहीं, जिन्हें ताली और थाली से खुशी मिली, उन्हें खुश होने दीजिए। आप #कोरोना में जो भी एहतियात बरत सकते हैं, वो बरतें।
फोटो के बारे में सूचना...
पहली फोटो - जेएनयू में एबीवीपी के लोग थाली बजाते हुए
दूसरी फोटो - गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन में ताली-थाली बजाना भूलकर लोग लाइन में लगकर पानी का इंतजाम कर रहे हैं
तीसरी फोटो - उत्तर प्रदेश में मेजा की विधायक शंख बजाती हुई
चौथी फोटो - गाजियाबाद में धारा 144 तोड़कर लोग ताली-थाली बजाते हुए। दनकौर इलाके में तो 200 लोगों ने जुलूस निकाला। कोरोना के सारे एहतियात धरे रह गए
#JantaCurfew
#CoronaCurfew
#IndiaLockdown
#IndiaCoronaOutbreak
#Shaheenbagh
#ShaheenBagh
#ModiOnCorona
#ModiCorona
#RSS
#CoronaRSS
#DelhiGenocide2020
#DelhiPogrom2020
आपके जिन पड़ोसियों ने इस मौके पर पटाखे छोड़े हैं, उनके प्रति कोई दुर्भावना नहीं पालें। #मोदी जी ने उनसे ताली और थाली बजाने को कहा था, बेचारों ने खुशी में पटाखे भी चला दिए। लेकिन दरअसल वे नादान ही तो थे, अनजाने में पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचा दिया जो इस वक्त #ग्लोबल_वार्मिंग से मुक्त होकर सुखद सांस ले रहा था।
तो...आइए इस #ताली_और_थाली_बजाने_का_निहितार्थ समझते हैं...
अगर किसी को #1992_में_मंदिर_आंदोलन और लालकृष्ण #आडवाणी की रथ यात्रा के दिनों की कुछ घटनाएं याद हों तो वो आसानी से आज के ताली और थाली बजाने को समझ जाएंगे। लेकिन जिन्हें याद नहीं या जो उस समय नहीं पैदा हुए थे, उन्हें बताता हूं।
#मंदिर_आंदोलन की शुरुआत में ज्यादा लोग नहीं जुटते थे तो इससे #आरएसएस चिंतित रहता था। उसने #विश्व_हिंदू_परिषद समेत अपने सभी अनुषांगिक संगठनों को निर्देश दिया कि वे इतना तो कर सकते हैं कि रोजाना शाम को अपने मुहल्ले के हर #मंदिर में जाकर थाली या घंटा बजाने लगें। इससे लोग जुड़ेंगे, उन्हें इसके बारे में समझाइए। बहुत छोटे स्तर पर इसकी शुरुआत हुई लेकिन धीरे-धीरे इसमें बढ़ोतरी होने लगी। इन #अनुषांगिक_संगठन के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं को यह भी निर्देश था कि धीर-धीरे इसे बातचीत के माध्यम से पूजा से जोड़ दें। #आडवाणी_की_रथ_यात्रा जिन शहरों से गुजरी, वहां-वहां एक हफ्ते तक ताली-थाली का कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
मोदी #संघ के न सिर्फ पुराने #स्वयंसेवक हैं, बल्कि संघ द्वारा राजनीतिक कार्यों के लिए अनुमोदित शख्स हैं। कट्टरता उनमें कूट कूट कर भरी हुई है। वे संघ के निर्देशों को इतना लोकप्रिय बनाने का मद्दा रखते हैं कि संघ के #सरकार्यवाह की अपील को संघ के कार्यकर्ता उतना प्रचारित नहीं कर पाते जितना वे मोदी के निर्देशों को प्रचारित करते हैं।
मोदी ने आज ताली और थाली को उस मुकाम तक पहुंचा दिया, जिसका कल्पना आरएसएस के बड़े पदाधिकारियों ने भी नहीं की थी। संघ और #भाजपा से असहमत लोगों ने भी आज ताली-थाली बजा डाली। उन्होंने भी बजाई जिन्हें #देश_की_गिरती_आर्थिक_हालत की चिंता है। उन्होंने भी बजाई जो ये मानते थे या मानते हैं कि कोरोना किसी ताली और थाली से नहीं रुकने वाला। इस ताली और थाली से संघ और भाजपा का एक बड़ा सपना मोदी ने पूरा कर दिया।
ताली और थाली से एक और #गोएबल्स_योजना को मदद मिली।
#सीएए, #एनआरसी, #एनपीआर के विरोध में देशभर में चल रहे शाहीनबाग आंदोलन की धार इस ताली और थाली से कमजोर हुई है। सरकार के नीति निर्धारकों का मानना है कि अगर कोरोना लंबा चला या चलने दिया गया तो #शाहीनबाग_आंदोलन की कमर टूट जाएगी। ये #आंदोलन खुद से खत्म हो जाएंगे। बहरहाल, ये एक इम्तेहान है, आने वाले दिन तय करेंगे कि शाहीनबाग जैसे आंदोलन क्या करवट लेंगे।
इसी तरह #दिल्ली_नरसंहार_2020 के दौरान नॉर्थ ईस्ट इलाके में एक समुदाय को चुन-चुन कर मारे जाने और उनकी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के लिए जो हिंसा की गई, उससे मोदी-शाह की हो रही चौतरफा आलोचना भी खत्म हो जाएगी। यानि उस तरफ से भी ध्यान हटाने में ताली-थाली मदद करेंगे।
अब इस पर भी गौर कीजिए....
जैसे ही ताली और थाली का आयोजन खत्म हुआ यूपी ने #जनता_कर्फ्यू का समय बढ़ा दिया। #लखनऊ समेत 15 शहरों को लॉकडाउन कर दिया।
फिर #हरियाणा से खबर आई कि #गुड़गांव और #फरीदाबाद सहित छह शहरों को लॉकडाउन कर दिया गया।
फिर #कर्नाटक से ...फिर #गोवा से ....फिर #असम से....यानी तमाम राज्यों ने #लॉकडाउन की घोषणा कर दी। ...मोदी ने कोई घोषणा नहीं की, सिर्फ आपके ताली-थाली बजाने पर उन्होंने शुक्रिया अदा कर दिया।
#मेट्रो ने अपनी सेवाएं कुछ दिनों के लिए पूरी तरह बंद कर दीं।
#रेल, बस सब बंद कर दिए गए हैं।....
लेकिन मोदी या #अमित_शाह ने अभी तक एक बार भी यह नहीं कहा कि जो दिहाड़ीदार इस लॉकडाउन के शिकार बनने जा रहे हैं, उनके लिए सरकार की योजना क्या है...उनका खर्चा-पानी कैसे चलेगा।...कुछ कंपनियां अपने कर्मचारियों को #लॉकडाउन_के_दिनों_का_वेतन भी दे देंगी लेकिन बहुत सारी कंपनियों की स्थिति ऐसी नहीं है, उनका क्या होगा...
एक जिम्मेदार देश के #प्रधानमंत्री से यह उम्मीद की जाती है कि जिस तरह #अमेरिका और #कनाडा में वहां की सरकारों ने लॉकडाउन के दिनों के लिए आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है, वैसी घोषणा करेंगे लेकिन अभी तक ताली और थाली के अलावा हम लोगों के हिस्से में क्या आया है...
खैर, कोई नहीं, जिन्हें ताली और थाली से खुशी मिली, उन्हें खुश होने दीजिए। आप #कोरोना में जो भी एहतियात बरत सकते हैं, वो बरतें।
फोटो के बारे में सूचना...
पहली फोटो - जेएनयू में एबीवीपी के लोग थाली बजाते हुए
दूसरी फोटो - गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन में ताली-थाली बजाना भूलकर लोग लाइन में लगकर पानी का इंतजाम कर रहे हैं
तीसरी फोटो - उत्तर प्रदेश में मेजा की विधायक शंख बजाती हुई
चौथी फोटो - गाजियाबाद में धारा 144 तोड़कर लोग ताली-थाली बजाते हुए। दनकौर इलाके में तो 200 लोगों ने जुलूस निकाला। कोरोना के सारे एहतियात धरे रह गए
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