हमारा डीएनए एक कैसे हो सकता है

 भला हमारा डीएनए एक कैसे हो सकता है? उनके डीएनए में माफीवीर है और हमारे डीएनए में वीर अब्दुल हमीद है।


आज ‘वीर अब्दुल हमीद’ का शहादत दिवस है। उन्हें 1965 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध का  योद्धा भी कहा जाता है। लेकिन उनके ही नाम के साथ ‘वीर’ शब्द ज़्यादा खिलता और जँचता है।


हालाँकि भारत में अंग्रेजों से माफी मांगने वाले को भी ‘वीर’ कहा जाता है, लेकिन परमवीर चक्र से सम्मानित वीर अब्दुल हमीद ने 1965 के भारत-पाक युद्ध में अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए वीर का दर्जा हासिल किया था। लेकिन हद तो यह है कि चंद फ़र्ज़ी वीरों के चित्र तो अब भारतीय संसद में भी शोभा बढ़ा रहे है। लेकिन इन माफ़ी वीरों की वजह से भगत सिंह और वीर अब्दुल हमीद जैसों का क़द कम नहीं हो जाता। 



भारत सरकार चाहती तो आज ‘वीर अब्दुल हमीद’ की जयंती बड़े पैमाने पर मनाकर खुद को देशभक्त साबित कर सकती थी। क्या किसी संगठन, एनजीओ, राजनीतिक दल ने यह सवाल कभी उठाया कि ‘वीर अब्दुल हमीद का शहादत दिवस’ सरकारी तौर पर क्यों नहीं मनाया जाता? 


यह इस देश का मुक़द्दर है कि फ़र्ज़ी राष्ट्रवादियों के गिरोह ने अपना डीएनए हर जगह फैला दिया है। या ये कहिए कि एक पार्टी और उसके मातृ संगठन ने “फर्जी राष्ट्रवाद का डीएनए” इस देश के बहुसंख्यकों में फ़िट कर दिया है। उनके मुखौटों का यह कहना कि भारत के लोगों का डीएनए एक है। यह नितांत ग़लत और भ्रामक तथ्य है। अधिकांश बहुसंख्यकों में “फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद का डीएनए” फ़िट कर दिया गया है। लेकिन कुछ देशभक्त तो बहरहाल इस संक्रमण से बचे हुए हैं।


अब ये बहुसंख्यकों का काम है कि वो किस तरह फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद के डीएनए से पीछा छुड़ाते हैं। ज़िम्मेदारी उन्हीं पर है। पड़ोसी मदद नहीं करेगा। 


...बहुसंख्यकों में “फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद का डीएनए”...नया जुमला मैंने दे दिया है। आप लोग इसे मानें या न मानें, आपके ऊपर है। इसका व्यापक प्रचार प्रसार करें न करें, आपके ऊपर है। लेकिन कल को आपकी देशभक्ति पर कोई सवाल उठाता है तो आपका जवाब होना चाहिए कि जाकर पहले अपने फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद के डीएनए का टेस्ट कराओ और इलाज करो।अपने माँ और बाप से पूछो कि 1925 से अब तक कौन लोग “फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद का डीएनए” तुम लोगों में फ़िट कर रहे हैं। दोस्तों, इन मुखौटों को पहचानों...



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