...तो किसको वोट देंगे आप ?
चुनाव का आखिरी दौर खत्म होने में कुछ घंटे बचे हैं। देश के एक बड़े हिस्से में वोट पड़ चुके हैं और दिल्ली, हरियाणा व यूपी के कुछ हिस्सों में 7 मई को वोट पड़ने वाले हैं। एक और दौर इसके बाद होगा और तब कहीं जाकर नतीजे आएंगे। आपने अपने शहर में जहां-तहां और समाचारपत्रों, टीवी और रेडियो पर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नारों और वायदों को जरूर सुना होगा। हो सकता है कि आपने इसमें दिलचस्पी न ली हो लेकिन एकाध बार नजर जरूर मारी होगी।...तो बताइए कि आप किसको वोट देने जा रहे हैं या फिर आपने किसको वोट दिया है।...मुझे क्या आपको भी पता है कि इस सवाल का जवाब कोई नहीं देने वाला। वोट देना एक नितांत निजी फैसला होता है। जाहिर है कोई नहीं बताएगा।
फिर मेरी इस बात की कवायद का मकसद क्या है। मुद्दे पर आता हूं। सभी राजनीतिक दलों के वायदों पर गौर कीजिए, इरादा तो आप उनका जानते ही हैं। केंद्र में चूंकि यूपीए की सरकार है और कांग्रेस उसे चला रही है तो सबसे पहले कांग्रेस की ही बात।
...काला धन हम ही वापस लाएंगेः मनमोहन सिंह
...विदेशी बैंकों में पड़ा काला धन यूपीए सरकार वापस नहीं ला सकी। हम लेकर आएंगेः बीजेपी के पीएम इन वेटिंग लालकृष्ण आडवाणी
...जनता को पता है किसके पास काला धन हैः वाम दल
...कांग्रेसी भ्रष्ट हैं, काला धन भी उन्हीं का है। हम इनको बेनकाब करेंगेः बीएसपी
--काला धन तो बीजेपी नेताओं के पास भी हैः मुलायम
यानी जितनी पार्टियां हैं, काले धन के बारे में उतनी तरह की बातें कर रही हैं। यह बात नई नहीं है। इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, वी. पी. सिंह, चंद्रशेखर, अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में इस तरह की नारेबाजी चलती रही। राजीव गांधी के समय में तो बीजेपी नेताओं ने यह तक दावा किया था कि बोफोर्स तोप दलाली का पैसा स्विस बैंक में जमा है। अभी ज्यादा दिन नहीं बीते हैं जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी ने एनडीए सरकार को पूरे पांच साल तक चलाया, हमारे जैसे इस देश के करोडो़ लोगों को उम्मीद थी कि वाजपेयी या एनडीए सरकार इस काले धन को देश में वापस लाएगी। लेकिन उसे लाना तो दूर उसका जिक्र तक नहीं किया। अब जब मनमोहन सिंह की सरकार का कार्यकाल खत्म होने में चंद दिन बचे हैं, बीजेपी ने इस मुद्दे को फिर से उठाया है। हालांकि यह मुद्दा आम लोगों को कितना प्रभावित कर सका है, इसका मुझे अंदाजा नहीं है।
क्या हम लोग यह उम्मीद करें कि अगर बीजेपी सत्ता में एनडीए के रूप में आती है या फिर कम्युनिस्ट तीसरे मोर्चे के रूप में या यूपीए आए तो काला धन वापस लाने में कोई कदम उठाएगी। अब तक का अनुभव यही बताता है कि ऐसा कोई कदम किसी की भी सरकार आने पर नहीं उठाया जाना है। लेकिन वोट देना हमारी मजबूरी है और इन्हीं कुछ बेईमान पार्टियों और इनके नेताओं में से किसी को एक चुनना भी है।
मन खिन्नता से भरा हुआ है। कोई एक विकल्प आज की तारीख में हम लोगों के पास नहीं है जिसके बारे में ठोंक-बजाकर वोट मांगा जा सके। जाति, धर्म, राष्ट्रवाद, परिवारवाद, के इस घालमेल में किसको चुनें, कम से कम मेरी समझ में नहीं आ रहा। हालांकि कुछ लोग इस बात की पैरोकारी करते हैं कि जो कम भ्रष्ट हो, उसको वोट दिया जाए। लेकिन क्या इससे यह नहीं लगता कि एक तरह से इस तरह की बात करने वाले भी अनजाने में ही भ्रष्टाचार का समर्थन कर रहे हैं।
बहरहाल, फैसला आप पर है। जिसको वोट देना है दीजिए। लेकिन अपने स्तर पर ऐसा कुछ जरूर तय करें कि सही पार्टी को आपका वोट मिले। हो सकता है कल को कोई रास्ता इसी में से निकले।
फिर मेरी इस बात की कवायद का मकसद क्या है। मुद्दे पर आता हूं। सभी राजनीतिक दलों के वायदों पर गौर कीजिए, इरादा तो आप उनका जानते ही हैं। केंद्र में चूंकि यूपीए की सरकार है और कांग्रेस उसे चला रही है तो सबसे पहले कांग्रेस की ही बात।
...काला धन हम ही वापस लाएंगेः मनमोहन सिंह
...विदेशी बैंकों में पड़ा काला धन यूपीए सरकार वापस नहीं ला सकी। हम लेकर आएंगेः बीजेपी के पीएम इन वेटिंग लालकृष्ण आडवाणी
...जनता को पता है किसके पास काला धन हैः वाम दल
...कांग्रेसी भ्रष्ट हैं, काला धन भी उन्हीं का है। हम इनको बेनकाब करेंगेः बीएसपी
--काला धन तो बीजेपी नेताओं के पास भी हैः मुलायम
यानी जितनी पार्टियां हैं, काले धन के बारे में उतनी तरह की बातें कर रही हैं। यह बात नई नहीं है। इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, वी. पी. सिंह, चंद्रशेखर, अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्रित्व काल में इस तरह की नारेबाजी चलती रही। राजीव गांधी के समय में तो बीजेपी नेताओं ने यह तक दावा किया था कि बोफोर्स तोप दलाली का पैसा स्विस बैंक में जमा है। अभी ज्यादा दिन नहीं बीते हैं जब केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी ने एनडीए सरकार को पूरे पांच साल तक चलाया, हमारे जैसे इस देश के करोडो़ लोगों को उम्मीद थी कि वाजपेयी या एनडीए सरकार इस काले धन को देश में वापस लाएगी। लेकिन उसे लाना तो दूर उसका जिक्र तक नहीं किया। अब जब मनमोहन सिंह की सरकार का कार्यकाल खत्म होने में चंद दिन बचे हैं, बीजेपी ने इस मुद्दे को फिर से उठाया है। हालांकि यह मुद्दा आम लोगों को कितना प्रभावित कर सका है, इसका मुझे अंदाजा नहीं है।
क्या हम लोग यह उम्मीद करें कि अगर बीजेपी सत्ता में एनडीए के रूप में आती है या फिर कम्युनिस्ट तीसरे मोर्चे के रूप में या यूपीए आए तो काला धन वापस लाने में कोई कदम उठाएगी। अब तक का अनुभव यही बताता है कि ऐसा कोई कदम किसी की भी सरकार आने पर नहीं उठाया जाना है। लेकिन वोट देना हमारी मजबूरी है और इन्हीं कुछ बेईमान पार्टियों और इनके नेताओं में से किसी को एक चुनना भी है।
मन खिन्नता से भरा हुआ है। कोई एक विकल्प आज की तारीख में हम लोगों के पास नहीं है जिसके बारे में ठोंक-बजाकर वोट मांगा जा सके। जाति, धर्म, राष्ट्रवाद, परिवारवाद, के इस घालमेल में किसको चुनें, कम से कम मेरी समझ में नहीं आ रहा। हालांकि कुछ लोग इस बात की पैरोकारी करते हैं कि जो कम भ्रष्ट हो, उसको वोट दिया जाए। लेकिन क्या इससे यह नहीं लगता कि एक तरह से इस तरह की बात करने वाले भी अनजाने में ही भ्रष्टाचार का समर्थन कर रहे हैं।
बहरहाल, फैसला आप पर है। जिसको वोट देना है दीजिए। लेकिन अपने स्तर पर ऐसा कुछ जरूर तय करें कि सही पार्टी को आपका वोट मिले। हो सकता है कल को कोई रास्ता इसी में से निकले।
टिप्पणियाँ
कालेधन की बात कर रहे हैं तो जर्मन सरकार ने नाम देने की पेशकश सिर्फ छह महीने पहले की थी और इसी साल 18 मार्च को नामों की एक सूची भारत सरकार को सौंप दी है
आप तो पत्रकार हैं, क्या आपने भारत सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिया गया हलफनामा नहीं पढा जिसमें कांग्रेसी सरकार ने माना है कि उसे एक सूची मिल गई है जिसे वह सार्वजनिक नहीं करना चाहती? ये सरकार कर चोरों पर कार्यवाही करने के बजाय बचा क्यों रही है,
इस लिंक को देखिये
http://www.financialexpress.com/news/centre-to-sc-have-info-on-black-money/453800/
इन सबके बाबजूद भी कांग्रेसी सरकार को वोट देना बेईमानी होगी
वोट देना निजी मामला है लेकिन इसके परिणाम सार्वजनिक हित के लिये हैं, इसलियेांअपको बता रहा हूं
मैं तो बीजेपी को ही अपना वोट दूंगा
रवि जी, लगता है आप पक्के भाजपाई हैं, क्योंकि आपने अपनी टिप्पणी में कांग्रेस को टारगेट किया है। मैं तो किसी भी पार्टी का सदस्य नहीं हूं। लेकिन एकतरफा बात तो कम से कम पढ़े-लिखे लोगों को नहीं करनी चाहिए। अगर आपने मेरा लेख ध्यान से पढ़ा होगा तो उसमें लगभग हर पार्टी का नाम है।
बहरहाल, फैसला आपका है। जो भी करना चाहें करें।
जिसने भी देश का पैसा विदेश में जमा कराया है उसका कानूनन पैसा जब्त करने के साथ साथ गिरफ्तार भी करना चाहिये... चाहे वह किसी भी दल का हो? क्या बलात्कारियों, चोरों, डकैतों आतंकवादियों को सजा देने से पहले हलफनामे दाखिल करवाते हो आप लोग...
क्या कसाब पर अदालत में मुकदमा चलाने से पहले हलफनामा दाखिल करवाते हैं..., अफज़ल से हलफनामा दाखिल करवाते हैं? जिसने भी देश के पैसे की डकैती की है वह गिरफ्तार हो..., क्या पहले उसकी सहमति लेकर सज़ा दोगे? अगर कोई ड्कैत अपने हलफनामें में सजा पाना नहीं स्वीकारेगा तो उसे सज़ा नहीं दोगे...?
शायद आपने और धीरूभाई ने मेरे कमेन्ट में दी गई सूचना नहीं पढ़ी, फिर पढ़िये
http://www.financialexpress.com/news/centre-to-sc-have-info-on-black-money/453800/
कांग्रेस सरकार को करचोरों के नामों की लिस्ट मिल चुकी है और यह कांग्रेसी सरकार सुप्रीमकोर्ट में अपने हलफनामें में यह स्वीकार भी कर चुकी है,... भले ही मनमोहन और कपिल सिब्बल सार्वजनिक रूप से झूठ बोलते रहे हों...
जब कांग्रेसी सरकार के पास कर चोरों के नाम हैं तो वह इनके खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं कर रहीं..., वह तुरन्त इन कर चोरों के नाम सार्वजनिक करके इनकी सम्पत्तियां कुर्क करे, इन्हें गिरफ्तार करे चाहे वह किसी भी पार्टी के हों..., नौकरशाह हों, सौदागर हों, पत्रकार हों, वकील हों, डाक्टर हो या कोई भी हों....
जो कांग्रेस अमिताभ बच्चन को बीमारी में भी परेशान करने के लिये नोटिसों पर नोटिस भेजती रही है,... परसों भी इसने इन्कमटैक्स से अमिताभ को नोटिस भिजवाया है ...वह इन बड़े मगरमच्छों को क्यों बचा रही है?
यूसुफ भाई, मैं पक्का भाजपाई नहीं पक्का हिन्दुस्तानी हूं... मैंने एकतरफा बात कहां की है? आपने पूछा है कि आप किसे वोट देंगे, मैंने बताया कि भाजपा को... क्यों दूंगा इसके कारण बताये हैं.
आप कह रहे हैं कि पढे लिखे लोगोंको इकतरफा बात नहीं करनी चाहिये...! माफ कीजिये, मैं पढ़ा लिखा नहीं हूं, इसलिये गोलमोल बात करना नहीं आता... सीधे अपराधियों को टारगेट कर रहा हूं... पढे लिखे लोग तो अनपढ सोनिया के इशारे पर अपनी मुंडी ऊपर नीचे, दांये बांये हिलाते रहे हैं... इसे देखता रहा हूं ...इसलिये अब मैं पढे लिखे लोगो के आभामंडल से प्रभावित नहीं होता, ...
बस जा रहा हुं भाजपा को वोट देनें...
किसे वक़ील करें, किससे मुन्सिफ़ी चाहें'