अमेरिका परस्ती मुबारक हो
शाहरुख खान के साथ अमेरिका में हुए बर्ताव के बारे में मेरी नीचे वाली पोस्ट पर कुछ मित्रों ने तीखी टिप्पणियां दीं और कुछ ने शालीनता से परे जाकर शब्दों का इस्तेमाल किया है। बहरहाल, इस विषय में हर टिप्पणीकार को जवाब देने की बजाय सिर्फ यही कहना चाहता हूं कि भारत में खालिस्तान आंदोलन से लेकर जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों के आंदोलन और इसमें अगर नक्सलियों की हिंसा को भी जोड़ लें तो अपने यहां अमेरिका में 9/11 के मुकाबले कहीं ज्यादा बेगुनाह लोग मारे जा चुके हैं। इनमें तमाम शहरों में हुए सांप्रदायिक दंगों में मारे गए निर्दोष शामिल नहीं हैं। इनमें सबसे ज्यादा लोग आतंकवादियों के हाथों मारे गए। अमेरिका अपने एयरपोर्टों पर शाहरूख खान, जॉर्ज फर्नांडीज और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के साथ जो हरकत कर चुका है उसे देखते हुए तो भारत को और कड़े कानून बनाने चाहिए थे। लेकिन आतंकवादी फिर भी एक भारतीय विमान का अपहरण कर कंधार ले गए और जसवंत सिंह आतंकवादियों से डील करने वहां गए।
9/11 की घटना के बाद अमेरिका आतंकवाद को कुचलने का स्वयंभू प्रधान हो गया है और हर देश में जांच करने के लिए उसके एजेंट पहुंच जाते हैं। अलकायदा से ज्यादा मजबूत शस्त्र और सेना अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों के पास है। अमेरिका के पिट्ठू इस्राइल के पास मोस्साद जैसा संगठन है जिसे सीआईए से भी ज्यादा तेजतर्रार माना जाता है।
कहना कुल मिलाकर यह है कि अगर कोई लोकतांत्रिक देश दूसरे देशों के लोकप्रिय नेताओं, अभिनेता-अभिनेत्रियों के बारे में जानकारी नहीं रखता तो यह उसकी बदनसीबी ही कही जाएगी। हद तो यह है कि अमेरिका के तमाम ऐरे-गैरे संगठन भारत को तमाम तरह के अधिकारों के मामले में वॉचलिस्ट में रखते हैं और अपने यहां हो रही बदमाशी उन्हें नहीं नजर आ रही। इसे महज सुरक्षा के नाम पर कहकर माफ नहीं किया जा सकता। फिर भी अमेरिका परस्त इसे अच्छा मानते हैं तो यह उनको मुबारक हो। बस इस मुद्दे पर इतना ही कहना था।
इस बीच जिन्ना की महानता पर फिर विवाद शुरू हो गया है और अब हम लोगों को उस पर बहस करनी चाहिए। अगला विषय वही है।
9/11 की घटना के बाद अमेरिका आतंकवाद को कुचलने का स्वयंभू प्रधान हो गया है और हर देश में जांच करने के लिए उसके एजेंट पहुंच जाते हैं। अलकायदा से ज्यादा मजबूत शस्त्र और सेना अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों के पास है। अमेरिका के पिट्ठू इस्राइल के पास मोस्साद जैसा संगठन है जिसे सीआईए से भी ज्यादा तेजतर्रार माना जाता है।
कहना कुल मिलाकर यह है कि अगर कोई लोकतांत्रिक देश दूसरे देशों के लोकप्रिय नेताओं, अभिनेता-अभिनेत्रियों के बारे में जानकारी नहीं रखता तो यह उसकी बदनसीबी ही कही जाएगी। हद तो यह है कि अमेरिका के तमाम ऐरे-गैरे संगठन भारत को तमाम तरह के अधिकारों के मामले में वॉचलिस्ट में रखते हैं और अपने यहां हो रही बदमाशी उन्हें नहीं नजर आ रही। इसे महज सुरक्षा के नाम पर कहकर माफ नहीं किया जा सकता। फिर भी अमेरिका परस्त इसे अच्छा मानते हैं तो यह उनको मुबारक हो। बस इस मुद्दे पर इतना ही कहना था।
इस बीच जिन्ना की महानता पर फिर विवाद शुरू हो गया है और अब हम लोगों को उस पर बहस करनी चाहिए। अगला विषय वही है।
टिप्पणियाँ
" BETTER TO BE SAFE,
THEN BE SORRY ? "
अमरीका परस्ती की बात ही नहीं है -- अमरीका अपनी आंतरिक सुरक्षा के मामले में चौकस है --
भारत भी चौकसी रखे -- आम जन्नता की हिफाजत करे -- तभी भला होगा --
शाहरुख खान एक बढिया इंसान और अच्छे अभिनेता हैं -- उसमे कोइ 2 राय नहीं हैं -
पर अम्रिकावाले उन्हें जानते नहीं ये अमरीका की बदनसीबी भी नहीं -- --
भारत , अपने लोगों का सम्मान करे -- यही अच्छा है --- अमरीका के पास क्या है और क्या नहीं
या इस्राइल के पास कितना सशक्त व्यवस्था दल है , ये उनकी अपनी कामयाबी है, हमने क्या सीखा ?
आम नागरिक / सिटिज़न , कब जागेगा और कब अच्छे नेता भारत की भलाई करेंगें ये , नाजाने कब होगा ?
- लावण्या