भूल गए मेरी करामात...

एक साल में यह हाल
कि दुनिया करे सवाल
उस बुड्ढे की ये मजाल
कि अपने साक्षात्कार से मचाए भौकाल

क्या भूल गए सब लोग मेरा गुजरात
क्या याद नहीं मेरी पुरानी करामात
अरे ओ मोटू जरा बता मेरी औकात
और हां नागपुर को भेज नई सौगात

मैं हिंसक हूं, विंध्वसक हूं, मैं काल हूं
मैं राजा विक्रमादित्य का बेताल हूं
मैं देश का जीता जागता संक्रमणकाल हूं
मैं मानवीयता से बेहद कंगाल हूं

मेरे नवधनकुबेर मित्रों को कुछ न कहना
अभी तो कई साल यही सब होगा सहना
इस सोने की चिड़िया को होगा बार-बार मरना

दाढ़ी, टोपी, तसबीह टांग दो सब खूंटी पर
मुल्ला जी, नमाज पढ़ो जाकर किसी चोटी पर

फिक्र न करना, याद रखना ये होगी अस्थायी हिजरत
गिरना, उठना, फिर जुटना है इंसान की फितरत

भरोसा रखो, आगे बढ़ो, छा जाओ भारत पर

@copyright2015Yusuf Kirmani 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

हिन्दू धर्म और कैलासा

युद्ध में कविः जब मार्कर ही हथियार बन जाए

आत्ममुग्ध भारतीय खिलाड़ी