राष्ट्रभक्ति क्या है...क्या सारा ठेका सिर्फ सिर्फ एक पार्टी के पास है ?

देशभक्ति के नाम पर देश में अराजकता का माहौल बनाया जा रहा है...जेएनयू जल रहा है...वहां के स्टूडेंट्स को देशद्रोही बताया जा रहा है...यहां तक कि कुछ पत्रकारों ने इस प्रचार युद्ध को संभाल लिया है कि जो देश की सत्तारुढ़ पार्टी के खिलाफ है, वह देशद्रोही है। प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू होने से पहले बीजेपी के नेता पूछते हैं कि आप भारत माता के साथ हो या जेएनयू वालों के साथ...कितनी शर्मनाक स्थिति है।

दरअसल राष्ट्रभक्ति क्या है...इस पर मैं कई दिनों से विचार कर रहा था। बार-बार दिमाग में कन्हैया कुमार का चेहरा घूमता रहा, जिसे देशद्रोह के नाम पर जेल में बंद कर दिया गया।

देश के बहुत बड़े कानूनविद और पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी जो अटल बिहारी वाजपेयी के समय एजी थे, उन्होंने आज कहा कि जिस देशद्रोह के आरोप कन्हैया कुमार को बंद कर दिया है, वह कोई आरोप नहीं है। सोराबजी अपने स्पष्ट विचारों के लिए उस वक्त भी जाना जाता था। उनका बयान आप आज के इंडियन एक्सप्रेस में पढ़ सकते हैं। इसके बाद मुझे सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु कुमार की फेसबुक वॉल पर जाने का मौका मिला तो वहां उन्होंने एक कहानी के जरिए राष्ट्रभक्ति के बारे में बहुत सुंदर ढंग से बताया है। हिमांशु कुमार की बात आप लोगों तक पहुंचे, उसे बिना संपादित किए बिना यहां मैं आप लोगों के लिए पेश कर रहा हूं...

-हिमांशु कुमार

 

कुछ दिन पहले दिल्ली मैं गया हुआ था ,

अपने दसवीं कक्षा में पढ़ने वाले भांजे के साथ खाना खा रहा था 
मेरे भांजे नें पूछा क्या अमेरिका के लोग बहुत अच्छे और राष्ट्रभक्त होते हैं 
मैंने कहा कि राष्ट्रभक्ति तो बहुत खराब चीज़ होती है 
यह सुन कर मेरा भांजा चौंक गया 
मैंने उससे आगे कहा कि तुम भारत को दुनिया का सबसे महान और सबसे अच्छा देश मानते हो ना ?
मेरे भांजे नें कहा कि हाँ बिलकुल वो तो है 
मैंने कहा कि तुम इसी लिए भारतीय हो चूंकि तुम्हारा जन्म इत्तिफाक से भारत में हो गया है

 
वो कुछ देर सोचने के बाद बोला कि हाँ बिलकुल सही बात है 
मैंने कहा कि हो सकता है तुम्हारा जन्म पाकिस्तान में हो जाता, या तुम्हारा जन्म बंगलादेश में हो जाता 
तब तुम पाकिस्तानी या बंगलादेशी बन जाते 
वो बोला हाँ ये भी सच बात है 

मैंने पूछा कि अगर तुम्हारा जन्म पाकिस्तान में या बंगलादेश में हो जाता तो फिर तुम किस देश को सबसे महान कहते ?
वो बोला तब अपने देश पाकिस्तान को या बंगलादेश को सबसे महान देश कहता 
मैंने कहा कि इससे यह सिद्ध होता है 
कि असल में ये बिलकुल ज़रूरी नहीं है कि आपका देश महान और अच्छा हो 
और ये भी हो सकता है कि तुम्हारा देश बहुत क्रूर और बुरा देश हो 

इसलिए अपने देश को आँख मूँद कर महान मत कहो 
बल्कि इसमें चलने वाली बुरी बातों को बदलने की कोशिश करो 
यही हर देश के हर जागरूक इंसान की जिम्मेदारी है 
मेरे भांजे नें कहा कि आप जैसी बातें हमें स्कूल में क्यों नहीं पढ़ाई जातीं ? 
मैंने कहा कि तुम्हारा स्कूल तुम्हें सत्य बताने के लिए नहीं चलाया जाता 
बल्कि तुम्हें अमीर उद्योगपति के बिजनेस की गुलामी के लिए तैयार करने के लिए चलाया जाता है 

मेरे भांजे नें वादा किया है कि वो परीक्षा के बाद मेरे पास यह वाली असली विद्या सीखने ज़रूर आएगा 
मुझे लगता है कि जेएनयू पर भी सरकार की कार्यवाही उसी योजना के तहत है 
बड़े उद्योगपति नहीं चाहते कि देश में कोई भी व्यक्ति उनके व्यापार के विरुद्ध आवाज़ उठाये 
बड़े उद्योगपति नहीं चाहते कि जब उद्योगपति अपने उद्योग के लिए आदिवासियों की ज़मीनें छीनें तो पूरे देश में कोई भी विरोध करे 

लेकिन जब छत्तीसगढ़ और उड़ीसा या झारखंड में आदिवासियों की ज़मीनें छीनने के लिए सरकार नें अर्ध सैनिक बलों को भेजा , और सैनिकों नें आदिवासी महिलाओं से बलात्कार किया तो जेएनयू के छात्रों नें उसके खिलाफ़ आवाज़ उठाई 
याद रखिये उस वख्त आदिवासी महिलाओं के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ नें कोई आवाज़ नहीं उठाई 
तो संघ , भाजपा या सरकार सब बड़े अमीरों के बिजनेस के एजेंट हैं 
अमीरों के बिजनेस का हित ही इनके लिए राष्ट्र का हित है 

इसलिए कश्मीर में जब हमारे सैनिक दर्दपुरा गाँव की हर महिला के साथ बलात्कार करते हैं 
और दर्दपुरा गाँव की बेटियों की शादी होनी बंद हो जाती हैं 
और जब दर्दपुरा गाँव की महिलाएं मजबूरी में सैनिकों के लिए अपना जिस्म बेचने के लिए मजबूर हो जाती हैं 
तब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ उन् पीड़ित कश्मीरी महिलाओं के ह्क़ में कोई आवाज़ नहीं उठाता 
बल्कि अगर कश्मीर के नौजवान गुस्से में बलात्कारी सैनिकों के विरुद्ध नारे भी लगा देते हैं तो 

उन् नारों को देशद्रोह कह कर उन् नौजवानों पर टूट पड़ने का काम संघ और भाजपा करती है 
क्या देश भक्ति का मतलब सेना की भक्ति होती है ?
क्या देश भक्ति का मतलब अमीर बिजनेस के मालिक अदानी, अम्बानी और टाटा की भक्ति होती है ?
नहीं बल्कि असलियत में देश का मतलब है देश के करोड़ों लोग 

देश का मतलब है देश के आदिवासी , देश के दलित देश के अल्पसंख्यक और महिलायें 
इसलिए आदिवासियों ,दलितों अल्पसंख्यकों के ऊपर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ़ आवाज़ उठाने वाले लोग ही असली देशभक्त हैं 
अत्याचारियों के पक्ष में और अमीर उद्योगपतियों के एजेंट सरकारी अफसर पुलिस वाले या ये संघी असल में देशद्रोही हैं 
तो देशद्रोही लोग असली देश भक्तों के ऊपर हमला कर रहे हैं 
ऐसा हमेशा से होता आया है 
भगत सिंह को भी देशद्रोही कह कर फांसी पर लटका दिया गया था 
आज फिर से ठीक वही हो रहा है 

जे एन यू तो सिर्फ बहाना है 
असल में उद्योगपतियों के विरूद्ध उठने वाली हर आवाज़ को दबाना ही इन फर्ज़ी देशभक्तों का एकमात्र उद्देश्य है 
भारत के नौजवानों को फैसला करना है 
कि मुल्क किसका रहेगा 
इस मुल्क के करोड़ों आदिवासियों , दलितों अल्पसंख्यकों , मजदूरों , किसानों , औरतों का
या इन सब पर ज़ुल्म करने वाले अमीरों के एजेंटों का

 
एनजीओ संभावना, पालमपुर (हिमाचल प्रदेश)

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