व्हील चेयर पर मां...


-यूसुफ किरमानी

मेरे पास मां नहीं है। ट्वीटर पर डालने के लिए फोटो भी नहीं है। एक फोटो थी, उसे भाई या बहन ने ले लिया, तब से वापस नहीं किया। लेकिन फिर सोचता हूं कि कोई फोटो मेरी मां का वजूद तय नहीं कर सकता। क्योंकि मां के होने का एहसास हर वक्त रहता है।

जिनके पास मां है...उनसे जलन होती है। काश, मेरी मां भी आज जिंदा होती...कुछ नहीं तो फलाने साहब की तरह मां की फोटो ट्वीट कर ज़माने भर की हमदर्दी पा लेता। ...लोग कहते देखों इतना बड़ा लेखक-पत्रकार और मां की फोटो ट्वीट कर रहा है बेचारा। कितना बड़ा दिल है...मां को छोटे-छोटे गमले भी दिखा रहा है।

मां हमेशा अपने बच्चे के लिए ढाल का काम करती है। बच्चे पर कोई आफत आए, मां सबसे पहले उस आफत का सामना करने को तैयार रहती है। बच्चा अगर चोर या गिरहकट है तो भी उसकी मां आसानी से उसे चोर या गिरहकट मानने को तैयार नहीं होती। जब ज़माना आप पर तरह-तरह के आरोप लगाए तो एक मां ही ऐसी होती है जो आपके साथ खड़ी होती है। देश में या विदेश में या फिर किसी कंपनी में जब आपकी साख फर्जी डिग्री, फर्जी हलफनामे, फर्जी जुमलेबाजी से डूबने लगती है तो ऐसे में आप मां को आगे कर देते हैं और ज़माने को आपसे हमदर्दी सी हो जाती है कि देखो इतना बड़ा आदमी...लेकिन मां को नहीं भूला। ...आप मां की व्हीलचेयर की आड़ में बहुत खूबसूरती से खुद को तमाम आरोपों की बौछार से बचा ले जाते हैं।

मुझे चाय नहीं बेचनी पड़ी, ठीक से पढ़ लिख भी गया। फर्जी डिग्री बनवाने की नौबत नहीं आई। हैपी बर्थडे को लेकर भी कोई विवाद नहीं रहा। आधी पढ़ाई मां के सामने कर ली थी और थोड़ा-मोड़ा कमाने भी लग गया था। उन्हें यकीन और सुकून था कि मेरी जिंदगी ठीक से कट जाएगी, चाहे 99 के फेर में रहूं या न रहूं।

कहते हैं मां के पैरों के नीचे जन्नत होती है यानी अगर आप मां की सेवा करते हैं तो आपका स्वर्ग में जाना तय है। हालांकि यह कहावत उन अर्थों में विवादास्पद मानी जाएगी...जब आपके हाथ कई बेगुनाहों के खून से रंगे हों...जब आपने जीतेजी कई मांओं का सिंदूर उजाड़ दिया हो...जब आप के इशारे पर मां बनने से पहले कई बेटियों की इज्जत लूटी गई हो...ऐसे में आपकी मां भला आपको कैसे जन्नत में ले जा सकती है। मुझे इस कहावत में जरा भी यकीन नहीं है कि कोई मां अपने खूनी बेटे को भी जन्नत ले जा सकती है। ...मौलवी-मौलाना और धर्मगुरु कहते हैं कि बेटा जैसा भी हो, एक मां उसके जन्नत में ही जाने की कामना करती है। वो कहते हैं कि चाहे आप अपनी मां को बगीचे  में घुमाए या नहीं, चाहे किसी मॉल में लेजाकर आइसक्रीम खिलाएं या नहीं, वो आपके लिए जन्नत की ही दुआ करेगी। बहरहाल, मुझे इन मुल्लाओं की बात पर भरोसा नहीं है। जन्नत अगर मां की दुआ से मिलती होती तो हिटलर भी जरूर स्वर्ग में बैठा हुक्का पी रहा होगा। मुझे खुद हिटलर या हिटलरनुमा कोई शख्स आकर बताए कि वाकई उसके तमाम पापों को ऊपर वाले ने कूड़ेदान में फेंक दिया और उसकी मां की दुआओं के बदले जन्नत मिल गई।


सोचता हूं...अगर आज मां जिंदा होती तो क्या मैं भी अपनी इमेज बनाने के लिए उनकी मार्केटिंग करता...विज्ञापन कंपनियां मां की मार्केंटिंग अपने थर्ड क्लास प्रोडक्ट्स को बेचने के लिए बहुत पहले से करती रही हैं।...मैगी की वापसी पर एक मां को ढाल बनाकर पेश किया गया। मैगी के पांव अभी दोबारा जमे या नहीं लेकिन मां की मार्केंटिंग उस प्रोडक्ट के लिए मजबूत रही। मेरा बेटा यही काम करता है, हर विज्ञापन के पीछे जो मार्केटिंग दिमाग और कॉपी राइटिंग का कमाल रहता है वो बराबर मुझे बताता रहता है। तमाम अच्छे-बुरे या सड़े-गले विज्ञापनों की जानकारी मुझे उसी से मिलती है। बेटे ने ही बताया था कि मैगी वाली मां का विज्ञापन असरदार है...यानी नेस्ले के मार्केटियर्स ने मां के जरिए मैगी को मार्केट में उतार दिया। ...पता नहीं आपकी नजर में इससे मां की गरिमा घटी या बढ़ी, मुझे इसका अंदाजा नहीं है। बेटा कहता है कि आप लोग अंदाजा लगाते रहिए। मां तो प्रोडक्ट बेचकर और बाजार में मैगी को फिर से जमाकर चली गई। जय हो मां मैगी वाली की...

भारत मां की जय बोलने या न बोलने वालों के बीच अभी हाल ही में हुआ झगड़ा आपको याद है...मैंने इस मुद्दे पर बयान देने वाले तमाम नेताओं की मांओं पर अध्ययन किया तो बहुत दुखद बात पता चली। इनमें से तमाम सफेदपोश अपनी मां का ख्याल नहीं रखते हैं लेकिन भारत मां पर आस्तीनें चढ़ा लेते हैं। वो टोपी वाला मुल्ला अगर उस वक्त ये कहता कि चाहे मेरी गर्दन पर छुरी रख दो, पहले अपनी अम्मी की जय बोलूंगा तब भारत मां की जय बोलूंगा तो शायद विवाद इतना नहीं बढ़ता। लेकिन जब इंसान मां के नाम पर किसी और के एजेंडे को आगे बढ़ाए तो समझिए कि वो भारत मां को भी अपमानित करने जा रहा है। जो इंसान अपनी मां का न हुआ, वो भारत मां का कैसे हो सकता है।...

एक बहुत सीनियर पत्रकार और लेखक विनोद शर्मा ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा कि मेरी मां मेरे घर नहीं आती थी...मेरे घर मेरे साथ रहती थी...बहुत वजनदार लाइन लिखी शर्मा जी ने। लेकिन कई भक्त नाराज हो गए कि आखिर शर्मा जी की हिम्मत कैसे हुई की वो फलाने साहब की मां के संदर्भ में अपनी मां का जिक्र करें। फिर क्या था भक्तगण हाथ धोकर उनके पीछे पड़ गए। हालांकि शर्मा जी ने कहीं भी फलाने साहब की मां का जिक्र नहीं किया था।


मेरे बुकशेल्फ में मां उपन्यास आज भी मौजूद है। ...जानते हैं, इसे किसने लिखा है, ...मेरे बहुत ही प्रिय लेखक मक्सिक गोर्की ने। दरअसल, मेरे पास हिंदी वाला ही उन्यास था लेकिन बाद में मेरे अब्बा ने इसी उपन्यास को अंग्रेजी में (द मदर) मुझे खरीदकर पढ़ने को दिया। मैंने उन्हें बताया कि हिंदी में पढ़ चुका हूं तो उन्होंने अंग्रेजी वाला भी पढ़ने की सलाह दी। मां पर यह उपन्यास आज मेरी सबसे बड़ी धरोहर है।

मां का जिक्र हो तो मैं एक शायर का जिक्र न करूं तो तमाम मांओं के साथ बहुत नाइंसाफी होगी। उर्दू के मशहूर और जिंदा शायर रजा सिरसवी साहब ने मां पर एक बहुत खूबसूरत लंबी नज्म लिखी है। हालांकि यह विडंबना है कि रजा सिरसवी को किसी भी सरकार ने आजतक किसी पद्म पुरस्कार के योग्य नहीं समझा। वैसे मां की शान में जावेद अख्तर साहब समेत तमाम शायरों ने अपनी कलम चलाई है। मां पर सबसे पहले जिस शायरी से मेरा आमना-सामना हुआ, वो बॉलिवुड की किसी फिल्म का गाना था, जिसे मोहम्मद रफी साहब ने गाया था – मां तू कितनी अच्छी है, कितनी प्यारी है ओ मां....इसे लिखने वाले शायर का नाम मुझे नहीं मालूम लेकिन मेरा बचपन इसी गाने के साथ बीता। बात हो रही है रजा सिरसवी साहब की नज्म की। यह नज्म आज भी उर्दू बोलने वाले देश भारत व पाकिस्तान समेत तमाम जगहों पर महफिलों और मजलिसों में बहुत सम्मान से पढ़ी जाती है। सुनने वालों की आंखों से आंसू छलक आते हैं। उस लंबी नज्म की चंद लाइनें पेश हैं –


फिक्र में बच्चों की यूं हर दम घुली जाती है मां
नौजवां होते हुए भी बूढ़ी नजर आती है मां....

जिंदगानी के सफर में गर्दिशों की धूप में
कोई साया नहीं मिलता तो याद आती है मां

सबको देती है सुकूं और खुद गमों की धूप में
रफ्ता रफ्ता बर्फ की सूरत पिघल जाती है मां

दर्द, आहें, सिसकियां, आंसू, जुदाई, इंतजार
जिंदगी में और क्या औलाद से पाती है मां

प्यार कहते हैं किसे और मामता क्या चीज है
कोई उन बच्चों से पूछे जिनकी मर जाती है मां.....


(@Copyright यूसुफ किरमानी - प्राइम कंटेंट)


maan kee vheel cheyar ke peechhe kya hai


mere paas maan nahin hai. tveetar par daalane ke lie photo bhee nahin hai. ek photo thee, use bhaee ya bahan ne le liya, tab se vaapas nahin kiya. lekin phir sochata hoon ki koee photo meree maan ka vajood tay nahin kar sakata. kyonki maan ke hone ka ehasaas har vakt rahata hai. 

jinake paas maan hai...unase jalan hotee hai. kaash, meree maan bhee aaj jinda hotee...kuchh nahin to phalaane saahab kee tarah maan kee photo tveet kar zamaane bhar kee hamadardee pa leta. ...log kahate dekhon itana bada lekhak-patrakaar aur maan kee photo tveet kar raha hai bechaara. kitana bada dil hai...maan ko chhote-chhote gamale bhee dikha raha hai.

maan hamesha apane bachche ke lie dhaal ka kaam karatee hai. bachche par koee aaphat aae, maan sabase pahale us aaphat ka saamana karane ko taiyaar rahatee hai. bachcha agar chor ya girahakat hai to bhee usakee maan aasaanee se use chor ya girahakat maanane ko taiyaar nahin hotee. jab zamaana aap par tarah-tarah ke aarop lagae to ek maan hee aisee hotee hai jo aapake saath khadee hotee hai. desh mein ya videsh mein ya phir kisee kampanee mein jab aapakee saakh pharjee digree, pharjee halaphanaame, pharjee jumalebaajee se doobane lagatee hai to aise mein aap maan ko aage kar dete hain aur zamaane ko aapase hamadardee see ho jaatee hai ki dekho itana bada aadamee...lekin maan ko nahin bhoola. ...aap maan kee vheelacheyar kee aad mein bahut khoobasooratee se khud ko tamaam aaropon kee bauchhaar se bacha le jaate hain. 

mujhe chaay nahin bechanee padee, theek se padh likh bhee gaya. pharjee digree banavaane kee naubat nahin aaee. haipee barthade ko lekar bhee koee vivaad nahin raha. aadhee padhaee maan ke saamane kar lee thee aur thoda-moda kamaane bhee lag gaya tha. unhen yakeen aur sukoon tha ki meree jindagee theek se kat jaegee, chaahe 99 ke pher mein rahoon ya na rahoon. 

kahate hain maan ke pairon ke neeche jannat hotee hai yaanee agar aap maan kee seva karate hain to aapaka svarg mein jaana tay hai. haalaanki yah kahaavat un arthon mein vivaadaaspad maanee jaegee...jab aapake haath kaee begunaahon ke khoon se range hon...jab aapane jeetejee kaee maanon ka sindoor ujaad diya ho...jab aap ke ishaare par maan banane se pahale kaee betiyon kee ijjat lootee gaee ho...aise mein aapakee maan bhala aapako kaise jannat mein le ja sakatee hai. mujhe is kahaavat mein jara bhee yakeen nahin hai ki koee maan apane khoonee bete ko bhee jannat le ja sakatee hai. ...maulavee-maulaana aur dharmaguru kahate hain ki beta jaisa bhee ho, ek maan usake jannat mein hee jaane kee kaamana karatee hai. vo kahate hain ki chaahe aap apanee maan ko bageeche mein ghumae ya nahin, chaahe kisee mol mein lejaakar aaisakreem khilaen ya nahin, vo aapake lie jannat kee hee dua karegee. baharahaal, mujhe in mullaon kee baat par bharosa nahin hai. jannat agar maan kee dua se milatee hotee to hitalar bhee jaroor svarg mein baitha hukka pee raha hoga. mujhe khud hitalar ya hitalaranuma koee shakhs aakar batae ki vaakee usake tamaam paapon ko oopar vaale ne koodedaan mein phenk diya aur usakee maan kee duaon ke badale jannat mil gaee. 

ek bahut seeniyar patrakaar aur lekhak vinod sharma ne apanee phesabuk vol par likha ki meree maan mere ghar nahin aatee thee...mere ghar mere saath rahatee thee...bahut vajanadaar lain likhee sharma jee ne. lekin kaee bhakt naaraaj ho gae ki aakhir sharma jee kee himmat kaise huee kee vo phalaane saahab kee maan ke sandarbh mein apanee maan ka jikr karen. phir kya tha bhaktagan haath dhokar unake peechhe pad gae. haalaanki sharma jee ne kaheen bhee phalaane saahab kee maan ka jikr nahin kiya tha.

sochata hoon...agar aaj maan jinda hotee to kya main bhee apanee imej banaane ke lie unakee maarketing karata...vigyaapan kampaniyaan maan kee maarkenting apane thard klaas prodakts ko bechane ke lie bahut pahale se karatee rahee hain....maigee kee vaapasee par ek maan ko dhaal banaakar pesh kiya gaya. maigee ke paanv abhee dobaara jame ya nahin lekin maan kee maarkenting us prodakt ke lie majaboot rahee. mera beta yahee kaam karata hai, har vigyaapan ke peechhe jo maarketing dimaag aur kopee raiting ka kamaal rahata hai vo baraabar mujhe bataata rahata hai. tamaam achchhe-bure ya sade-gale vigyaapanon kee jaanakaaree mujhe usee se milatee hai. bete ne hee bataaya tha ki maigee vaalee maan ka vigyaapan asaradaar hai...yaanee nesle ke maarketiyars ne maan ke jarie maigee ko maarket mein utaar diya. ...pata nahin aapakee najar mein isase maan kee garima ghatee ya badhee, mujhe isaka andaaja nahin hai. beta kahata hai ki aap log andaaja lagaate rahie. maan to prodakt bechakar aur baajaar mein maigee ko phir se jamaakar chalee gaee. jay ho maan maigee vaalee kee...

bhaarat maan kee jay bolane ya na bolane vaalon ke beech abhee haal hee mein hua jhagada aapako yaad hai...mainne is mudde par bayaan dene vaale tamaam netaon kee maanon par adhyayan kiya to bahut dukhad baat pata chalee. inamen se tamaam saphedaposh apanee maan ka khyaal nahin rakhate hain lekin bhaarat maan par aasteenen chadha lete hain. vo topee vaala mulla agar us vakt ye kahata ki chaahe meree gardan par chhuree rakh do, pahale apanee ammee kee jay boloonga tab bhaarat maan kee jay boloonga to shaayad vivaad itana nahin badhata. lekin jab insaan maan ke naam par kisee aur ke ejende ko aage badhae to samajhie ki vo bhaarat maan ko bhee apamaanit karane ja raha hai. jo insaan apanee maan ka na hua, vo bhaarat maan ka kaise ho sakata hai....

mere bukashelph mein maan upanyaas aaj bhee maujood hai. ...jaanate hain, ise kisane likha hai, ...mere bahut hee priy lekhak maksik gorkee ne. darasal, mere paas hindee vaala hee unyaas tha lekin baad mein mere abba ne isee upanyaas ko angrejee mein (da madar) mujhe khareedakar padhane ko diya. mainne unhen bataaya ki hindee mein padh chuka hoon to unhonne angrejee vaala bhee padhane kee salaah dee. maan par yah upanyaas aaj meree sabase badee dharohar hai. 

maan ka jikr ho to main ek shaayar ka jikr na karoon to tamaam maanon ke saath bahut nainsaaphee hogee. urdoo ke mashahoor aur jinda shaayar raja sirasavee saahab ne maan par ek bahut khoobasoorat lambee najm likhee hai. haalaanki yah vidambana hai ki raja sirasavee ko kisee bhee sarakaar ne aajatak kisee padm puraskaar ke yogy nahin samajha. vaise maan kee shaan mein jaaved akhtar saahab samet tamaam shaayaron ne apanee kalam chalaee hai. maan par sabase pahale jis shaayaree se mera aamana-saamana hua, vo bolivud kee kisee philm ka gaana tha, jise mohammad raphee saahab ne gaaya tha – maan too kitanee achchhee hai, kitanee pyaaree hai o maan....ise likhane vaale shaayar ka naam mujhe nahin maaloom lekin mera bachapan isee gaane ke saath beeta. baat ho rahee hai raja sirasavee saahab kee najm kee. yah najm aaj bhee urdoo bolane vaale desh bhaarat va paakistaan samet tamaam jagahon par mahaphilon aur majalison mein bahut sammaan se padhee jaatee hai. sunane vaalon kee aankhon se aansoo chhalak aate hain. us lambee najm kee chand lainen pesh hain – 

phikr mein bachchon kee yoon har dam ghulee jaatee hai maan
naujavaan hote hue bhee boodhee najar aatee hai maan....

jindagaanee ke saphar mein gardishon kee dhoop mein 
koee saaya nahin milata to yaad aatee hai maan 

sabako detee hai sukoon aur khud gamon kee dhoop mein
raphta raphta barph kee soorat pighal jaatee hai maan

dard, aahen, sisakiyaan, aansoo, judaee, intajaar
jindagee mein aur kya aulaad se paatee hai maan

pyaar kahate hain kise aur maamata kya cheej hai
koee un bachchon se poochhe jinakee mar jaatee hai maan.....

टिप्पणियाँ

kuldeep thakur ने कहा…
जय मां हाटेशवरी...
अनेक रचनाएं पढ़ी...
पर आप की रचना पसंद आयी...
हम चाहते हैं इसे अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
इस लिये आप की रचना...
दिनांक 17/05/2016 को
पांच लिंकों का आनंद
पर लिंक की गयी है...
इस प्रस्तुति में आप भी सादर आमंत्रित है।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

हिन्दू धर्म और कैलासा

ग़ज़लः हर मसजिद के नीचे तहख़ाना...

तैना शाह आ रहा है...