हमारे पैसे की जाँच इनकम टैक्स करे और पीएम केयर्स फ़ंड की जाँच प्राइवेट फ़र्म क्यों करे

पीएम केयर्स फ़ंड किसका पैसा है?

चूँकि कर्मचारियों से भी इसके लिए अंशदान लिया गया, इसलिए यह जनता का पैसा है।

पहले तो सरकार कहती रही कि इसके हिसाब किताब की जाँच कैग यानी भारतीय महालेखा परीक्षक और नियंत्रक के दायरे में नहीं आएगी यानी कोई जाँच पड़ताल नहीं।

फिर सोशल मीडिया के दबाव में आपने इसके ऑडिट का ज़िम्मा एक प्राइवेट सीए कंपनी को दे दिया। मतलब सरकार को खुद अपनी एक महत्वपूर्ण एजेंसी कैग पर भरोसा नहीं है।

जिस सीए कंपनी M/s SARC & Associates को पीएम केयर्स फ़ंड के ऑडिट का काम सौंपा गया, उसके मालिक सीए सुनील कुमार गुप्ता हैं।

खुद सुनील कुमार गुप्ता के मुताबिक़ यह सीए कंपनी ब्रिटेन में भी काम करती है।

अब पूछेंगे कि सुनील कुमार गुप्ता कौन हैं? इनके बारे में दिलचस्प जानकारियाँ सामने आई हैं।

सुनील कुमार गुप्ता जी अब खुद को अर्थशास्त्री के रूप में ज्यादा प्रचारित करवाते हैं और सीए कम। वह चाहते हैं कि उन्हें बुद्धिजीवी स्वीकार किया जाए।

गुप्ता जी संघ परिवार के व्यक्ति हैं। वह 2018 में शिकागो में हुए विश्व हिन्दू सम्मेलन में मोहन भागवत का भाषण सुनने गए थे। चलिए मान लेते हैं कि इसमें कोई बुराई नहीं है कि वे शिकागो मोहन भागवत को सुनने गए थे। लेकिन इसमें तो बुराई है कि एक मातृ संगठन यानी आरएसएस से जुड़ा शख़्स अपने संगठन के राजनीतिक मुखौटे यानी भाजपा सरकार द्वारा स्थापित पीएम केयर फ़ंड के हिसाब किताब में मीनमेख कैसे निकालेगा?

सीए सुनील गुप्ता जी तमाम सरकारी इदारों जैसे रेलवे, ओएनजीसी समेत कई जगह सलाहकार या विभिन्न ऑडिट कमेटियों में हैं।



इतना व्यस्त रहने के बावजूद सुनील कुमार गुप्ता जी ने आधा दर्जन किताबें भी लिख डाली हैं। हालाँकि ये किताबें किसी चर्चा या बेस्टसेलर में नहीं आती हैं।

उन्होंने कुछ लेख भी लिखे हैं। एक लेख का शीर्षक है - इंडिया 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बॉय 2024-25, उनकी सोच मोदी से भी आगे की है। उनके दूसरे लेख का शीर्षक है - मूविंग टुवर्डस 10 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी इंडिया 2030

आइए उनकी कुछ दिलचस्प किताबों के नाम जानते हैं -

बेनामी प्रॉपर्टी (2016)

बिग बिज़नेस आइडियाज़- मेक इन इंडिया (2018-19)

विंडो टु सक्सेस (2016)

नॉर्थ ईस्ट ( 2017)

बिग बिज़नेस इंडिया गुरू
(यह किताब किन्हीं के. पी. शशिधरन के साथ मिलकर लिखी गई है। पहले शशिधरन का नाम है फिर गुप्ता जी का)

गुजरात के कोऑपरेटिव बैंक की शाखा दिल्ली में थी, जो बाद में नैशनल कोऑपरेटिव बैंक बन गई। बताया जाता है कि गुप्ता जी इसके संस्थापकों में रहे हैं लेकिन इस तथ्य की पुष्टि फ़िलहाल मैं नहीं कर सकता। लेकिन यह तथ्य सही है कि गुजरात से गुप्ता जी का कुछ न कुछ जुड़ाव जरूर है।

सीए सुनील कुमार गुप्ता जी के लेखों और किताबों के कुछ शीर्षक प्रधानमंत्री मोदी के लोकप्रिय जुमलों से मेल खाते हैं। जैसे बेनामी प्रॉपर्टी पर एक समय बहुत भाषण देते थे और बाद में संसद में कानून भी पास कराया। इसी तरह मेक इन इंडिया को भी ख़ूब भुनाया गया है। मोदी के 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी पर तो लिख ही मारा है बल्कि उससे भी आगे 10 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी पर भी विचार कर लिया है। उनकी कल्पना के मुताबिक़ भारत में अगले दो लोकसभा चुनाव जब होंगे तो यह लक्ष्य मिल जाएगा।

अब आप कहेंगे कि प्राइवेट फ़र्म और संघ से जुड़े शख़्स की सीए फ़र्म से ऑडिट कराने में बुराई क्या है तो हुज़ूर कांग्रेस राज में कथित  2जी घोटाले से लेकर अगुस्टा वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर मामले की जाँच कैग से कराने की ज़रूरत ही क्या थी।

पीएम केयर्स फ़ंड किसी अंबानी या अडानी की कंपनी का फ़ंड नहीं है। इसे भाजपा चुनाव कोष के लिए का तैयार नहीं किया गया है। यह देश की जनता का फ़ंड है। इसे कैग के दायरे में लाना ज़रूरी है।

हमारे पैसे की जाँच तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट करता है और पीएम केयर्स फ़ंड जैसे सरकारी पैसे की जाँच प्राइवेट फ़र्म कैसे कर सकती है? सोचिए ज़रा...

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