मध्य वर्ग को कपिल गूर्जर में जो एडवेंचर दिखता है वो बिल्कीस दादी में नहीं
भारत का मध्यम वर्ग भारत का दुर्भाग्य बनता जा रहा है...
-यूसुफ किरमानी
भारत का मध्यम वर्ग दिवालिया होने के कगार पर पहुंचने के बावजूद हसीन सपने देख रहा है। उसकी याददाश्त कमजोर हो चुकी है लेकिन देशभक्ति का टॉनिक उसकी मर्दाना कमजोरी को दूर किए हुए है। साल 2020 के खत्म होते-होते पूरी दुनिया में भारत के फोटो जर्नलिस्टों के कैमरों से निकले दो फोटो की चर्चा हो गई लेकिन मध्यम वर्ग इसके बावजूद नींद से जागने को तैयार नहीं है।
शाहीनबाग में सरेआम गोली चलाने वाले कपिल गूर्जर को जिस दिन बीजेपी में शामिल करने के लिए इस फर्जी राष्ट्रवादी पार्टी की थू-थू हो रही थी, ठीक उसी वक्त अमेरिका की वंडर वुमन बिल्कीस दादी का फोटो जारी कर उन्हें सबसे प्रेरणादायक महिलाओं में शुमार कर रही थी।
हालांकि बीजेपी ने छह घंटे बाद कपिल गूर्जर को पार्टी से बाहर निकालकर आरोपों से अपना पीछा छुड़ाया। लेकिन दुनियाभर में तब तक शाहीनबाग में फायरिंग करते हुए कपिल गूर्जर की पुरानी फोटो एक बार फिर से वायरल हो चुकी थी लेकिन तब उसके साथ वंडर वुमन की वो सोशल मीडिया पोस्ट भी वायरल हो चुकी थी, जिसमें उसने दादी का फोटो लगाया था।
जो लोग हॉलिवुड की फिल्में देखते होंगे वे समझ गए होंगे वे वंडर वुमन को पहचान गए होंगे। लेकिन जिन लोगों ने हॉलिवुड की सुपरहिट फिल्म वंडर वुमन सीरीज नहीं देखी है वे गॉल गैडॉट को नहीं जानते होंगे। गॉल गैडॉट यहूदी महिला है और उन्होंने वंडर वुमन फिल्म सीरीज में मुख्य भूमिका निभाई है।
हुआ यह कि गॉल गैडॉट ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में उन दस महिलाओं के फोटो लगाए, जिसने उनकी जिन्दगी को प्रभावित किया या जिनसे उन्होंने प्रेरणा ली। उन्होंने ऐसी दस महिलाओं को 2020 को अलविदा कहते हुए याद किया। गॉल गैडॉट ने अपनी मां और कई रिश्तेदार महिलाओं को अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में इज्जत बख्शी। इसमें फिल्मों में उनका स्टंट करने वाली हॉलिवुड की महिला भी शामिल है। लेकिन सबसे रोचक था शाहीनबाग की दादी बिल्कीस का फोटो, जिसमें वह जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता सैयदा हामिद और एक अन्य महिला के साथ खड़ी हैं। गॉल गैडॉट शाहीनबाग में महिलाओं के आंदोलन से प्रभावित हैं और जब यह आंदोलन चल रहा था तो उनकी इस पर बराबर नजर बनी हुई थी। बॉलिवुड में हॉलिवुड जैसी हिम्मत नहीं है।
मोदी सरकार ने जितनी छिछालेदर हाल ही में बॉलिवुड की है, किसी डायरेक्टर, एक्टर, एक्ट्रेस की हिम्मत नहीं हुई कि वह जानबूझकर की गई गलती के नाम पर ही शाहीनबाग की बिल्कीस दादी का फोटो शेयर कर देता या कर देती।
बहरहाल, यह इतना महत्वपूर्ण नहीं है और न ही शाहीनबाग की बिल्कीस दादी या किसी अन्य दादी को किसी गॉल गैडॉट के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। अगर कपिल गूर्जर को बीजेपी में शामिल करने और निकालने का नाटक न हुआ होता तो शायद मैं गॉल गैडॉट की चर्चा भी नहीं करता। हालांकि 2020 में फोर्ब्स पत्रिका ने विश्व की जिन प्रभावशाली महिलाओं की सूची छापी थी, उसमें वह तीसरे नंबर पर थीं।
कपिल गूर्जर ने बीजेपी की उस छवि को उजागर कर दिया है, जिसे वह प्रज्ञा ठाकुर कांड के बाद सामने आने देने से कतराती रही है। शाहीनबाग आंदोलन के दौरान फायरिंग की तीन घटनाएं हुईं। दिल्ली पुलिस चूंकि सीधे केन्द्रीय गृह मंत्रालय के नियंत्रण में है, तो उसने तीनों घटनाओं को दबवा दिया। एक घटना में तो युवक को नाबालिग साबित कर दिया गया। लेकिन कपिल गूर्जर ने जो फायरिंग शाहीनबाग में की थी, उस नाटक की पटकथा मामूली नहीं थी।
सार्वजनिक स्थल पर भीड़ के सामने फायरिंग करने के बावजूद किसी अदालत ने उसे जमानत भी दे दी थी। उसके बाद वह लापता हो गया। सिर्फ दो दिन पहले बीजेपी उसे इनाम देने की गरज से सामने लाई।
अगर सोशल मीडिया कपिल गूर्जर के नाटक का पर्दाफाश न करता तो यह मुल्जिम कोई न कोई पद लेकर बीजेपी की इज्जत बढ़ा रहा होता। लेकिन कपिल गूर्जर की राजनीतिक जिन्दगी का यह अस्थायी मोड़ है।
बहुत जल्द वह प्रज्ञा ठाकुर की तरह कहीं न कहीं स्थापित कर दिया जाएगा। प्रज्ञा ठाकुर पर क्या कुछ आरोप नहीं है...उन पर आतंकी संगठन से जुड़ने के कथित आरोप से लेकर गोडसे को महान बताने जैसे आरोप हैं। जो गाय को छूने मात्र से कैंसर का मर्ज ठीक करने का दावा करती रही हो। जब ऐसी महिला को लोकसभा में भेजने के लिए बीजेपी की थू-थू इस देश की जनता ने नहीं की तो ऐसे में कपिल गूर्जर के मामले में भी जनता कुछ नहीं कहती। लेकिन विदेशों में अपनी छवि बचाने की चिन्ता में बीजेपी को कपिल गूर्जर को अस्थायी रूप से दुत्कारना पड़ा।
भारत के मध्यम वर्ग को इस घटनाक्रम ने जरा भी प्रभावित नहीं किया। भारत का मध्यम वर्ग बॉलिवुड के किसी एक्टर-ऐक्ट्रेस के हुंकार पर ही जागता है। मसलन कंगना रानौत का दफ्तर तोड़े जाने पर वह भगवा ब्रिगेड के नेतृत्व में उत्तेजित नजर आया। रानी झांसी को मोदी सरकार ने वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान कर दी। उसे बिल्कीस दादी जैसी महिलाओं में कोई प्रेरणा नजर नहीं आती, उसे कंगना में रानी झांसी दिख जाती है। भारत का मध्यम वर्ग भारत का दुर्भाग्य बनता जा रहा है। जो ना किसानों पर पसीजता है और न किसान आंदोलनों पर।
(यह लेख प्रकाशित हो चुका है)
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